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हनुमानगढ़ शहरी स्कुल फिर बंद,परीक्षाओ पर मंडराया संकट,लापरवाही का आलम देखे शिक्षा अधिकारी तेजा सिंह के पास नहीं फोन उठाने का समय



हनुमानगढ़(कुलदीप शर्मा)। जिले से लेकर प्रदेश के सभी शहरी सरकारी एवं गैर सरकारी स्कुल संस्थाए 19 अप्रेल तक बंद कर दी गयी है। ऐसे में हनुमानगढ़ की बात करे तो सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हजारो-लाखो बच्चो की परीक्षाओ पर सीधा असर पड़ चूका हैं। इन स्कूलों में पंद्रह अप्रैल से कक्षा छह व सात की परीक्षाएं शुरू होनी थी। जबकि 22 अप्रैल से कक्षा नौ व ग्यारह की परीक्षाएं आयोजित होनी है। अब स्कूल बंद होने के साथ ही इन परीक्षाओं के आयोजन पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। हालांकि सूत्रों की माने तो को माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने विश्वास दिलवाया है की परीक्षाओ का आयोजन करवाने का प्रयास किया जाएगा।


पहली बार गांव में छात्र देंगे परीक्षा,शहरी होंगे वंचित

हनुमानगढ़ के ग्रामीण एवं शहरी स्कूलों में पहली बार अलग-अलग परीक्षाएं होने का अंदेशा होने लगा है। कक्षा छह व सात की परीक्षा 15 अप्रैल से 22 अप्रैल के बीच विद्यालय स्तर पर आयोजित होनी है। अधिकांश सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों ने अपना परीक्षा कार्यक्रम तय करके बच्चों को दे भी दिया है और प्रश्न पत्र तक प्रकाशित करवा लिए हैं। इस बीच अचानक स्कूल बंद होने से इन परीक्षाओं का फिलहाल रद्द होना तय हो गया है। ग्रामीण क्षेत्र में फिलहाल स्कूल बंद नहीं है, ऐसे में वहां इन क्लासेज की परीक्षा हो जाएगी, लेकिन शहर में नहीं होगी। शहरी और ग्रामीण स्कूलों के छात्रों पहली बार अपनी परीक्षाओ को लेकर चिंतित नजर आने लगे है। 


19 अप्रेल के बाद बंद रहे स्कुल तो कक्षा 9 व 11 की परीक्षा पर भी संकट

कोरोना के बढ़ते प्रभाव के चलते अगर संक्रमण पर काबू नहीं पाया जाता है तो प्रदेश में इस शहरी स्कुल बंद की तारीख को आगे भी बढ़ाये जाने का ऐलान किया जा सकता है। कक्षा 9वीं व 11वीं की परीक्षाएं 22 अप्रैल से तीन मई के बीच में आयोजित होनी है। अगर 19 अप्रैल तक कोरोना नियंत्रण में नहीं आता है तो इन परीक्षाओं का आयोजन भी मुश्किल में है। वैसे भी इतने दिन अवकाश के बाद 22 अप्रैल से सीधे परीक्षा आयोजित करना भी लगभग मुश्किल सा ही लग रहा है।


लापरवाह शिक्षा अधिकारी 

हनुमानगढ़ शिक्षा अधिकारी तेजा सिंह से जब दूरभाष के जरिये बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन उठा ही नहीं। कई बार प्रयास किया गया लेकिन लगता है कि शिक्षा अधिकारी को फुरसत ही नहीं है। राजस्थान की सरकार कई बार जिला कलेक्टरों को निर्देशित कर चुके है की सभी विभाग अधिकारियो को स्पष्ट निर्देश दिए जाए की वो आमजन का फोन अटेंड करे और आने वाली समस्याओ को दूर करे। लगता है जिला शिक्षा अधिकारी कान में तेल डालकर आराम से सो रहे है। 


इनका कहना है

प्रदेश सरकार के अचानक निर्देश विरोधाभासी प्रतीत होते है। अचानक संस्थाए प्रभावित हुई है। सरकार को शहरी क्षेत्र को चिन्हित करना हैरान जनक है बल्कि कोरोना संक्रमण तो सभी जगह है। बार-बार प्रमोट करने या बिना परीक्षा के चलते शिक्षा के स्तर में कमी आएगी। छात्रों को बोर्ड की परीक्षाओ में दिक्क्त आना स्वाभाविक है। सरकार को कुछ छूट भी देनी चाहिए :- सुरेश शर्मा, अध्यक्ष, एसआरएस शिक्षण संस्थान 


फोन उठाने का समय नहीं भंयकर लापरवाह शिक्षा अधिकारी :-तेजा सिंह,जिला शिक्षा अधिकारी हनुमानगढ़



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