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चिकित्सालयों में लू तापघात रोगियों के लिये प्रोपर व्यवस्था होः जिला कलक्टर

 लू व तापघात से आमजन को बचाएं

चिकित्सालयों में लू तापघात रोगियों के लिये प्रोपर व्यवस्था होः जिला कलक्टर
श्रीगंगानगर,। जिला कलक्टर श्री जाकिर हुसैन ने कहा कि वर्तमान समय में गर्मी का मौसम प्रारम्भ हो गया है। गर्मी के कारण लू तापघात के रोगी बढ़ने की आशंका रहती है। उन्होंने चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये है कि जिले के आमनागरिकों को भीषण गर्मी से बचने के लिये आवश्यक जानकारियां दी जाये। लू तापघात के रोगियों के लिये चिकित्सालयों में विशेष व्यवस्था की जाये।
लू व तापघात के लक्षण
लू तापघात होने पर रोगी का सिर का भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना व शरीन में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढ़ना, शरीर का तापमान अत्यधिक हो जाना व पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास का लगना, बेहोशी जैसी स्थिति का होना, बेहोश होना तथा प्राथमिक उपचार, समुचित उपचार के अभाव में मृत्यु भी संभव है।
लू तापघात से बचाव के उपाय
लू तापघात से प्रायः कुपोषित बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलाएं, श्रमिक आदि शीघ्र प्रभावित हो सकते है। इन्हें प्रायः 10 बजे से सायं 6 बजे तक तेज गर्मी से बचाने हेतु छायादार ठण्डे स्थान पर रखने का प्रयास करें। तेज धूप में निकलना आवश्यक हो तो ताजा भोजन करके उचित मात्रा में ठण्डे जल का सेवन करके बाहर निकलें, थोडे़ अंतराल के पश्चात ठण्डा पानी, शीतल पेय, छाछ, ताजा फलों का रस का सेवन करते रहे, तेज धूप में बाहर निकलने पर छाते का उपयोग करे अथवा कपड़े से सिर व बदन को ढ़क कर रखें। श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबंध रखा जाये।
उपचार
लू तापघात से प्रभावित रोगी को तुरन्त छायादार ठण्डे स्थान पर लिटा दें। रोगी को त्वचा को गिले कपड़े से स्पंज करते रहे, रोगी के कपड़ो को ढ़ीला कर दे। रोगी होश में हो तो उसे ठण्डे पेय पदार्थ देवे तथा रोगी को तत्काल नजदीक के चिकित्सा संस्थान में लेकर जायें।
गंभीर रोगियों को चिकित्सा संस्थानों में दिया जाने वाला उपचार
जिला कलक्टर श्री जाकिर हुसैन ने चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये है कि चिकित्सा संस्थानों के एक वार्ड में दो चार बेड लू तापघात के रोगियों के उपचार हेतु आरक्षित रखे जाये, वार्ड का वातावरण कूलर व पंखे से ठण्डा रखें, मरीज तथा उसके परिजनों के लिये शुद्ध व ठण्डा पेयजल की व्यवस्था रखी जाये। संस्थान में रोगी के उपचार हेतु आपातकालीन किट में ओआरएस, ड्रीपसेट, जीएनएस, जीडीडब्ल्यू, फ्लूड एवं आवश्यक दवाईयां तैयार रखी जाये। चिकित्सा एवं नर्सिंग स्टाॅफ को अर्लट रखा जाये।

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