Sunday, 31 March 2019

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Report Exclusive श्रीगंगानगर:- केन्द्रीय सहकारी बैंक में 15 करोड़ का ऋण फर्जीवाड़ा,एक शाखा प्रबंधक बर्खास्त,चार को निलम्बित किया
Report Exclusive श्रीगंगानगर:- केन्द्रीय सहकारी बैंक में 15 करोड़ का ऋण फर्जीवाड़ा,एक शाखा प्रबंधक बर्खास्त,चार को निलम्बित किया
श्रीगंगानगर। दी गंगानगर केन्द्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (जीकेएसबी) के अधीन रावला, बींझबायला, श्रीबिजयनगर, समेजा कोठी, घड़साना, जैतसर और रायसिंहनगर सहित कई शाखाओं में लगभग 15 करोड़ के उजागर हुए किसान ऋण फर्जीवाड़े में आज कई अधिकारी नप गये। सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार के निर्देश पर जीकेएसबी के प्रबंध निदेशक भूपेन्द्र ज्याणी ने आज एक शाखा प्रबंधक को बर्खास्त (सेवा समाप्त) कर दिया। चार अधिकारियों को निलम्बित किया गया है। चार शाखा प्रबंधकों पर कठोर कार्रवाई की गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार रजिस्ट्रार (सहकारी समितियां) द्वारा इस फर्जीवाड़े की जांच करवाई गई थी।
जांच रिपेार्ट मिलने के बाद अतिरिक्त रजिस्ट्रार (बैंकिंग) भोमाराम द्वारा गत दिवस निर्देश दिये गये, जिस पर आज जीकेएसबी मुख्यालय ऑफिस में वरिष्ठ प्रबंधक (ऋण) पवन शर्मा, वरिष्ठ प्रबंधक (परिचालन) विकास गर्ग, बींझबायला शाखा के प्रबंधक ऋषिराज डूडी और श्रीबिजयनगर शाखा के तत्कालीन प्रबंधक कुन्दनलाल स्वामी को निलम्बित कर दिया गया है। रावला शाखा के प्रबंधक साहबराम सोमटा की सेवाएं समाप्त करते हुए बर्खास्त कर दिया गया है। विशेष बात ये है कि सोमटा कल रविवार को सेवानिवृत्त होने वाले थे। इनके अलावा पुरानी धानमण्डी रायसिंहनगर शाखा के प्रबंधक गणेश पासवान, नई धानमण्डी रायसिंहनगर शाखा के प्रबंधक अनिल गुप्ता, जैतसर शाखा प्रबंधक जगराम मीणा और समेजा कोठी शाखा प्रबंधक रामप्रताप पर बैंक के स्तर पर कठोरतम कार्यवाही की गई है। प्रबंध निदेशक भूपेन्द्र ज्याणी ने बताया कि जिस तरह के निर्देश मिले थे, उन पर आज ही क्रियान्विती कर दी गई।
ऐसे किया गया फर्जीवाड़ा
पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले यह चर्चा आम होने लगी थी कि प्रदेश सरकार किसानों के कर्ज माफ करने वाली है। इन चर्चाओं को और बैंक में फंड की कमी को देखते हुए जीकेएसबी के तत्कालीन कार्यवाहक प्रबंधक दीपक कुक्कड़ ने सभी शाखाओं के प्रबंधकों को परिपत्र जारी कर नये फसली ऋण देने पर 17 सितम्बर 2018 को रोक लगा दी थी। यह रोक लगाये जाने के बावजूद रावला, बींझबायला, श्रीबिजयनगर, समेजा कोठी और रायसिंहनगर शाखाओं के प्रबंधकों ने न केवल सहकारी समितियों के पुराने सदस्य किसानों की के्रडिट लिमिट (साख सीमा) बनाई, जिसके आधार पर उन्होंने ऋण उठा लिये, बल्कि नये सदस्य बनाकर उनकी भी अधिकतम सीमा की साख बना दी।
नियमानुसार नये सदस्यों को दस हजार से अधिक का ऋण नहीं दिया जा सकता था। फिर भी उनकी एक लाख से डेढ़ लाख तक की साख सीमा बनाई गई। सबसे ज्यादा इस तरह का ऋण फर्जीवाड़ा रावला और बींझबायला शाखाओं में किया गया। इन दोनों शाखाओं में करीब 11 करोड़ के ऋण रो के बावजूद दिये गये। इसके कुछ दिनों बाद ही सरकार ने किसान कर्जमाफी की घोषणा कर दी। नई बनी कांग्रेस सरकार ने भी सत्तारूढ़ होते ही किसान कर्जमाफी का ऐलान कर दिया, जिसके तहत करीब 15 करोड़ के यह कर्जे भी माफ हो गये। इसकी शिकायत होने पर जयपुर मुख्यालय से जांच के आदेश दिये गये। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस घपले की जांच के लिए दस सरकारी निरीक्षकों की चार टीमें बनाई गईं। इन टीमों ने कई दिन तक जांच-पड़ताल की। इनकी रिपोर्ट प्रबंध निदेशक के माध्यम से मुख्यालय जयपुर को भेजी गई। बैंक सूत्रों के अनुसार उक्त अधिकारियों पर आज ऊपर से मिले निर्देशानुसार कार्यवाही कर दी गई। अब इनको 16 सीसी की चार्जशीट भी दी जायेगी। यह चार्जशीट इनके घपले सम्बंधी रिकॉर्ड की पूरी रिपेार्ट आने पर दी जायेगी।
इस तरह जुटाया घोटाले का फंड
यह फर्जीवाड़ा करने के लिए शाखा प्रबंधकों का बैंक मुख्यालय के दो अधिकारियों ने पूरा साथ दिया। एक तरफ बैंक के पास किसानों को कर्ज देने के लिए फंड नहीं था, दूसरी तरफ फर्जीवाड़ा करने के लिए फंड बड़ी होशियारी से जुटाया गया। शाखाओं में नकदी के परिचलन पर नजर रखने का दायित्व पवन शर्मा का था। वही शाखा प्रबंधकों को निर्देश देते थे कि उनके यहां पड़ी अतिरिक्त राशि किस शाखा को स्थानांतरित करनी है। उन्होंने जान-बूझकर उन शाखाओं को पैसा स्थानांतरित करवाया, जहां फर्जी ऋण दिये जा रहे थे। ऋण वितरण की निगरानी विकास गर्ग के जिम्मे थी। जब यह ऋण दिये जा रहे थे, उन्होंने भी आंखें बंद कर लीं।
घपलों-फर्जीवाड़ों से पुराना नाता
किसान कर्जमाफी के घपले का जीकेएसबी में यह कोई पहला मामला नहीं है। जीकेएसबी का घपलों, फर्जीवाड़ों और अनियमितताओं से पुराना नाता है। इसके चलते बैंक की विश्वसनीयता हमेशा ही संदेह के घेरे में रही है। पूर्व में भी कई घपले-फर्जीवाड़ों के चलते अनेक अधिकारियों पर कार्यवाहियां हुई हैं। भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के मुकदमे भी थानों और अदालतों में चल रहे हैं। कतिपय अधिकारी रिश्वत लेते हुए रंगेे हाथ पकड़े गये हैं। जिला कलक्ट्रेट के नजदीक जीकेएसबी के मुख्यालय की इमारत घपलों-घोटालों के रूप में ही जानी जाती है। अब इस नये मामले ने इस बैंक की विश्वसनीयता को और भी खराब कर दिया है।
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