जयपुर,। राज्यपाल श्री कल्याण सिंह को बुधवार को यहां राजभवन में लोकायुक्त जस्टिस एस.एस. कोठारी ने माथुर आयोग से प्राप्त प्रकरणों की समेकित जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत की। न्यायालय के आदेश की पालना में माथुर आयोग के समक्ष लम्बित 1828 प्रकरण नये सिरे से जाँच हेतु लोकायुक्त सचिवालय को प्राप्त हुए थे, जिनकी जाँच के उपरान्त 757 पृष्ठों की यह रिपोर्ट राज्यपाल को लोकायुक्त ने प्रस्तुत की।
राज्यपाल को लोकायुक्त ने बताया कि वर्ष 2004-2008 के दौरान विभिन्न विभागों, संस्थाओं द्वारा भू-उपयोग परिवर्तन, भू-आवंटन व धारा 90बी के तहत प्रकरणों के निस्तारण में भ्रष्टाचार, अनियमितता, पदीय शक्ति एवं हैसियत के दुरूपयोग तथा लोकसेवकों द्वारा पक्षपात, भाई-भतीजावाद व दुराचरण आदि के आरोपों की जाँच के लिए वर्ष 2009 में जस्टिस एन.एन. माथुर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया था। आयोग के गठन को एक जनहित याचिका के द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। इस याचिका में पारित निर्णय के द्वारा आयोग के समक्ष लम्बित समस्त प्रकरण नये सिरे से जाँच हेतु लोकायुक्त को सौंपे जाने के निर्देश दिये गये थे।
राज्यपाल को लोकायुक्त ने बताया कि लोकायुक्त सचिवालय में नियमित रूप से प्राप्त शिकायतों की जाँच, अन्वेषण एवं खान विभाग के आवंटन में हुई अनियमितताओं की विशेष जाँच के साथ-साथ यह जांच कार्य सम्पादित किया। श्री कोठारी ने बताया कि जाँच के निष्कर्ष के परिणामस्वरूप भू-सम्परिवर्तन में अनियमितता के 199 प्रकरणों में से 28 मामलों में निरस्तीकरण की कार्यवाही करवाई गई तथा 38 प्रकरणों में शर्तों की पालना आदि में चूक होना पाये जाने पर शास्ति राशि की वसूली करवाकर नियमितीकरण करवाया गया एवं 133 प्रकरणों में अन्य वांछनीय कार्यवाही सम्पादित करवाई गई। इसी प्रकार जाँच में भू-आवंटन के 36 प्रकरणों में अनियमितता पाई गई, जिनमें से 10 मामलों में निरस्तीकरण की कार्यवाही करवाई गई एवं 08 प्रकरणों में देय राशि एवं शास्ति राशि की वसूली करवाकर नियमितीकरण करवाया गया एवं शेष 18 प्रकरणों में अन्य वांछनीय कार्यवाही सम्पादित करवाई गई।
श्री कोठारी ने बताया कि जाँच में 18 मामलों में राजकीय भूमि, मार्गाधिकार की भूमि पर अतिक्रमण या भवन विनियमों का उल्लंघन कर अवैध निर्माण होना पाये गये, उनमें वांछनीय कार्यवाही सम्पादित करवाई गई। जाँच में अनियमितता के 88 प्रकरणों में देय मुद्रांक शुल्क, विकास शुल्क, लीज राशि, शास्ति, नियमितीकरण शुल्क आदि के रूप में बीस करोड़ सैंतीस लाख बयालीस हजार दो सौ बानवे रूपये की वसूली करवाई जाकर राशि राजकोष में जमा करवाई गई।
श्री कोठारी ने बताया कि जाँच में 27 प्रकरणों में कानून एवं नियमों के विरूद्ध कार्यवाही होना पाये जाने पर पुलिस अथवा सक्षम न्यायालय में वांछित कार्यवाही प्रारम्भ करवाई गई। इसी प्रकार 13 प्रकरणों की जाँच में लोकसेवकों द्वारा कर्तव्य निर्वहन में पदीय दुरूपयोग, भ्रष्टाचार एवं अकर्मण्यता आदि पाये जाने पर 25 लोकसेवकों के विरूद्ध यथोचित अनुशासनिक कार्यवाही करवाई गई।
कुछ प्रकरणों में जाँच के उपरान्त यह भी पाया गया कि आवास आवंटन करने व भवन विनियमों के अन्तर्गत निर्धारित मापदण्डों में शिथिलता प्रदान करने की विवेकीय शक्तियों का कतिपय लोकसेवकों ने मनमाने तरीके से प्रयोग किया तथा महत्वपूर्ण प्रकृति के मामलों की पत्रवलियों के रख-रखाव में भी लापरवाही की।
राज्य सरकार को निर्देश दिये गये है कि ऎसे विवेकाधिकारों के न्यायसंगत प्रयोग हेतु सुनिश्चित मानक निर्धारित किये जावें एवं अभिलेख के संधारण हेतु स्पष्ट मार्गदर्शन जारी किये जावें। जाँच के दौरान यह भी पाया गया कि विकास प्राधिकरण, नगर निगम, नगर सुधार न्यास, नगर परिषद, नगरपालिका द्वारा भवन निर्माण की अनुमति दिये जाने से सम्बन्धित नियमों में कई प्रकार की विसंगतियाँ हैं।
नियमों में शिथिलता देने की शक्तियाँ तर्कसंगत नहीं होने से राज्य सरकार को नेशनल बिल्डिंग कोड एवं अन्य राज्यों के बायलॉज को दृष्टिगत रखते हुए लोकायुक्त सचिवालय द्वारा महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं। इसके अनुसरण में राज्य सरकार ने भवन विनियमों में संशोधन हेतु एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया, जिसने इन सुझावों को शामिल करते हुए संशोधित प्रारूप राज्य सरकार को प्रेषित किया गया है।
इस मौके पर लोकायुक्त सचिवालय के प्रमुख सचिव डॉ. पदम कुमार जैन, राज्यपाल के सचिव श्री देबाशीष पृष्टि व विशेषाधिकारी डॉ. अजय शंकर पाण्डेय उपस्थित थे।
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