तमिलनाडु से सी. श्रीनिवासन ने दिया व्याख्यान, एसडी पीजी काॅलेज में हुई कार्यशाला
श्रीगंगानगर।(सतवीर सिह मेहरा) अनुपयोगी कचरे को रिसाईकिल कर पुनः उपयोग में लेते हुए इसे रोजगार का जरिया बनाया जा सकता है।
जिला मुख्यालय पर स्वच्छ भारत मिशन अभियान के अन्र्तगत आयोजित हुई कार्यशाला को संबोधित करते हुए इंडियन ग्रीन सर्विस के परियोजना प्रभारी श्री सी. श्रीनिवासन ने यह बात कही। उन्होने कार्यशाला में जिलेभर से पहुंचे प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि गांवों व शहरों में कचरे का निस्तारण किए जाने की बजाय उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए। कचरे का उचित प्रबंधन कर इसे रोजगार का जरिया बनाया जा सकता है। उन्होने कहा कि कचरे को संसाधन के रुप में लेकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते है। उन्होने ठोस एवं तरल संसाधन प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला के दौरान उन्होने तमिलनाडू, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक व अन्य जगहों पर कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में हुए कार्यों की डोक्यूमेंट्री दिखाते हुए प्रबंधन की विधियां बताई। उन्होने कहा कि कचरे को लेकर लोगों की अवधारणा में परिवर्तन आना बेहद आवश्यक है। आमतौर पर अनुपयोगी सामग्री को लेकर कचरा समझकर फैंक देते है जो आगे चलकर कई समस्याओं का कारण बनता है। उन्होने बताया कि कचरे को कचरा नहीं समझकर अनुपयोगी सामग्री व संसाधनों के रुप में लिया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सौरभ स्वामी ने कहा कि ठोस व तरल कचरा संसाधनों का उचित प्रबंधन गांवों की महत्ती आवश्यकता है। उन्होने कहा कि इसी परियोजना के माध्यम से गांवों में किचन गार्डन विकसित करवाए जा रहे है तथा जल्द ही लगभग प्रत्येक स्कूल में किचन गार्डन विकसित करने की योजना पर काम चल रहा है। उन्होने कहा कि कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। इस मौके पर जिलेभर से स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं, राजीविका मिशन, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी, पशुपालन, कृषि सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।
श्रीगंगानगर।(सतवीर सिह मेहरा) अनुपयोगी कचरे को रिसाईकिल कर पुनः उपयोग में लेते हुए इसे रोजगार का जरिया बनाया जा सकता है।
जिला मुख्यालय पर स्वच्छ भारत मिशन अभियान के अन्र्तगत आयोजित हुई कार्यशाला को संबोधित करते हुए इंडियन ग्रीन सर्विस के परियोजना प्रभारी श्री सी. श्रीनिवासन ने यह बात कही। उन्होने कार्यशाला में जिलेभर से पहुंचे प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि गांवों व शहरों में कचरे का निस्तारण किए जाने की बजाय उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए। कचरे का उचित प्रबंधन कर इसे रोजगार का जरिया बनाया जा सकता है। उन्होने कहा कि कचरे को संसाधन के रुप में लेकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते है। उन्होने ठोस एवं तरल संसाधन प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला के दौरान उन्होने तमिलनाडू, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक व अन्य जगहों पर कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में हुए कार्यों की डोक्यूमेंट्री दिखाते हुए प्रबंधन की विधियां बताई। उन्होने कहा कि कचरे को लेकर लोगों की अवधारणा में परिवर्तन आना बेहद आवश्यक है। आमतौर पर अनुपयोगी सामग्री को लेकर कचरा समझकर फैंक देते है जो आगे चलकर कई समस्याओं का कारण बनता है। उन्होने बताया कि कचरे को कचरा नहीं समझकर अनुपयोगी सामग्री व संसाधनों के रुप में लिया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सौरभ स्वामी ने कहा कि ठोस व तरल कचरा संसाधनों का उचित प्रबंधन गांवों की महत्ती आवश्यकता है। उन्होने कहा कि इसी परियोजना के माध्यम से गांवों में किचन गार्डन विकसित करवाए जा रहे है तथा जल्द ही लगभग प्रत्येक स्कूल में किचन गार्डन विकसित करने की योजना पर काम चल रहा है। उन्होने कहा कि कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। इस मौके पर जिलेभर से स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं, राजीविका मिशन, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी, पशुपालन, कृषि सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।
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