विशेषज्ञों के अनुसार दमा और एलर्जी के लक्षण अकसर किशोरवय की प्राप्ति और मसिकधर्म चक्र रूकने से प्रभावित होते हैं, पर इसके पीछे के कारण अभी तक अस्पष्ट हैं। इस अनुसंधान के लिए वैज्ञानिकों ने अस्थमा से पीड़ित महिलाओं की किशोरवय प्राप्ति से लेकर 75 वर्ष की आयु तक किए गए 50 से ज्यादा अनुसंधानों का अध्ययन किया है।
सांस की बिमारी दमा वैसे तो महिला और पुरुष दोनो को ही समान रुप से होती है पर अब इसके नये कारण भी सामने आ रहे हैं। एक नये अध्ययन के अनुसार महिलाओं में बनने वाला सेक्स हॉर्मोन एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। वैज्ञानिकों ने पांच लाख से ज्यादा महिलाओं के अध्ययन और उनसे जुड़े आंकड़ों का विशलेषण करके पता लगाया है कि अस्थमा के लक्षणों और महिलाओं के जीवनकाल में होने वाले दो महत्वपूर्ण बदलावों, किशोरवय की प्राप्ति तथा मासिकधर्म चक्र का बंद होना, आपस में जुड़े हुए हैं।
दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन कम करें। दूध में दमा बढ़ाने के कारक ज्यादा होते हैं।
दूध, घी, मक्खन, तेल, खटाई और तेज मसालों का सेवन नहीं करना चाहिए। छाछ या सूप ले सकते हैं।
धूल-मिट्टी से अपने को बचाकर रखें। घर-ऑफिस को हमेशा साफ रखें। धूल से एलर्जी की संभावना अधिक होती है।
आम तौर पर सांस लेने में होने वाली परेशानी को अस्थमा या दमा कहते हैं। इसमें सांस लेने वाली नलियों में सूजन हो जाती है या रुकावट आ जाती है। आम लक्षणों में घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और सांस लेने में समस्या आदि शामिल हैं। दमा दो तरह का होता है। बाहरी और आंतरिक। बाहरी दमा एलर्जी से होता है, जो कि पराग, खुशबू, जानवर, धूल, मसाले या अन्य किसी कारण से हो सकती है। आंतरिक अस्थमा में कुछ रसायनिक तत्व शरीर में आने से यह बीमारी होती है। सिगरेट का धुआं, रंग-रोगन से भी यह हो सकता है। इसके अलावा सीने में संक्रमण, तनाव या लगातार खांसी से भी दमा हो सकता है। आनुवांशिकता के कारण भी यह होता है। अब तो बच्चे भी इस रोग के तेजी से शिकार हो रहे हैं।
दमा होने पर सांस लेने में कठिनाई होती है। सीने में जकड़न महसूस होती है। सांस लेने में घरघराहट की आवाज होती है। सांस तेज लेते हुए पसीना आने लगता है। बेचैनी महसूस होती है। जरा सी मेहनत से ही सांस फूलने लगती है। लगातार खांसी आने लगती है। यह लंबे समय चलने वाली बीमारी है। विशेषज्ञों का मानन है कि इंहेलेशन थेरेपी अस्थमा के उपचार का सबसे कारकर और प्रभावी तरीका है। इन बातों का रखें ख्याल-
नियमित योग करें श्वासन, प्राणायाम करके फेंफड़ों की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।
कोशिश करें कि तनाव से दूर रखें। तनाव से सांस फूलने लगती है। सर्दी से अपने को बचाकर रखें। सर्दी का मौसम दमा रोगियों के लिए खतरे की घंटी होता है। घर से बाहर निकलते समय मुंह पर मॉस्क लगाकर रखें।
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