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राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस: 8 फरवरी को 5 लाख 52 हजार नौनिहाल लेंगे कृमि मुक्ति की दवा


हनुमानगढ़। राष्ट्रीय कृमि उन्मूलन अभियान के तहत् 8 फरवरी को प्रदेश के सभी सरकारी, निजी स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर एक वर्ष से 19 वर्ष की उम्र के लगभग 2 करोड़ 41 लाख बच्चों को कृमि नाशकदवा एल्बेन्डाजाल की गोली निःशुल्क खिलाई जाएगी। वहीं हनुमानगढ़ जिले में करीब 5 लाख 52 हजार 433 नौनिहालों को कृमि मुक्ति की दवा दी जाएगी। 






स्वास्थ्य सचिव एवं मिशन निदेशक एनएचएम नवीन जैन ने बताया कि अभियान में शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग (आईसीडीएस), यूनिसेफ एवं एविडेंस एक्शन स्वास्थ्य विभाग का सहयोग लिया जा रहा है। बच्चों को दवा खिलाने के लिए 1 लाख 5 हजार 741 शिक्षकों और 58 हजार 744 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि फरवरी 2017 में कृमि मुक्ति अभियान आयोजित कर 1 करोड़ 86 लाख बच्चों को कृमि मुक्त किया गया था। प्रदेश के सभी जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारियों, ब्लाक मुख्य चिकित्सा अधिकारी, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा विभाग सहित सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों से वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस की तैयारियों की विस्तार से समीक्षा की जा चुकी है। जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से समस्त निजी विद्यालयों के बच्चों को खिलाई जाने वाली दवा संबंधी रिपोर्टिग में विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये। 






सीएमएचओ डॉ. अरूण कुमार ने बताया कि हनुमानगढ़ जिले के 2125 सरकारी, निजी विद्यालय व मदरसे तथा 1236 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर करीब 5 लाख 52 हजार 433 बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि एक से दो वर्ष तक की उम्र के बच्चों को एलबेण्डाजोल की आधी गोली तथा 2 से 19 साल की उम्र के बच्चों को एक गोली पानी के साथ दी जाएगी। इसे लेकर स्वास्थ्यकर्मियों, शिक्षकों तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जानकारी देकर प्रशिक्षित किया जा चुका है।





22 करोड़ बच्चे कृमि संक्रमण की जद में 
आरसीएचओ डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार भारत में 1 से 14 वर्ष की आयु के 22 करोड़ बच्चे आंत के कृमि के संक्रमण के जोखिम में हैं। कृमि संक्रमण के कारण बच्चों में कुपोषण, और विकास अवरुद्ध होने जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं। कृमि संक्रमण से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण भविष्य मे उनकी कार्यक्षमता और औसत आय में कमी आती हैं। आंगनबाड़ी और स्कूल आधारित कृमि मुक्ति एक सुरक्षित, सरल एवं कम लागत वाला कार्यक्रम है जिससे आसानी से करोड़ों बच्चों को कृमि मुक्त किया जा रहा है। 

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