श्रीगंगानगर,। सादुल शहर विधायक श्री जगदीश चंद्र जांगिड़ ने सोमवार को केंद्र सरकार के नई कृषि कानूनों के खिलाफ राज्य सरकार के चार कृषि कानूनों पर अपने विचार रखें। विधायक श्री जांगिड़ ने अपने वक्तव्य की शुरुआत करते हुए कहा कि आजादी के बाद पहली बार केंद्र सरकार ने लोकतंत्रा का गला घोटने का प्रयास किया है। देश में संघीय ढांचा है। सविधान में केंद्र और राज्य की शक्तियों का बंटवारा किया गया है, लेकिन जिस प्रकार से केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की शक्तियों का हनन करके कानून बनाया है, वह बिल्कुल ही असंवैधानिक है। देश की कुल आबादी का 65 प्रतिशत कृषक है और इस 65 प्रतिशत में से 84 प्रतिशत किसान ऐसे हैं, जिनके पास 5 एकड़ से कम जमीन है और इसी जमीन के माध्यम से वे अपना जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन यह केंद्र सरकार उन्हें भी बर्बाद कर देना चाहती है। हरियाणा और पंजाब में इन कानूनों के विरोध में किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। आज केंद्र में सत्तापक्ष के किसान नेता भी महसूस कर रहे हैं कि यह तीनों कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है। 2016 में देश के प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2022 में किसान की आमदनी दोगुनी कर दी जाएगी लेकिन केंद्र सरकार के यह तीनों कानून 2022 तक किसानों को ही बर्बाद कर देंगे। 1960 में जब देश में खाद्यान्न बाहर से मंगाया जाता था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एमएसपी की व्यवस्था की और किसानों को भरोसा दिलाया कि आप अनाज का उत्पादन कीजिए सरकार आपके अनाज की खरीद करेगी। एफसीआई को खत्म करने का मतलब है एमएसपी को खत्म करना इस देश के पीडीएस सिस्टम को खत्म करना और इस देश के आपातकालीन भंडार किस के सिस्टम को खत्म करना है और यह सब कुछ एक निश्चित प्लान के तहत किया जा रहा है, जिसमें बड़े-बड़े उद्योगपति आएंगे और अनाज का भंडारण कर कालाबाजारी करेंगे। जयंत वर्मा वर्सेस यूनियन आॅफ इंडिया के प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि कृषि राज्य सरकार का विषय है। केंद्र सरकार के जिन नेताओं ने यह तीनों कृषक कानून बनाए हैं, वह किसान से संबंध नहीं रखते और ना ही इस देश के किसान को समझते हैं, उन्होंने यह कानून पूंजीपतियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें लाभ पहुंचाने की नीयत से बनाए हैं। इन कानूनों के लागू होने से कृषि उपज मंडी समिति के माध्यम से गांव में होने वाले विकास कार्यों जैसे सड़कों, पुलिया आदि के निर्माण का कार्य भी रुक जाएगा। काॅन्ट्रैक्ट फार्मिंग के बाद बड़े औद्योगिक घराने अधिक उत्पादन के लिए अपने हिसाब से खाद और बीज लेकर फसल पैदा करेंगे जिससे आने वाले पांच सात साल में भूमि पूरी तरह से बंजर हो जाएगी। आज इस मंच के माध्यम से मैं राजस्थान सरकार से आग्रह करूंगा कि राज्य सरकार उन 7 फसलों में नरमा और कपास की फसल को भी एमएसपी की सूची में शामिल करें। अंत में विधायक जांगिड़ ने राज्य सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 5 एकड़ तक की कृषि भूमि वाले किसानों द्वारा ऋण न चुकाने पाने की हालत में अब बैंक या प्राइवेट कंपनी उस किसान की जमीन नहीं छीन सकती ना अगर कोई बैंक गया प्राइवेट कंपनी ऐसा करती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सजा का प्रावधान भी है।
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