वर्ष 2019-20 में 370 किलोमीटर ट्रेक का विद्युतीकरण कार्य पूर्ण किया
श्रीगंगानगर। उत्तर पश्चिम रेलवे पर रेल विद्युतीकरण के कार्य तीव्र गति से किये जा रहे है। इस रेलवे पर विद्युतीकरण के कार्य को विगत वर्षों के बजट में प्राथमिकता प्रदान की गई है तथा सम्पूर्ण उत्तर पश्चिम रेलवे पर विद्युतीकरण का कार्य स्वीकृत हो गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर अब तक 1620 किलोमीटर रेल लाइन पर विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर गया है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जन सम्पर्क अधिकारी श्री अभय शर्मा के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे पर सम्पूर्ण ब्राॅडगेज लाइनों का विद्युतीकरण का कार्य स्वीकृत किया गया है, जिसमे से विगत वर्षों में 1620 किलोमीटर लाइनों के विद्युतीकरण के कार्य को पूर्ण कर लिया गया हैं। यहाॅ उल्लेखनीय है कि इस रेलवे पर वर्ष 2014 के पश्चात् विद्युतीकरण का कार्य किया गया हैं। उन्होने बताया कि वर्ष 2019-20 में उत्तर पश्चिम रेलवे पर 370 कि.मी. रेलखण्ड के विद्युतीकरण का कार्य पूरा किया गया। वर्ष 2019-20 में निम्न रेलखण्डों का विद्युतीकरण कार्य पूरा किया गया, जिसके तहत सूरतगढ़-विरधवाल 27.48 कि.मी., भीनवालिया-रानी-जवाई बाँध 61.96 कि.मी., सवाईमाधोपुर-शिवदासपुरा 106.54 कि.मी., कनकपुरा-फुलेरा 48.60 कि.मी., रेवाड़ी-महेन्द्रगढ़ 50.09 कि.मी., अलवर-बांदीकुई 62.25 कि.मी. तथा मदार-अजमेर-आदर्श नगर 12.81 कि.मी. का कार्य पूर्ण किया गया।
उत्तर पश्चिम रेलवे पर भिवानी-रोहतक रेलखण्ड पर डीजल ट्रैक्शन से चलने वाले 8 पैसेन्जर ट्रेन तथा रोहतक-हिसार रेलखण्ड पर डीजल ट्रैक्षन से चलने वाले 2 पैसेन्जर ट्रेन का संचालन इलेक्ट्रीक ट्रैक्षन पर किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त अलवर-रेवाड़ी-भिवानी-हिसार-भटिण्
इन विद्युतीकरण कार्यो के पूर्ण होने पर सम्पर्क विद्युतीकृत लाइने आपस में जुड जाने के पश्चात् इन पर विद्युतीकृत रेलगाडियों का संचालन प्रारम्भ किया जायेगा। विद्युतीकरण होने से इस रेलवे पर यात्रियों को बहुत से फायदे होगे, जिनमें प्रमुख है, जिनमें ट्रेनों की औसत गति में वृद्धि, डीजल इंजन के धुएं से होने वाले प्रदुषण से मुक्ति, विद्युत इंजनों की लोड क्षमता अधिक होने के कारण अधिक भार वहन, अधिक ट्रेनों का संचालन संभव वर्तमान में इलेक्ट्रीक ट्रेनों का उत्पादन अधिक होने व इनमें अत्याधुनिक टैक्नालाॅजी के उपयोग के कारण अधिक सुविधाएं मिलना,, ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी, इलेक्ट्रीक गाडियों की परम्परागत गाडियों से फास्टर असिलिरेशन, डी असिलिरेशन के कारण इसकी औसत गति अधिक होती है एवं यह यात्रियों के लिये तेज एवं सुविधाजनक होती है, डीजल की अपेक्षा बिजली की लागत कम होने से राजस्व की बचत तथा डीजल इंजन से विद्युतीकृत लाइन पर इंजन बदलने वाले समय में कमी भी कमी आएगी।
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