इस्लामाबाद(जी.एन.एस) पाकिस्तान इन दिनों कंगाली का शिकार है। देश के अंदर बढ़ते भुगतान संतुलन के संकट से निपटने के लिए पाकिस्तान ने अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बेलआउट पैकेज की मांग करने का फैसला किया है। पाकिस्तान में इसको लेकर लम्बे समय से उपापोह की स्थिति बनी हुई थी। अब जाकर पाकिस्तान के राजनैतिक नेतृत्व ने आईएमएफ के पास जाने का फैसला लिया है। पाकिस्तान सरकार ने औपचारिक रूप से बेलआउट पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)से मदद मांगने की घोषणा कर दी। शुरुआती हिचकिचाहट दिखने के बाद आखिरकार पाकिस्तान के पीएम ने बेलआउट पैकेज की डिमांड पर मुहर लगाते हुए आईएमएफ के पास जाने का फैसला किया है।
आईएमएफ से संपर्क करने का निर्णय खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का है। इमरान खान ने पहले देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाने के लिए इस तरह के कदमों का विरोध किया था। चुनाव अभियान के दौरान भी इमरान खान ने पूर्व पीएम नवाज शरीफ पर पाकिस्तान को बदहाली के दौर में पहुंचाने के लिए जमकर कोसा था। पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने बताया कि गहन विचार विमर्श के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आईएमएफ के पास जाना स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि आईएमएफ से बातचीत जल्द ही शुरू की जाएगी। पाकिस्तान सरकार पहले भी आईएमएफ से बेलआउट के 12 पैकेज ले चुकी है। और अब वह बेलआउट के लिए जाती है तो यह उसका 13वां बेलआउट होगा। पाकिस्तान इस समय कंगाली की राह पर है।
देश का निर्यात न्यूनतम स्तर पर पहुचं चुका है। कर्ज बढ़ता जा रहा है और आय के स्रोत सीमित होते जा रहे हैं। राजनीतिक अस्थिरता और पैसे का इस्तेमाल आतंकियों को पालने में करने के कारण पाकिस्तान बेहद खराब दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान को अपने खर्च चलाने के लिए पीएम हाउस की भैंसें, कारण और हेलीकॉप्टर बेचने पड़ रहे हैं। हालांकि पाकिस्तान के पास अभी चीन से कर्ज लेने का भी एक विकल्प मौजूद है लेकिन चीन के शर्तों पर पाकिस्तान समझौता नहीं करना चाहता।
पाकिस्तान द्वारा आईएमएफ से बेलआउट पैकेज की डिमांड पर अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कड़ी चेतवानी दी है। आईएमएफ को चेतावनी देते हुए कहा कि बेलआउट के जरिए मिलनेवाली सहायता का प्रयोग पाकिस्तान चीन से लिए कर्ज चुकाने में कर सकता है। बता दें कि अमरीका ने हाल में ही पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता यह कहकर रोक ली थी कि पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाने में असफल रहा था।
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