हनुमानगढ़ । (कुलदीप शर्मा) राजस्थान में पॉलीथिन मुक्त करने को लेकर अनेको अभियान सरकार द्वारा चलाये भी गए और वर्तमान में भी इन अभियानों का चलना भी महज़ खानापूर्ति ही माना जायेगा । शहर में अनेको ऐसे उदारहण मौजूद हैं जिससे साफ कहा जा सकता हैं कि महज दिखावे भर से ही इस अभियान को चलाने का प्रयास स्थानीय जिम्मेदारों द्वारा चलाया जा रहा हैं । जहां बीजेपी सरकार सम्पूर्ण राजस्थान से लेकर देश भर को प्रदूषण मुक्त करने की बात कह रही हैं तो वहीं इनके जिम्मेदार अधिकारी इन्ही के अभियानों की खिल्लियां उड़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं ।
प्रतिबन्ध बना महज़ मजाक
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प्रतिबंध के बावजूद अमानक पॉलीथिन का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। जो कि साफ संकेत कर रहा हैं कि यहां के जिम्मेदार अधिकारी सरकार की योजनाओं को कितनी भली-भांति पलीता लगाने में लगे हुए हैं । राज्य सरकार अपने चार साल पूर्ण होने पर जश्न मना रही हैं तो वहीं हनुमानगढ़ शहर भर में उन्ही के इस सफलता के अभियान को महज दिखावा साबित करते हुए नज़र आ रही हैं । अब हम प्रतिबन्ध को महज मजाक नहीं कहेंगे तो ओर क्या कहेंगे ?
कार्रवाई नहीं,असर भी नहीं
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समय-समय पर महज़ चेतावनी स्वरूप कुछ छूट-मुट कार्रवाइयों को अंजाम दिया जाता हैं लेकिन वो भी सिर्फ दिखावा मात्र ही होती हैं । वहीं चेतावनी भी दी जाती हैं कि दुकानों में निरीक्षण के दौरान यदि अमानक पॉलीथिन या डिस्पोजल आदि पाए जाते हैं तो संबंधितों के विरूद्ध एकपक्षीय कार्रवाई की जाएगी। इस आदेश के बाद प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण सब कुछ पहले जैसा ही चल रहा है। दुकानदारों द्वारा खुलेआम अमानक पॉलीथिन में सामान दिया जा रहा है। जो कि साफ जाहिर कर रहा हैं कि स्थानीय प्रशासन कितना सजग हैं ।
अभियान कहे या खानापूर्ति...!
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नगरपालिका ने समय-समय पर अभियान भी चलाए और शहर की कुछ दुकानों से पॉलीथिन की जब्ती भी की, लेकिन लोगों में जागरूकता नहीं आ सकी। नतीजतन पॉलीथिन मुक्ति के अभियान से लोग जुड़ नहीं पाए और अभियान बीच में ही दम तोड़ गया। बैठक में पॉलीथिन का इस्तेमाल नहीं किए जाने के निर्देश देकर खानापूर्ति कर दी जाती है। लेकिन शहर हैं कि पॉलीथिन मुक्त होने का नाम नहीं ले रहा हैं ।
बच्चे-बच्चे को पता पॉलीथिन डिस्ट्रीब्यूटर का लेकिन नप....
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हनुमानगढ़ शहर में पॉलीथिन को लेकर बच्चे-बच्चे को पता है लेकिन फिर भी जिम्मेदार अधिकारी पता नहीं कैसे अनजान बने हुए बैठे हैं । शहर में पॉलीथिन के बड़े डिस्ट्रीब्यूटरो की बात करे तो सब्जी मंडी,नगरपरिषद,हाउसिंग बोर्ड,मुख्य बाजार, टाउन सब्जी मंडी और लालाजी बालाजी मार्केट जंक्शन में खुलेआम धड़ल्ले से पॉलीथिन बेची-खरीदी जाती हैं लेकिन स्थानीय प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है । लगता हैं सरकार के तमाम दावे फैल करवाके ही दम लेंगे ।
पहले भी कर चुके कवायद
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हनुमानगढ़ शहर को पॉलीथिन मुक्त शहर बनाने के लिए पिछले काफी सालों से नगरपालिका महज़ प्रयास ही कर रही है लेकिन आधे-अधूरे प्रयासों के कारण आज तक इसमें सफलता नहीं मिल सकी है। पिछले सालो में भी पॉलीथिन मुक्ति के लिए नगरपालिका ने छोटी-छोटी कार्रवाइयां तो की हैं लेकिन इस अभियान को अंजाम तक पहुंचाने में नाकामयाब रहे हैं। नपा की कोशिश में खोट थी या कुछ ओर था, लेकिन सफलता नहीं मिली।
सरकारी निर्देश हवा-हवाई
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पर्यायवरण को साफ-सुथरा रखने के लिए राज्य सरकार की ओर से म्यूनिसिपल कमेटी को सख्त निर्देश दिए जाने के बावजूद भी कस्बे में पॉलीथिन का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। इससे लगता है कि यहां कानून मजाक बनकर रह गया है। लेकिन स्थानीय प्रशासन हैं कि कुछ देखने को तैयार ही नहीं हैं ! अब लगता हैं सरकार के तमाम दावे फैल करने का पूरा ताम-झाम बनाये हुए हैं !
क्या कहा शहरवासियों ने....
पॉलीथिन बड़ी मात्रा में धड़ल्ले से शहर में उपयोग की जा रही हैं।शहर में छोटी-मोटी कार्रवाइयां तो की जाती हैं लेकिन इनके डिस्ट्रीब्यूटर पर सीधी कार्रवाई नहीं कि जाति हैं जिसके चलते पशुओं से लेकर आमजन के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा हैं । जिम्मेदारो की मिलीभगत से सब कुछ चल रहा हैं- पवन श्रीवास्तव,एडवोकेट
जन स्वास्थ्य को लेकर जो कानून बनाये गए हैं वो सब फैल नज़र आते हैं ।बस्तियों के हालात तो ओर भी नारकीय हैं जो अपना जीवन नरक के समान जी रहे हैं।शहर मैब पॉलीथिन का उपयोग आमबात हैं कार्रवाई महज़ खानापूर्ति की होती हैं -- शंकर सोनी,फाउंडर सदस्य आप
पॉलीथिन का उपयोग स्वास्थ्य की दृष्टि से करना ही अनुचित हैं लेकिन शहर में स्वच्छता अभियान महज़ मजाक बना दिया गया हैं।हमसे टैक्स लिया जाता हैं लेकिन सुविधा के नाम पर जीरो हैं।सरकार को डिस्ट्रीब्यूटरो को पलने ही नहीं देना चाहिए- सुमन चावल,समाजसेवी
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