Advertisement

Advertisement

मृत्यु भोज सामाजिक कुरीति इस पर सख्ती जरूरी

 राजस्थान/श्रीगंगानगर/समेजा कोठी।(सतवीर सिंह मेहरा)राजस्थान सरकार खासकर गरीब व मध्यम वर्गके हितार्थ हेतु  मृत्यु भोज को बन्द करने हेतु प्रयासरत हैं। मृत्यु भोज एक सामाजिक कुरीति है जो गरीब तबके को कर्ज तले दबा देती हैं।गरीब व्यक्ति समाज के खासकर रिश्तेदारों के तनेबाजी से बचने हेतु मृत्यु भोज की व्यवस्था हेतु बनिए,साहूकार से कर्ज या जमीन गिरवी रख कर कर्ज उठा लेता है जिससे परिवार आर्थिक तंगी में फस जाता है जो ग़लत है।

इसी समस्या को ध्यान रख सरकार ने मृत्यु भोज पर सख्ती के लिए मृत्यु भोज निवारण अधिनियम 1960 पारित कर दिया।
अधिनियम में क्या है प्रावधान - अधिनियम के तहत जो मृत्यु भोज करवाता है उसको 1 साल की सजा व 1000 जुर्माना हो सकता है।
स्थानीय स्तर पर प्रयास - राजस्थान सरकार ने मृत्यु भोज को बन्द करने हेतु स्थानीय स्तर पर गावों मे सरपंच,पटवारी,पंच,ग्रमसेवक की ड्यूटी लगाई गई है।यदि ये जिम्मेदार कर्मचारी,जनप्रतिनिधि सूचना नहीं देते तो इन पर भी सख्त कार्रवाई का आदेश है।
मृत्यु भोज के लिए मदगार पर भी कार्यवाही - कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मृत्यु भोज करवाने के लिए अन्य व्यक्ति पर दबाव डालता है या मदद करता है तो उसे भी कर्यवाही का सामना करना पड़ेगा। मृत्यु भोज के लिए रुपयों का करार मान्य नहीं होगा।
जिम्मेदार नहीं देते सूचना - सरकार के लाख कोशिश के बाद हर जगह मृत्यु भोज करवाते देखा जा सकता है जो स्थानीय जिम्मेदार लोगो कि मृत्यु भोज के प्रति हामी से कम नहीं । ग्रामीण क्षेत्रों में तो बिना कनून कि परवाह किए पिछले दिनों खूब मृत्यु भोज करवाया गया लेकिन ने तो सरपंच,पटवारी,ग्रामसेवक ने इनकी सूचना प्रशासन को देना जरूरी नहीं समझा।ऐसे कानून को लागू करवाने के लिए सरकार को प्रोत्साहन योजना लागू करने का विचार समय रहते कर लेना चाहिए। 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Advertisement

Advertisement