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औषधि विभाग द्वारा दो इस्तगासे दायर


श्रीगंगानगर। औषधि विभाग श्रीगंगानगर द्वारा फर्म परफैक्ट कोरपरेशन, रोहित कॉम्लैक्स श्रीगंगानगर से औषधि नियंत्रण अधिकारी श्री पंकज जोशी द्वारा औषधि मोकोलिक-पी कैपसूलस, स्काईमैप फार्मास्यूटिकल्स प्रा0 लि0, रूड़की जिला हरिद्वार द्वारा निर्मित का लिया गया नमूना नकली व अपमिश्रित पाया गया था, क्योकि लेबल पर अंकित औषधि प्रीगाबालिन शून्य व उसकी जगह औषधि गाबापेन्टिन पाई गई। उक्त नकली औषधि का स्टॉक मूल्य 5200 रूपये को जब्त किया गया था। प्रकरण में जांच पूर्ण कर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत माननीय न्यायालय सीजेएम, श्रीगंगानगर में फर्म परफैक्ट सेल्स कोरपरेशन रोहित कॉम्लैक्स श्रीगंगानगर, फर्म उमा एसोसियटस जयपुर, योर्स मैडिकेयर प्रा0 लि0 फरीदाबाद व औषधि निर्माता स्काईमैप फार्मास्यूटिकल्स प्रा0लि0 रूड़की जिला हरिद्वार के सभी जिम्मेवार व्यक्तियों के विरूद्ध इस्तागासा दायर किया गया। माननीय न्यायालय सीजेएम श्रीगंगानगर द्वारा प्रकरण को केस संख्या 178/2019 पर दर्ज कर प्रंसज्ञान लेकर अभियुक्तों को लतब करने के आदेश जारी किये गये है। इस प्रकरण में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत कम से कम सात वर्ष व अधिकतम उग्र कैद की सजा तथा कम से कम 3 लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। 
इसी प्रकार लोकेश गोयल पुत्र श्री चन्द्र प्रकाश गोयल मालिक राजेन्द्रा मैडिकल स्टोर बीरबल चौक श्रीगंगानगर जिला श्रीगंगानगर से जब्त शैडयूल एच-1, एनडीपीएस व अन्य औषधियों के बिना क्रय-विक्रय बिल उल्लंघन के प्रकरण में औषधि नियंत्रण अधिकारी श्री पंकज जोशी द्वारा माननीय न्यायालय सीजेएम श्रीगंगानगर में लोकेश गोयल मालिक राजेन्द्रा मैडिकल स्टोर बीरबल चौक श्रीगंगानगर व सप्लायर सुखदीप कुमार पुत्र श्री भरतराज मालिक महावीर मैडिकल हॉल बीकानेर के विरूद्ध इस्तगासा दायर किया गया। माननीय न्यायालय सीजेएम श्रीगंगानगर द्वारा प्रकरण को केस संख्या 208/2019 पर दर्ज कर प्रंसज्ञान लेकर अभियुक्त को तलब करने के आदेश जारी किये गये है। प्रकरण में लोकेश गोयल मालिक राजेन्द्रा मैडिकल स्टोर बीरबल चौक श्रीगंगानगर से नशे के रूप में दुरूपयोग होने वाली कुल मूल्य 24000 की औषधियां बिना क्रय-विक्रय बिल के कारण जब्त की गई थी। बिना क्रय-विक्रय बिल औषधियों के इस प्रकरण में जांच पूर्ण कर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत अभियुक्तों के विरूद्ध वाद दायर किया गया है, जिसमें कम से कम एक वर्ष व अधिकतम दो वर्ष की सजा तथा कम से कम बीस हजार रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। 

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