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हिंदू शब्द को ‘अछूत’ और ‘असहनीय’ बनाने की कोशिश में कुछ लोग



शिकागो(जी.एन.एस) . उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि कुछ लोग हिंदू शब्द को ‘अछूत’ और ‘असहनीय’ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने हिंदू धर्म के सच्चे मूल्यों के संरक्षण की ज़रूरत पर जोर दिया ताकि ऐसे विचारों और प्रकृति को बदला जा सके जो ‘गलत सूचनाओं’ पर आधारित हैं।


शिकागो में दूसरी विश्व हिंदू कांग्रेस को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि भारत ‘सार्वभौमिक सहनशीलता’ में विश्वास करता है और सभी धर्मों को सच्चा मानता है। हिंदू धर्म के अहम पहलुओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘साझा करना’ और ‘ख्याल रखना’ हिंदू दर्शन के मूल तत्व हैं।



नायडू ने अफसोस जताया कि हिंदू धर्म के बारे में काफी गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा, कुछ लोग हिंदू शब्द को ही अछूत और असहनीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लिहाजा, व्यक्ति को विचारों के सही परिप्रेक्ष्य में देखकर पेश करना चाहिए ताकि दुनिया के सामने हिंदू धर्म के सबसे प्रामाणिक पक्ष पेश हो पाए।



विवेकानंद के बारे में उन्होंने कहा, स्वामी जी हिंदू सस्क़ति की जीती जागती मूर्ति थे। विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को कहा था कि हमने विश्व को सहनशीलता सिखाया है। विवेकानंद द्वारा 1893 में दिए गए ऐतिहासिक भाषण के 125 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में दूसरे विश्व हिंदू कांग्रेस का आयोजन शिकागो में किया गया। तीन दिनों तक चलने वाले इस कांग्रेस में 60 देशों के करीब 250 प्रतिनिधि मंंडल ने भाग लिया और करीब 250 वक्ताओं ने भाषण दिया।

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