रिपोर्ट/बिहार के मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार से लगातार मरते बच्चों ने पुरे सिस्टम की पोल खोलकर रख दी हैं।बिहार सरकार फिर बच्चों की मौत को लेकर सवालों के घेरे में हैं कि आखिर स्वास्थ्य महकमा बीमारी पर कंट्रोल क्यों नही पा रहा हैं।बिहार में चमकी बुखार से अब तक लगभग 145 बच्चों की जान जा चुकी हैं। जबकि मुजफ्फरपुर में 127 बच्चों ने दम तोड़ दिया हैं।बिहार के मुख्यमंत्री मामलें पर चुपी साधे हुये हैं।मीडियाकर्मीयों को भी नीतीश कुमार जबाब देने की बजाये भागते नजर आते हैं।बही लोग बच्चों को बीमारी से बचाव हेतु कही दूसरी जगह पलायन कर रहे हैं।मासूमों की मौत ने पुरे देश को हिलाकर रख दिया हैं।
वैशाली जिले के हरबंशपुर का गांव तोला में एक ही दिन में मां के दो दो लाल खत्म हो गये।वह सवाल पुछ रही हैं की आखिर मेरे बच्चों ने कोनसा गुनाह किया था जिसके कारण भगवान ने हमसे छिन लिया।यहा के गांव में अब एक भी बच्चा नही हैं सबको सुरक्षित स्थान पर भेजा जा चुका हैं।
क्या ईक्कसींवी सदी के भारत में दिमागी बुखार पर कोई दवा नही बनी जो बच्चों को मरने से बचा सके।हालात बता रहे हैं की स्वास्थ्य सेवाओं में कमी हैं।सरकार को जनता की परवाह नही हैं।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 1977 में पहली बार इस बीमारी का पता चला था।लेकिन आज तक बीमारी का कारण नही खोजा जा सका जबकि चमकि बुखार से 1977 के बाद एक लाख से ज्यादा बच्चे मर चुके हैं।इससे बड़ी नाकामी क्या हो सकती हैं।
वैशाली जिले के हरबंशपुर का गांव तोला में एक ही दिन में मां के दो दो लाल खत्म हो गये।वह सवाल पुछ रही हैं की आखिर मेरे बच्चों ने कोनसा गुनाह किया था जिसके कारण भगवान ने हमसे छिन लिया।यहा के गांव में अब एक भी बच्चा नही हैं सबको सुरक्षित स्थान पर भेजा जा चुका हैं।
क्या ईक्कसींवी सदी के भारत में दिमागी बुखार पर कोई दवा नही बनी जो बच्चों को मरने से बचा सके।हालात बता रहे हैं की स्वास्थ्य सेवाओं में कमी हैं।सरकार को जनता की परवाह नही हैं।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 1977 में पहली बार इस बीमारी का पता चला था।लेकिन आज तक बीमारी का कारण नही खोजा जा सका जबकि चमकि बुखार से 1977 के बाद एक लाख से ज्यादा बच्चे मर चुके हैं।इससे बड़ी नाकामी क्या हो सकती हैं।
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