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जिले के छह लाख से अधिक नौ माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को लगेंगे खसरा-रूबेला के इंजेक्शन

विभागों के आपसी समन्वय से सफल बनाएं एमआर इंजेक्शन अभियान - जिला कलेक्टर
जिले के छह लाख से अधिक नौ माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को लगेंगे खसरा-रूबेला के इंजेक्शन
श्रीगंगानगर। राष्ट्रीय अभियान खसरा-रूबेला इंजेक्शन को सभी संबंधित विभाग आपसी समन्वय व बेहतर तालमेल के साथ सफल बनाएं और लक्ष्य तय करें कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे।
ये निर्देश जिला कलेक्टर श्री शिवप्रसाद मदन नकाते ने मंगलवार को जिला परिषद सभागार में आयोजित एमआर (मिजल्स-रूबेला) की जिला टास्क फोर्स कमेटी की बैठक में विभागाधिकारियों व चिकित्सा अधिकारियों को दिए। बैठक में सीईओ सौरभ स्वामी, सीएमएचओ डॉ. नरेश बंसल, आरसीएचओ डॉ. अजय सिंगला व डिप्टी सीएमएचओ डॉ. करण आर्य सहित आईसीडीएस, शिक्षा विभाग आदि के अधिकारी, जनप्रतिनिधि व बीसीएमओ आदि मौजूद रहे। वही डब्लयूएचओ प्रतिनिधि ने पीपीटी के माध्यम से अभियान की जानकारी दी।
जिला कलेक्टर श्री नकाते ने बताया कि प्रदेश सहित जिले में 22 जुलाई से खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान प्रारंभ होगा, जो मुख्यतः स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रो में आयोजित होगा। वही मोबाइल टीमों के जरिए भी टीकाकरण होगा। इस दौरान नौ माह से 15 वर्ष की आयु वर्ग तक के बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए खसरा-रूबेला के टीके लगाए जाएंगे। यह टीका खसरा-रूबेला रोगों से बचाव का सशक्त तरीका है। खसरा एवं रूबेला रोग के टीका लगाने से इसके प्रसार एवं खतरों को रोका जा सकता है। इसी उद्देश्य से प्रदेश के नौ माह से 15 वर्ष तक की आयु के करीब ढाई करोड़ बच्चों जिनमें श्रीगंगानगर के करीब छह लाख बच्चों को टीके लगाने के लिए खसरा-रूबेला अभियान प्रारम्भ किया जा रहा है। खसरा एक जानलेवा एवं तीव्र गति से फैलने वाला खतरनाक संक्रामक रोग है। यह रोग प्रभावित रोगी के खांसने व छींकने से फैलता है। इसके प्रभाव से बच्चों में निमोनिया, दस्त एवं मस्तिष्क में संक्रमण जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है। यह रोग नवजात शिशुओं एवं बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण भी है। हालांकि विभाग की ओर से वर्तमान में खसरा के निःशुल्क टीके नियमित टीकाकरण अभियान के तहत लगाए जा रहे हैं लेकिन यह अतिरिक्त डोज के रूप में टीका लगाया जाएगा। इसी प्रकार गर्भावस्था के आरम्भ से ही महिला को रूबेला का संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है। इससे शिशु में जन्मजात रूबेला सिन्ड्रोम हो सकता है। इसके कारण शिशु में अंधापन, बहरापन, मानसिक विमंदता एवं दिल की बीमारी हो सकती है। रूबेला संक्रमण से गर्भवती महिला में गर्भपात एवं मृत शिशु जन्म की संभावना भी बढ़ जाती है। यही वजह है कि इन बीमारियों पर पूर्णतः काबू पाने के लिए टीकाकरण अभियान प्रारंभ किया जा रहा है। बैठक में पीआरओ रामकुमार पुरोहित, डीपीएम विपुल गोयल, नकुल शेखावत, सीओआईईसी विनोद बिश्रोई व आईसीडीएस के विजय कुमार सहित अन्य अधिकारीगण शामिल हुए। 

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