केसरीसिंहपुर(गुरविंद्र बराड़)
एक मशहूर फिल्मी गीत है। "जादूगर का जादू हाथों का कमाल है। करते हो तुम कैसे सबका ये सवाल है।" लेकिन आज के दौर में जादुई कला पर ही कई सवाल खड़े गए हैं। क्यों कि कद्रदानों की घटती संख्या इस कला का दम घोंट रही है। दरअसल, जादू कोई चमत्कार नहीं है। यह विज्ञान, सम्मोहन और कला का मिश्रित रूप है।
आम लोगों के मनोरंजन के लिए इस कला को बनाया गया था, लेकिन वर्तमान समय में यह कला दम तोड़ती नजर आ रही है। पिछले कई दिनों से कस्बे के व्यापार मंडल में चल रहे जादूगर जगन्नाथ के शो में दिनों-दिन घट रहे दर्शक और कद्रदानों को देख यही लगता है। पूरा सैटअप लगाने और ताम-झाम और लोगों के अनुरूप जादू दिखाने के बावजूद लोगों का रूझान इस और नहीं बढ़ पा रहा। लालगढ़ जाटान के निवासी जादूगर जगन्नाथ का कहना है कि जितना बड़ा सैटअप जादू के लिए लगाया जाता है
उतने लोग देखने नहीं आते। हां, स्कूली बच्चों को भले ही थोड़ा आकर्षण रहता है लेकिन आमजन इस कला की कद्र नहीं करता। उन्होंने कहा कि यदि इस कला को नहीं बचाया गया तो यह खत्म हो जाएगी और इस तरह का धंधा करने वाले लोगों पर रोजी-रोटी का संकट आ जाएगा। उन्होंने बताया कि जादू शो में करीब दर्जनों कर्मचारियों को तनख्वाह देना, प्रचार-प्रसार करना आदि का खर्च भी बहुत हो जाता है।
समय की दौड़, मोबाइल संस्कृति भी कारण
वहीं जादुई शो में घटती दर्शकों की संख्या के पीछे मोबाइल संस्कृति का प्रभाव भी है लोग आजकल डिजिटल और ऑनलाइन देखना पसंद करते हैं । इस वजह से अब जादू का शो देखने के लिए लोगों के पास समय ही नहीं है। इसके अलावा लोग यूट्यूब और वाट्सएप पर भी इन जादुओं का लुत्फ ले लेते हैं।
संरक्षण की जरूरत:-
भाजयुमो के नगर महामंत्री मुकेश पुरोहित ने बताया कि विदेशों में सरकार इस कला को संरक्षण देती है, साथ ही कला को निखारने के लिए पर्याप्त संसाधन भी दिलाती है, भारत में भी इस कला को संरक्षित करने के लिए सरकार और सामाजिक संस्थाओं को ठोस कदम बढ़ाने चाहिए। ताकि इस धंधे से जुड़े लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट नहीं आए।
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