श्रीगंगानगर, । कोरोना एक वैश्विक महामारी है, जिसने विश्व के करोड़ों लोगों को प्रभावित किया। इस महामारी का नाम सुनते ही डर जाते हैं और इसमें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी दूसरी तकलीफें भी सामने आई हंै। 50 वर्ष से ऊपर व पहले से बीमार लोगों में कोरोना अधिक गंभीर साबित हुआ है। कई बार ऐसे केस भी सामने आये, जब कोरोना संक्रमण का संदेह होने पर भी मरीज को क्वारेंटीन रहना पड़ा और इस बीमारी का सामना करना पड़ा।
श्रीगंगानगर जिले के 54 वर्षीय स्वतंत्र पत्रकार श्री संजय सेठी को भी कोरोना का सामना एक नहीं दो-दो बार करना पड़ा। जब वे कोरोना पाॅजीटिव मरीजों के सम्पर्क में आये व दोनों बार उन्हें सस्पेक्ट के रूप में 14-14 दिन क्वारेंटीन रहना पड़ा। श्री संजय सेठी डायबिटिक हैं। सुबह-शाम पैदल घूमना उनकी आदत है व स्वास्थ्य संबंधी मजबूरी भी। पहली बार कोरोना सस्पेक्ट के रूप में 14 दिन क्वारेंटीन रहते हुए उन्हें बेहद तकलीफ हुई, क्योंकि बाहर घूमना बंद हो गया था, ऐसे में शुगर कंट्रोल में रखना व मानसिक संतुलन बनाये रखना मुश्किल था, परन्तु तत्कालीन पीएमओ श्री के.एस.कामरा ने उन्हें तमाम जानकारी उपलब्ध करवाई तथा समय-समय पर सलाह देते हुए उन्हें मानसिक रूप में मजबूत रखा। कुछ ही महीनों बाद संयोगवश कोरोना पाॅजिटीव के सम्पर्क में आने के बाद श्री संजय सेठी को पुनः क्वारेंटीन किया गया।जिला चिकित्सालय द्वारा विटामीन सी और मिनरल्स उपलब्ध करवाये गये। आयुर्वेद विभाग द्वारा काढ़े की बोतल्स उपलब्ध करवाई गईं। श्री सेठी ने समय-समय पर सभी दवाईयां ली व आयुर्वेद काढ़े का नियमित सेवन किया। उन्होंने अपने ही घर के भीतर घूमना शुरू किया व जिला चिकित्सालय के डाॅक्टर से परामर्श लेते रहे। उनकी सभी रिपोर्टस नेगेटिव आईं व इतने करीब से बीमारी को देखने के बावजूद वे संक्रमित होने से बचे रहे। इसका पूरा श्रेय वे जिला चिकित्सालय व जिला आयुर्वेद विभाग को देते हैं।
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