श्रीगंगानगर। राज्य में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण व कल्याण अधिनियम 2007 को प्रभावी रूप से अगस्त 2008 से लागू किया गया। अधिनियम के क्रियान्वयन के लिये 19 सितम्बर 2008 को प्रत्येक उपखण्ड स्तर पर अधिकरण तथा प्रत्येक जिले को अपीलीय अधिकरण का गठन किया गया तथा जिला समाज कल्याण अधिकारी को अनुरक्षण अधिकारी के रूप में अधिसूचित किया गया। पदाधिकारी द्वारा अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त प्रकरणों का निस्तारण किया जाता है। अधिनियम की धारा 31 (1) की पालना में राजस्थान सरकार माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण नियम-2010 जारी किये गये।
अधिनियम की धारा 23 (1) के अनुसार कतिपय परिस्थितियों में सम्पति के अन्तरण को शुन्य घोषित करने के संबंध में समस्त जिला कलक्टर एवं उपखण्ड अधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश के लिये परिपत्र जारी किया। राज्य में राज्य, केन्द्र सरकार द्वारा अनुदानित राजकीय एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से कुल 45 वृद्धाश्रम संचालित है, जिनमें गरीब वृद्ध निसहाय, निराश्रित, सन्तानहीन, परिवार से प्रताड़ित तथा वृद्ध व्यक्ति आजीविका चलाने में असमर्थ वृद्ध महिला, पुरूष जिनकी आयु 60 वर्ष अथवा इससे अधिक है, उन्हें आवास, भोजन-वस्त्र, मनोरंजन, चिकित्सा, पत्र-पत्रिका आदि की निशुल्क सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है।
राज्य में कुल 22 भक्त श्रवण कुमार कल्याण सेवा आश्रम (डे-केयर सेन्टर) संचालित किये जा रहे है। जिनमें उनकी आवश्यकताओं जैसे चिकित्सा सेवा, प्रौढ शिक्षा, धार्मिक प्रवचन, धार्मिक स्थलों का भ्रमण एंव निशुल्क चाय, अल्पाहार, पत्र-पत्रिकाएं व मंनोरजन आदि की सुविधाये उपलबध कराई जाती है। वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों के पुनर्वास एवं सरंक्षण की दिशा में समुचित कार्य करने के लिये विभाग द्वारा राजस्थान राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड का गठन किया गया।
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