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नायक एवं नायिका जाति का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है -पंचायतीराज मंत्री


जयपुर,। पंचायतीराज मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि नायक जाति को हिन्दी में नायिका लिखे जाने का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है एवं राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार से निरन्तर सम्पर्क किया गया। इस विषय में परिवर्तन एवं परिवर्धन का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है।




श्री राठौड़ ने शुक्रवार को शून्यकाल में उठाए गए इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कॉनसी जाति किस सूची में शामिल होगी इस विषय में कालेकर कमीशन बनाया गया था और इसके बाद देश में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग का गठन हुआ। उन्होंने विस्तार से बताया कि राज्य सरकार किसी भी जाति को किसी भी वर्ग में शामिल करने के लिए अपना प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाता है व भारत सरकार इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय जनजाति आयोग में परीक्षण के लिए भिजवाती है। इसके उपरान्त ट्रांसफोर्स में जाता है। जहां से देश की संसद में जाने के उपरान्त राष्ट्रपति के अनुमोदन के पश्चात सूची में शामिल होता है।






पंचायतीराज मंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से सम्बन्धित संशोधन में पास किया गया। उन्होंने कहा कि नायक को एससी और नायिका को एसटी की अलग-अगल श्रेणी में डाल रखा है। यह मामाले पहले भी उठा है। इस सन्दर्भ में राज्य सरकार ने भारत सरकार को लिखा था कि हिन्दी व अंग्रेजी में अनुवाद अलग-अलग है, इसलिए इसे सही किया जाए।






उन्होंने संशोधन अधिनियम -1976 में अनुसूचित जातियों की सूची क्रम संख्या 57 पर हिन्दी अनुवाद में नायक व अंग्रेजी अनुवाद में नायिका लिखा है। इस पर भारत सरकार से पूछा गया कि किसे सही माना जाए। इस पर भारत सरकार ने पत्र भेजकर बताया कि अनुच्छेद 348 (ए) के अनुसार अंग्रेजी वर्जन सही माना जाए। 





श्री राठौड़ ने पहले भी 2007 में राज्य सरकार ने पत्र लिखा था। उन्होंने बताया कि इस शब्द को बदलने के सन्दर्भ में अब भी निरन्तर सम्पर्क किया जा रहा है। राज्य सरकार को संसद द्वारा जारी आदेश की ही अनुपालना करनी होगी। उन्होंने बताया कि इस विषय में राज्य सरकार को परिवर्तन एवं परिवर्धन करने का अधिकार नहीं है।

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