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कचरा मुक्ति के लिये सरकार के साथ-साथ आमजन का जुड़ाव जरूरीः- जिला कलक्टर


  • जिले में पहली बार हुई ऐसी  कार्यशाला
  • ठोस तरल अपशिष्ट प्रबंधन की दी जानकारी
  • वैज्ञानिक गौशाला प्रबंधन से आय में होगी बढोतरी 
  • शहर को कचरा, चौराहों पर डस्टबिन तथा डम्पिंग स्टेशन मुक्त करने की होगी पहल

श्रीगंगानगर,। नगरपरिषद द्वारा सोमवार को नोजगे पब्लिक स्कूल में ठोस तरल अपशिष्ट प्रबंधन एवं वैज्ञानिक गौशाला प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई। जिसमें मुख्य अतिथि एवं प्रशिक्षक एसएलआरएम के श्री सी.श्रीनिवासन थे।
आयोजित कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्पादन करना है, इसके लिये श्री निवासन ने बताया कि देश के विभिन्न शहरों में जो व्यवस्था की जा रही है, उससे शहरों में सफाई के हालात अच्छे हुए है तथा कचरा डम्पिंग यार्ड से मुक्ति मिली है। कचरा घरों में एकत्रित कर सीधा सेग्रीगेशन यार्ड में जाना चाहिए, जिससे चौराहों पर भरे कचरा पात्रा, बिखरा हुआ कचरा, फिर उठाने की व्यवस्था, फिर डम्पिंग यार्ड में कचरे के ढेर इत्यादि से मुक्ति पाने का सरल तरीका प्रत्येक परिवार को इसमें भागीदार बनना होगा। हर घर में दो कचरा पात्रा लाल व हरा दिया जायेगा। साथ में एक पेम्पलेट दिया जायेगा, जिसमें बताया जायेगा कि हरी बाल्टी में ओर्गेनिक अवशेष तथा लाल बाल्टी में इनओर्गेनिक अवशेष डालने होंगे।
स्वयं सहायता समूहों, वर्करों के माध्यम से ई-रिक्शा या मानव रिक्शा द्वारा प्रतिदिन सुबह और सायं घरों से कचरा एकत्रित किया जायेगा। रिक्शे में दो पार्ट होंगे। एक पार्ट में लाल बाल्टी का कचरा तथा दूसरे पार्ट में हरी बाल्टी का कचरा डालकर सेग्रीगेशन स्थल तक ले जाया जायेगा। जहां एक घंटे में ओर्गेनिक अवशेषों को नजदीक की गौशालाओं में भिजवाया जायेगा तथा इनओर्गेनिक को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर उसका सदुपयोग किया जायेगा।
इस अवसर पर जिला कलक्टर श्री शिवप्रसाद मदन नकाते ने कहा कि कचना प्रबंधन के लिये अकेली सरकार स्तर के प्रयासों के साथ-साथ आमजन की भागीदारी  होने से यह कार्य सफल होगा। शहर को कचरा मुक्त करने के लिये घर-घर से कचरे का संग्रहण की विधि उपयुक्त है। आमजन में इस बात की जागृति होनी चाहिए कि प्रत्येक घर में हरा व लाल कचरा पात्रा हो तथा दोनों में अलग-अलग ओर्गेनिक व इनओर्गेनिक कचरा डालने की आदत बने तथा इसका नियमित उठाव कर वैज्ञानिक विधि से निस्पादन करने से इस समस्या से निपटा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि शहर में जगह-जगह फैलता कचरा, डम्पिंग स्टेशन पर भी कचरे के ढेर, प्लास्टिक व कचरे से अटी नालियां इन सभी समस्याओं का पार्ट हम लोग है, तो इसके समाधान का पार्ट भी हम लोगों को बनना होगा, तभी इस समस्या से निजात पाई जा सकती है।

जिला कलक्टर ने कहा कि गौशालाओं को भी लाभ में लाया जा सकता है। बेसहारा पशु भी हमारे जीवन में उपयोगी बन सकते है। चिकित्सीय संस्थान, होटल, मैरिज पैलेस, शिक्षण संस्थाओं को भी कचरे का वैज्ञानिक विधि से निपटारा करने के लिये आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला बहुत उपयोगी कार्यशाला है, जिसमें कचरे का निस्पादन, गौशालाओं को लाभ की स्थिति में लाना, बायोगैस, पशुओं के गोबर व गौमुत्रा से विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने की विधिया भी बताई गई है। हम सभी को अपने-अपने स्तर पर इसकी शुरूआत करनी होगी। स्थानीय निकायों को आगे आकर इसकी पहल करनी होगी।
गंगानगर विधायक श्री राजकुमार गौड ने कहा कि पशु हमारे जीवन का एक हिस्सा है। उनके बिना मानव जीवन नही चल सकता। दुधारू पशुओं के अलावा बिना दुध वाले पशुओं को छोड देने की प्रवृति से आज शहरों व गांवों में बेसहारा पशु घूमते है। गौशालाओं में भी इतनी क्षमता नही होती कि इन सभी को गौशालाओं में भेजे जाये। इस कार्यशाला की उपयोगिता यही है कि प्रत्येक संस्थान व प्रत्येक नागरिक की भागीदारी होनी चाहिए। घरों से निकलने वाला कचरा सीधा सेग्रीगेशन स्थल पर जाये तथा उसका निपटारा हो। बेसहारा पशुओं से दुर्घटनाये होती है तथा इस जिले में कई नागरिकों की मृत्यु भी हो चुकी है, यह गंभीर समस्या है।
आयोजित कार्यशाला में उपस्थित नागरिकां से घरों से निकलने वाले अवशेष को अलग-अलग बाल्टियों में डालने का प्रायोगिक तौर पर अभ्यास करवाया गया। कार्यशाला में बताया गया कि प्रत्येक घर से खाद्य वस्तुओं के अवशेष तथा कारखानों से जनित उत्पाद को किस प्रकार से अलग-अलग बाल्टियों में डालने है। घरों से अलग-अलग कचरा इकट्ठा कर अंतिम स्तर तक निस्पादन करने की प्रक्रिया बताई गई। कार्यशाला में शहर को कचरा, चौराहों के कचरा पात्रा, डम्पिंग यार्ड से मुक्ति की जानकारी दी गई। गौशालाओं की आय बढाने की अनेक जानकारियां दी गई। इसके अलावा घर की छतों पर सब्जियां उगाने की महत्वपूर्ण जानकारी बताई गई। कार्यशाला में गायों द्वारा प्लास्टिक की थैलियां खाने से उनकी मौत हो जाती है। मृत गायों के पोस्टमार्टम से सामने आया कि उनके पेट में 10 किलों से 80 किलो तक का प्लास्टिक कचरा पाया गया है।
कचरा प्रबंधन के लिये जिले में पहली बार इस प्रकार की प्रभावशील कार्यशाला आयोजित हुई है। आयोजित कार्यशाला में जिले के जनप्रतिनिधियों, नगरपरिषद अध्यक्ष श्री अजय चांडक, जिला प्रमुख श्रीमती प्रियंका श्योरान, सभी विकास अधिकारियों, प्रधानों, सभी नगर पालिकाओं के अधिशाषी अधिकारियों, नगर पालिका के चैयरमैन, नगर परिषद के सभापति, आयुक्त, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों, धार्मिक संगठनों के पदाधिकारियों, शिक्षण संस्थाओं के प्रधानाचार्य, अनाज मंडियों के अधिकारियों व अध्यक्षों, व्यापार मण्ड़ल के पदाधिकारियों, सब्जी मंडियों के अधिकारियों व उनके अध्यक्षों, विभिन्न चिकित्सालयों के संचालकों, सेना एवं सुरक्षा बलों के अधिकारी, मीडिया के प्रतिनिधि, मैरिज पैलेस, होस्टल संचालक, विभिन्न सामाजिक क्लब, लायंस क्लब के अलावा अन्य जागरूक नागरिक, गौशाला संचालकों ने इस कार्यशाला में भाग लिया।

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