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जन्म-मृत्यु के आंकडों से ही विकास की परियोजनाएं बनती हैः- जिला कलक्टर


जन्म-मृत्यु का पंजीकरण बहुत जरूरी
श्रीगंगानगर। जिला कलक्टर एंव अतिरिक्त मुख्य रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) श्री शिवप्रसाद मदन नकाते ने कहा कि जन्म-मृत्यु का पंजीयन एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जिसकी जन्म से लेकर जीवन पर्यन्त उपयोगिता बनी रहती है। जन्म-मृत्यु के सही पंजीयन व आंकडों से देश में निर्माण व विकास की परियोजनाएं बनती है। जन्म-मृत्यु की सूचना सही नही होने पर विकास योजनाओं के निर्माण पर विपरीत असर पडता है।
जिला कलक्टर बुधवार को जिला परिषद सभा हॉल में जिला स्तरीय जन्म-मृत्यु एवं विवाह पंजीयन प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जन्म-मृत्यु व विवाह का पंजीयन करते समय एक-एक प्रविष्ट को बहुत ही सावधानीपूर्वक करनी चाहिए। गलत प्रविष्टि होने से संबंधित व्यक्ति, परिवार को परेशानी झेलनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण प्रशिक्षण है। इसकी गंभीरता को समझें। जिला कलक्टर के निर्देशानुसार प्रशिक्षण के पश्चात सभी प्रतिभागियों को एक प्रश्नावली हल करने के लिये दी गई।
प्रशिक्षण में जिला चिकित्सालय के पीएमओ उपस्थित नही होने के कारण जिला कलक्टर ने इसे गंभीरता से लिया तथा चार्जशीट देने के निर्देश दिये। प्रशिक्षण में बताया गया कि जन्म प्रमाण पत्रा समाज कल्याण योजनाओं का लाभ लेने, बच्चे का प्रथम अधिकार, पहचान, विधालय में प्रवेश, ड्राईविंग लाईसेंस एवं पासपोर्ट बनवाने में बीमा, राशन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता सूची में नाम जुडवाने तथा विवाह के लिये आयु का विधिक दस्तावेज है। इसी प्रकार मृत्यु प्रमाण पत्रा पैतृक व सम्पति के अधिकार के स्थापना के लिये, पेंशन बीमा के दावों, सम्पति के दावों तथा भूमि का नामांतरण करवाने में उपयोगी है।
प्रशिक्षण मे जानकारी दी गई कि जन्म और मृत्यु की घटना घटित होने के 21 दिन के अंदर रिपोर्ट की जा सकती है। 21 दिन बाद भी पंजीकरण हो सकता है। बच्चे के बिना नाम के पंजीकरण और बाद में नाम जुडवाने की अनुमति का प्रावधान है। शहरी क्षेत्रा में जिला रजिस्ट्रार एवं आयुक्त नगरपरिषद, रजिस्ट्रार एवं अधिशाषी अधिकारी नगरपालिका एवं उपरजिस्ट्रार एवं प्रभारी अधिकारी सीएचसी एवं पीएचसी पंजीयन का प्रावधान है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रा में रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु एवं ग्राम विकास अधिकारी एवं उपरजिस्ट्रार, प्रभारी अधिकारी सीएचसी एण्ड पीएचसी स्तर पर प्रावधान है।
प्रशिक्षण में बताया गया कि जन्म-मृत्यु के 21 दिन के अंदर किया गया पंजीयन प्रमाण पत्रा निशुल्क है। प्रमाण पत्रा की अतिरिक्त प्रतियों के 5 रूपये प्रति कॉपी फीस है। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्रा में प्रविष्टियों को ठीक या रद्द, निरस्त तथा रिकार्ड मय संशोधन का प्रावधान है। नाम परिवर्तन के लिये गजट नोटिफिकेशन का विकल्प दिया गया है। नाम संशोधन के लिये 50 रूपये का ऐफिडेविट बनवाकर नोटेरी से सत्यापित करवाकर तथा नोटेरी का पूरा नाम व पता लिखवाना होगा। 1050 रूपये का डीडी अधीक्षक राज्य केन्द्रीय मुद्राणालय जयपुर राजस्थान के नाम बनवाना होगा। उक्त दस्तावेज रजिस्टर्ड डाक व व्यक्तिश जमा करवा सकते है। इस प्रक्रिया में 45 दिवस के अंदर नाम संशोधन होगा। एकल अभिभावक, अविवाहित माता की स्थिति में जन्म रजिस्ट्रेशन का प्रावधान है।
जन्म-मृत्यु पंजीयन वेब पोर्टल ‘पहचान‘
जिला कलक्टर श्री नकाते ने बताया कि रजिस्ट्रीकरण के कार्य को आमजन के लिये अधिक सुगम बनाने हेतु कार्य में पारदर्शिता व गति लाने के उद्देश्य से सम्पूर्ण कार्य को ऑनलाईन सम्पादित करने के लिये आयोजना विभाग व आर्थिक सांख्यिकी द्वारा वेब पोर्टल पहचान तैयार किया गया है। राज्य में जन्म-मृत्यु पंजीकरण के कार्य को ऑनलाईन किया जा सकता है। वेब पोर्टल (pehchan.raj.nic.in) है। ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ कम्प्यूटरीकृत प्रमाण पत्रा जारी करने का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य जन्म-मृत्यु की घटनाओं का शत-प्रतिशत पंजीयन, पंजीकरण कार्य में लगने वाले समय को कम करना, कागजी कार्यवाही को कम करते हुए प्रक्रिया को सरल बनाना, आमजन को स्वच्छ व सुपाठय, कम्प्युटरीकृत प्रमाण पत्रा उपलब्ध करवाना है। वेब पोर्टल से नागरिकों को पंजीकरण की एसएमएस व ईमेल से सूचना मिलेगी। दोहरी प्रविष्टियां नही होगी। कम्प्यूटरीकृत डाटाबेस तैयार होगा। ईमित्रा के माध्यम से जन्म-मृत्यु पंजीयन के लिये आवेदन किया जा सकता है।
इस अवसर पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं उपमुख्य रजिस्ट्रार श्री सौरभ स्वामी, सहायक निदेशक सांख्यिकी एवं जिला रजिस्ट्रार ( जन्म-मृत्यु ) श्री गिर्राज प्रसाद मीणा, डॉ. मुकेश मेहता सहित जिले के चिकित्सा प्रभारी, ब्लॉक सीएमएचओ, ब्लॉक साख्यिंकी अधिकारी, विकास अधिकारियों व नगरपालिका के अधीशाषी अधिकारियों ने भाग लिया। 

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