एसीबी ने नगरपरिषद में स्वास्थ्य अधिकारी को उसी के कार्यालय में रिश्वत लेते पकड़ा
श्रीगंगानगर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने शुक्रवार को नगरपरिषद में स्वास्थ्य अधिकारी सुमित फुटेला को दस हजार रुपये की रिश्वत की राशि लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा, तो उससे 76 हजार की संदिग्ध राशि और बरामद हुई। इस राशि के बारे में स्वास्थ्य अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। राशि को संदिग्ध मानते हुए जब्त कर लिया गया। दोपहर लगभग डेढ़ बजे ब्यूरो की स्थानीय चौकी के प्रभारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेद्र ढिढारिया के नेतृत्व वाली टीम ने नगरपरिषद में आकर संविदा के आधार पर लगे हुए स्वास्थ्य अधिकारी सुमित फुटेला को उसी के कार्यालय में परिवादी आशीष बजाज से दस हजार की राशि लेते हुए दबोचा, तो परिषद के अन्य कार्यालयों में हडक़म्प मच गया। उस समय अधिकांश कर्मचारी लंच टाइम होने के कारण अपने-अपने दफ्तरों से निकल ही रहे थे। उन्हें जैसे ही पता चला, वे एक बार तो परिषद में आये, लेकिन फिर खिसक गये। नगरपरिषद में आम तौर पर आयुक्त, लेखाधिकारी, राजस्व अधिकारी, सभापति तथा उपसभापति अपने-अपने कार्यालयों में कम ही दिखाई देते है। आज भी जब यह कार्यवाही हुई तो इनमें से कोई भी अपने कार्यालयों में नहीं था। कार्यवाही के दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र ढिढारिया ने बताया कि मीरा चौक के पास रहने वाले परिवादी आशीष पुत्र ओमप्रकाश बजाज ने कल गुरुवार को शिकायत की थी कि स्वास्थ्य अधिकारी उसे मासिक तौर पर दस-बारह हजार की रिश्वत देने को मजबूर कर रहा है। आशीष बजाज प्लास्टिक डिस्पोजल का सामान बेचने का व्यवसाय करता है।
वह पॉलीथिन की थैलियां भी बेचता है। ढिढारिया के अनुसार नई धानमण्डी परिसर की फल सब्जी मण्डी में आशीष बजाज पॉलीथिन की थैलियों व डिस्पोजल के अन्य सामान का अड्डा लगाता है। सुमित फुटेला ने उस पर दो बार कार्यवाही की। वह उसके अड्डे से पॉलीथिन की थैलियां जब्त करके ले आया, लेकिन उस पर नियमानुसार कानूनी कार्यवाही नहीं की। सुमित फुटेला उसे लगातार ब्लैकमेल कर रहा था कि अगर उसने मासिक नजराना देना शुरू नहीं किया तो वह उसके खिलाफ पॉलीथिन थैलियों का मामला दर्ज करवा देगा। पूर्व में दो बार जब्त किये गये सामान और आगे कोई कार्यवाही न करने की एवज में उसने रिश्वत मांगी थी। कल गुरुवार को ही इस शिकायत का सत्यापन करवाया गया, जोकि सही पाई गई। आज दोपहर परिवादी आशीष को अदृश्य रंग लगाकर दस हजार के नोट देने के लिए सुमित फुटेला के पास भेजा। उसने जैसे ही कार्यालय में जाकर फुटेला को यह रकम दी, उसे रंगे हाथ पकड़ लिया गया। तलाशी ली गई तो उसके पहने हुए कपड़ों में 76 हजार रुपये और मिले। इस बाबत सुमित का कहना था कि यह राशि उसे कोई नगरपरिषद की रसीद कटवाने के लिए दे गया था। सुमित पूछताछ में नहीं बता सका कि राशि कौन दे गया था और किस तरह के शुल्क की रसीद कटवाई जानी थी। लिहाजा संदिग्ध मानते हुए इस राशि को जब्त कर लिया गया।
Photo:-सुमित फुटेला |
भाजपा नेत्री का पुत्र
नगरपरिषद में सुमित फुटेला वर्ष 2000 से संविदा के आधार पर कार्यरत है। उसका हर वर्ष कॉन्ट्रेक्ट का नवीनीकरण किया जाता है। सुमित फुटेला, भाजपा की वरिष्ठ नेत्री पुष्पा फुटेला का पुत्र है। पुष्पा फुटेला को कुछ दिन पहले ही भाजपा महिला मोर्चा की नगर मंडल के अध्यक्ष पद से जिला उपाध्यक्ष पद पर पदोन्नत किया गया था। भाजपा के पिछले शासनकाल के दौरान सुमित फुटेला की नगरपरिषद में तूती बोलती थी। आज उसकी बोलती बंद हो गई।
हटाया तो स्टे ले आया
नगरपरिषद ने पिछले वर्ष सुमित फुटेला का संविदा के आधार पर कार्यकाल को बढ़ाने से इंकार कर दिया था। उसका कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया, तो उसकी सेवाएं स्वत: समाप्त हो गई थीं, लेकिन इसके खिलाफ सुमित फुटेला ने जोधपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। उसने आधार बताया कि वह 17-18 वर्षांे से कार्यरत है। एकाएक उसकी सेवाएं समाप्त नहीं की जा सकती। हाईकोर्ट ने उसे हटाये जाने पर स्टे दे दिया। इसके बाद वह पुन: नगरपरिषद में कार्य करने लगा। खास बात ये है कि सुमित फुटेला को स्वास्थ्य अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेवारी दी हुई थी। उस पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं।
निरीक्षण करने जाने वाला था
एसीबी द्वारा ट्रेप किये जाने से पहले सुमित फुटेला अपने कार्यालय में बैठकर नगरपरिषद की गाड़ी का इंतजार कर रहा था। उसने ब्लॉक एरिया में एक पीजी हॉस्टल व एक होटल का निरीक्षण करने जाना था। बताया जाता है कि इस सम्बंध में नगरपरिषद को कोई शिकायत मिली थी। निरीक्षण कल गुरुवार को करना था, लेकिन सुमित फुटेला ने इसे किसी अज्ञात कारणों से टाल दिया। आज वह गाड़ी का इंतजार कर रहा था, उससे पहले आशीष से रिश्वत लेते हुए एसीबी के हत्थे चढ़ गया।
किसी और का नाम नहीं, आश्चर्य!
नगरपरिषद के कण-कण में भ्रष्टाचार समाया हुआ है। यह सम्भवत: प्रदेश की पहली और वाहिद नगरपरिषद है, जिसने भ्रष्टाचार को भी सरकारी व्यवस्था के रूप में अपनाया हुआ है। हर काम में कमिशन और हर काम के बदले नजराना-शुल्क तय है। ठेकेदारों को भुगतान करने से पहले कमिशन लेना, हर प्रकार की खरीददारी में कमिशनखोरी, सफाई ठेके में बेनामी हिस्सेदारी और दफ्तर में काम करवाने आने वाले हर व्यक्ति से अपना नजराना लेना नगरपरिषद का अधिकारी अथवा कर्मचारी अपना परम धर्म मानता है। सुमित फुटेला आज जब रिश्वत लेते पकड़ा गया तो परिषद में चहुंओर चर्चा फैली कि अब बड़े भी फसेंगे, क्योंकि सुमित फुटेला सबको ही हिस्सा बांटता है। आश्चर्य तब हुआ, जब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र ढिढारिया ने बताया कि पूछताछ में सुमित फुटेला ने इस रिश्वतखोरी मेें परिषद के किसी ओर कर्मचारी व अधिकारी की हिस्सेदारी होने से इंकार किया है। मगर सूत्रों का कहना है कि या तो सुमित फुटेला बचाव कर रहा है या फिर एसीबी वाले बचाव कर रहे हैं।
आज कोर्ट में पेश करेंगे
सुमित फुटेला को कल शनिवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की विशेष अदालत में पेश किया जायेगा, जोकि जिला परिषद के पीछे स्थित है। अवर एसपी राजेन्द्र ढिढारिया ने बताया कि सुमित फुटेला अपने परिवार के साथ रहता है। संयुक्त परिवार होने के कारण उसके घर की सर्चिंग नहीं की जायेगी। अलबत्ता उसके बैंक अकाउंट को अवश्य चैक किया जायेगा।
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