हनुमानगढ़। रिश्वत में महज बारह सौ रुपए की रिश्वत लेना तत्कालीन हल्का पटवारी को महंगा पड़ गया। बारह साल तक कानूनी दांव से खुद को पाक साफ बताने का प्रयास किया लेकिन अदालत ने इस रिश्वतखोर पर रहम नहीं किया। अब इस रिश्वतखोर पटवारी को दो साल कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा भुगतनी होगी। करीब बारह साल पहले कृषि भूमि की जमाबंदी के एवज में बारह सौ रुपए की रिश्वत ली थी। यह निर्णय बुधवार को यहां विशिष्ट न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम प्रकरण) रवीन्द्र कुमार ने सुनाया। इस मामले के तथ्यों के अनुसार हनुमानगढ़ जिले के चौहलांवाली गांव निवासी भागीरथ (22) पुत्र ओमप्रकाश जाट ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो हनुमानगढ़ में 26 मई 2007 को शिकायत की थी। इसमें बताया कि उसके पिता के नाम से चक 14 एमडब्ल्यूएम में 22 बीघा कृषि भूमि है।
इस कृषि भूमि पर किसान गोल्डन कार्ड बनाने के लिए उसे जमाबंदी की जरूरत हुई तो उसने हल्का पटवारी नेतराम शर्मा पुत्र ओंकारलाल से संपर्क किया। इस पटवारी ने जमाबंदी के एवज में पन्द्रह सौ रुपए मांगे, तीन सौ रुपए हाथों हाथ दे दिए और शेष राशि दो दिन बाद देना तय हुई।इस बीच ब्यूरो ने इस पटवारी के फोन पर रिश्वत के लेनदेन की रिकॉर्डिग कर ली गई। इस रिकॉर्डिग में भी बकाया रिश्वत की राशि बारह सौ रुपए मांगने की पुष्टि हुई। इस संबंध में ब्यूरो टीम ने 28 मई 2007 को गांव चौहिलांवाली में पटवार घर पर जाल बिछाया और जैसे ही पटवारी पीलीबंगा वार्ड 15 निवासी नेतराम शर्मा ने एक सौ रुपए के बारह नोट कुल बारह सौ रुपए की रिश्वत जैसे ही ली तो ब्यूरो टीम ने उसे पकड़ लिया।
इन नोटों पर लगे अदृश्य रंग हाथ धुलवाते हुए नजर आया तो गिरफ्तार किया गया।इस कोर्ट में हनुमानगढ़ की तत्कालीन जिला कलक्टर मुग्धा सिंहा, एसीबी के अधिकारी रिद्ध करण कौशिक, परिवादी भागीरथ जाट समेत कईयों की गवाही दी, इन गवाहों के बयानों और अभियोजन पक्ष के ठोस साक्ष्य के आधार पर अदालत ने आरोपी हल्का पटवारी को दोषी मानते हुए दो साल कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
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