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राजस्थान की राह पर क्युं नहिं चलते भाजपा शासित अन्य राज्य…?


(जी.एन.एस) अभी १० सितम्बर को प्रतिपक्ष ने भारत बंद बुलाया। कई राज्यों में इसकी असर देखने को मिली। बंद के एक दिन पहले ही राजस्थान की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पेट्रोल और डीज़ल पर ली जानेवाले वेट में कटौती कर प्रति लीटर 2 रूपये कम किये। आंध्रप्रदेश की चंद्रबाबू की सरकार ने भी बंद के दिन ही दाम घटा कर 2 रूपये कम किये। समूचे भारत में करीब २१ राज्यों में भाजपा की सरकारे है। गोवा में भाजपा सरकार पिछले कई समय से लोगो को पेट्रोल ६० रूपये के भाव से दे रही है। मनोहर पर्रीकर की सरकार ने यह निति बनाई की बाजार में पेट्रोल के दाम चाहे ६० से ऊपर हो लेकिन सरकार ६० रूपये के तय दाम से पेट्रोल देंगी।
राजस्थान में भाजपा सरकार ने दाम कम किये। हो सकता है की चुनाव नजदीक होने की वजह से पेट्रोल डीज़ल के दाम कम किये हो, लेकिन तब तक आम लोगो की जेब में दो रूपये तो बचेंगे। भाजपा के आला नेता यह कहते हुए फुले नहीं समाते की भारत के पौने हिस्से में भाजपा का झंडा लहरा रहा है। 21 राज्यों में भाजपा का राज है तो क्या वे राजे की राह पर चलते हुए पेट्रोल डीजल के दाम कम करेंगे? भाजपा द्वारा ये दलील की जाती है की पेट्रोलियम प्रोडक्ट के बढ़ते दाम का विरोध करनेवाले कोंग्रेस के नेता राहुल गाँधी पहले अपने राज्य में दाम कम करे। दलील दाग अच्छे है की तरह…. अच्छी है। लेकिन भाजपा के ही शब्दों में कहे तो 125 वर्ष पुरानी पार्टी ३ राज्यों में सिमट कर रह गई। यह पार्टी दाम घटायेंकी तो छोटे राज्यों को लाभ मिलेंगा लेकिन भाजपा के 21 राज्य यदि एक साथ दाम कम करे पेट्रोल डीजल के तो पौने भारत की आबादी को इसका फायदा होंगा। भारत की आबादी बढ़कर 130 करोड़ ओर भाजपा शासित 21 राज्यों की आबादी देखे करीब ७०-८० करोड़ तो होंगी ही। यानी ७० करोड़ में व्हीकल ओनर की संख्या १० करोड़ तो होंगी। जो दो पहिया और चार पहिया व्हीकल चलाते होंगे। यु कहा जाय की 21 राज्यों में भाजपा सरकार के एक निर्णय से १० करोड़ लोगो का रोजका 2 रुपया बचे तो राजन २० करोड़ की बचत होंगी तो वे हो सकता है की भाजपा के गुणगान गायेंगे।

सबसे ऊँचा पर्बत माउन्ट एवरेस्ट को दूर से देख कर ही हिलेरी और तेनसिंग थापा ने हार मान ली होती तो वे उसको सर करनेवाले दुनिया के पहले पर्वतारोही नहीं होते। एक कदम आगे बढ़ने की इच्छा या राजनीति में पोलिटिकल वील होना चाहिए. लोगो को रोजाना 2 रूपये की राहत जो सरकार दे न सके उस सरकार को क्या कहेंगे? राजे सरकार ने एक कदम जनता की और बढाया तो चुनाव में जनता सौ कदम चलकर उनका फिर से अभिवादन कर सकती है और फिर से सन्मान होना चाहिए। बात सिर्फ किशोर का गाना- 2 रूपये 12 आना…..की नहीं है। बात सिर्फ रोजाना 2 रूपये की बचत की है। 21 राज्यों की सरकार के निर्णय पर है टिकी लोगो की निगाहें। देखे सरकारों की निगाहों में करम है या सितम…..!!

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