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मुर्गी पालन व्यवसाय का प्रबंधन एवं रखरखाव वैज्ञानिक प्रबंधन से करें:डॉ. राजकुमार बेरवाल

 मुर्गी पालन व्यवसाय का प्रबंधन एवं रखरखाव वैज्ञानिक प्रबंधन से करें:डॉ. राजकुमार बेरवाल

श्रीगंगानगर,। पशु विज्ञान केंद्र सूरतगढ़ के द्वारा मुर्गी पालन व्यवसाय का प्रबंधन एवं रखरखाव विषय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. राजकुमार बेरवाल ने मुर्गी पालन व्यवसाय संबंधी जानकारी देते हुए बताया कि आमतौर पर देसी मुर्गी का पालन यदि हम छोटे पैमाने पर करते हैं तो इसके लिए सैड बनाने की जरूरत नहीं होती है लेकिन यदि बड़े पैमाने पर व्यवसायिक दृष्टि से करना चाहते हैं तो हमें मुर्गी घर के अलावा अन्य वैज्ञानिक पद्धति अपनानी होती है, उचित प्रबंधन हेतु यदि योजनाबद्ध तरीके से मुर्गी पालन किया जाए तो कम खर्च में अधिक आय की जा सकती है बस तकनीकी चीजों  पर ध्यान देने की जरूरत है।
मुर्गियों को तभी हानि होती है या वह मरती है जब उनके रखरखाव में लापरवाही बरती जाए। मुर्गी पालन में हमें कुछ तकनीकी चीजों पर ध्यान देना चाहिए। फार्म बनाते समय यह ध्यान दें कि यह गांव या शहर से बाहर मेन रोड से दूर हो, पानी व बिजली की पर्याप्त व्यवस्था हो, फार्म हमेशा ऊंचाई वाले स्थान पर बनाए ताकि आसपास जलजमाव न हो दो पोल्ट्री फार्म एक दूसरे के करीब में न हो फार्म की लंबाई पूर्व से पश्चिम हो मध्य में ऊंचाई 12 फीट व साइड में 8 फिट हो चौड़ाई अधिकतम 25 फीट हो तथा सैड का अंतर कम से कम 20 फीट होना चाहिए और फर्श पक्का होना चाहिए। सैड तथा बर्तनों की साफ सफाई पर ध्यान दें।
प्रशिक्षण शिविर में केंद्र के डॉ. अनिल घोड़ेला ने भारत में देसी मुर्गी की मुख्य प्रजातियां जैसे असेल, कड़कनाथ, ग्रामप्रिया, स्वरनाथ, कामरूप, चित्तागोंग, केरी श्यामा, श्रीनिधि, वनराजा आदि नस्ल की मुर्गियों की विशेषता के बारे में विस्तार से बताया तथा मुर्गियों के लिए संतुलित आहार के बारे में बताते हुए कहा कि मुर्गी पालकों को चूजे से लेकर अंडा उत्पादन तक की अवस्था में विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि लापरवाही की गई तो अंडा उत्पादकता प्रभावित होती है। मुर्गी पालन में 70 प्रतिशत खर्चा आहार प्रबंधन पर आता है लेकिन देसी मुर्गी को व्यवसायिक हेतु पालने में खर्च कम आता है क्योंकि इसको आहार में केवल जरूरी पूरक आहार देते हैं अतः इस पहलू पर विशेष ध्यान देना चाहिए तथा स्टार्टर राशन, ग्रोवर राशन, फिनिश राशन आदि के बारे में विस्तार से बताय।
 शिविर में केंद्र के डॉ. मनीष कुमार सैन ने मुर्गियों में टीकाकरण के बारे में बताते हुए कहा कि पहला दिन मेरीक्स एचटीवी वैक्सीन दे दूसरे से पांचवें दिन रानीखेत 14वें दिन गमबोर रोग आईबीडी नामक टीका एक बूंद आंख में दें 21 वें दिन चेचक टीका 28वें  दिन रानीखेत 63 वें दिन रानीखेत बूस्टर 84 वें दिन चेचक  टीका लगवाना चाहिए प्रशिक्षण शिविर में 26 पशुपालकों ने भाग लिया।

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