सीएम के निर्देशों को ताक पर रख अभियान का बनाया था मजाक,
मीडिया खबरो के बाद आनन-फानन में दे डाली गलत रसीद,
सवाल था प्राप्ति रसीद का हड़बड़ाहट में दे डाली बिना जांच पट्टा शुल्क रसीदे,
लापरवाही पर पर्दा डालेंगे तो मिलेगा फिर बड़ी लापरवाही करने का हौंसला
हनुमानगढ़। एक ही जगह पर 21 विभागों से जुड़े आमजन के काम करवाने के उद्देश्य से राजस्थान प्रदेश में शुरू हुए प्रशासन गांवों-शहरों के संग अभियान का प्रथम चरण सम्पन्न हो चुका है। अभी प्रदेश में प्रथम अभियान में अधूरे रहे कार्यो को पूरा करने के उद्देश्य से फॉलोअप कैंम्पों का आयोजन होना प्रस्तावित था। लेकिन कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच अभी सभी शिविर स्थगित किये जा चुके है। राजस्थान सीएम अशोक गहलोत का उद्देश्य शिविरों के जरिये आमजन को राहत प्रदान करना था लेकिन हनुमानगढ़ जिले में स्थित मक्कासर गाँव में 15 दिसंबर को सम्पन्न हुए प्रशासन गाँवों के संग अभियान में जमकर लापरवाही सामने आयी थी। गौरतलब है की 15 दिसंबर को मक्कासर ग्राम पंचायत में लगे शिविर में रिहायशी पट्टो के आवेदन की प्राप्ति रसीद नहीं देने का मामला मीडिया के जरिये प्रशासन व सरकार के सामने आया था। जानकारी के अनुसार उसी दिन ग्रामीणों ने शिविर प्रभारी एसडीएम अवि गर्ग व ग्राम पंचायत सरपंच बलदेव मक्कासर से पट्टो के आवेदन पर प्राप्ति रसीद दिलवाने की मांग की तो ग्रामीणों को प्राप्ति रसीद नहीं देने की बात कहते रहे। मीडिया में बात आने के अगले दिन से 24-48 घंटो के भीतर आनन-फानन में ग्राम विकास अधिकारी व कर्मचारियों ने मिलकर रेकॉर्ड रजिस्टर में दर्ज करते हुए पट्टा आवेदन शुल्क रसीद देते हुए साफ़ देखे गए। यहां गौर करने वाली बात ये है की सवाल अभियान में आये परिवादों-आवेदनों की प्राप्ति रसीद से जुड़ा हुआ था लेकिन ग्राम विकास अधिकारी ने हड़बड़ाहट में बिना पट्टे आवेदनों की पैमाइश व आप्पत्ति देखे ही पट्टा शुल्क की रसीद ग्रामीणों को थमा बैठे। इसी दौरान प्रभारी मंत्री गोविंदराम मेघवाल का जिले में दौरा हुया तो प्रेस वार्ता में मक्कासर गाँव में एसडीएम व ग्राम विकास अधिकारी द्वारा की गयी लापरवाही पर सवाल किया गया तो प्रभारी मंत्री मेघवाल ने जिला कलक्टर को कमेटी गठन कर जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। प्रभारी मंत्री के निर्देश पर जिला परिषद सीईओ अशोक असीजा के नेतृत्व में कमेटी गठन कर जांच की गयी। सूत्रों की माने तो 15 दिसंबर की लापरवाही की जांच कमेटी 26 दिसंबर को जांच करने गयी। इस दौरान सूत्र बताते है की ग्राम विकास अधिकारी भंवरलाल व अन्य कर्मचारियों ने मिलकर सम्पूर्ण रेकॉर्ड 15 दिसंबर में दर्ज करते हुए अभियान वाले दिन की पट्टा शुल्क रसीद बिना जांच व पैमाइश किये बगैर सभी ग्रामीणों को मिन्नते निकालते हुए दे दी। वहीं अभियान में हुई भंयकर लापरवाही को छुपाने के लिए प्रशासन ने खुलकर छूट दी तो वही कर्मचारियों ने पदों का जमकर फायदा उठाया।
SDM के पास बैठ लापरवाही पर लापरवाही करते रहे कर्मचारी!
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15 दिसंबर को मकाक्सर गाँव अभियान के प्रभारी एसडीएम अवि गर्ग के पास बैठे अधिकारी सरेआम आँखों के सामने अभियान में पट्टों के आवेदन लेकर आये ग्रामीणों से अभद्र व्यवहार करते रहे और आवेदनों के बदले प्राप्ति रसीद देने की मनाही करते रहे। एसडीएम अवि गर्ग से शिकायत करने पर उन्होंने भीं ग्रामीणों को प्राप्ति रसीद देने को लेकर मना कर दिया। लापरवाही के साथ ही दादागिरी तो तब कर्मचारियों की सामने आई जब प्राप्ति रसीद मांगने पर आवेदन करने आये ग्रामीणों की फाइलों को फेंक कर वापिस देते हुए देखे गए। लेकिन ये सब अभियान प्रभारी एसडीएम अवि गर्ग अपनी आँखों के सामने होते देखते रहे लेकिन कर्मचारियों को कुछ भी कहने की जहमत नहीं उठाई। जब मामला मीडिया में आया तो आनन-फानन में अगले 24 घंटो में ग्रामीणों को फोन कर-कर के मिन्नते करके सभी ग्रामीणों को पट्टा आवेदन शुल्क की रसीद देते भी देखे गए। सूत्र बताते है कि अब इस लापरवाही को भी जांच अधिकारियो ने बड़े की तरिके से क्लीन चिट दे दी है जो की सोचने वाली बात है।
कई ग्रामीणों की फ़ाइल लौटाई तो कईयों की फ़ाइल हुई गायब!
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सूत्रों की माने तो अभियान में हुई लापरवाही पर भले ही जांच कमेटी ने क्लीन चिट दे दी हो लेकिन आज भी ऐसे अनेको ग्रामीण है जिनकी फाइलें महज इस बात के लिए लौटा दी गयी क्यूंकि उन ग्रामीणों का कसूर सिर्फ इतना था की उन्होंने आवेदनों के बदले प्राप्ति रसीद मांग ली थी। उनका खामियाजा उन्हें अपनी फ़ाइल वापिस फेंक कर लेने व राज्य सरकार की अति महत्वपूर्ण अभियान के बावजूद अपने हक़ यानी पट्टे प्राप्त करने से वंचित होना पड़ा। मक्कासर ग्राम पंचायत में ऐसे भी कई आवेदक भी है जिनकी फाइलें खुर्द-बुर्द कर दी गयी उनमे से कई आवेदकों को अपनी फाइलें मजबूरन दोबारा जमा करवानी पड़ी। कर्मचारियों व प्रशासनिक अधिकारियो ने मिलकर उन लोगो तक फर्जी तरिके से अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अभियान के दिन वाली पट्टा आवेदन शुल्क की रसीदे तो पहुंचा दी लेकिन उन ग्रामीणों का आखिर क्या होगा जिनके आवेदन प्राप्ति रसीद मांगने की वजह से ठुकरा दिए गए और उन आवेदकों की फाइलों की गारंटी कौन देगा जिनकी फाइलें घोर लापरवाही की वजह से गायब हो गयी या कर दी गयी।
सरकार के आदेश नहीं यहां के अधिकारियो के है खुद के नियम-कायदे!
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राजस्थान सरकार राजस्व ग्रुप-1 विभाग के सयुंक्त शासन सचिव सीताराम जाट ने 20 अक्टूबर 2021 को प्रशासन गाँवों के संग अभियान-2021 के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किये गए थे जिसमे साफ़-साफ़ शब्दों में लिखा गया था की प्रत्येक परिवाद(आवेदन) रजिस्टर में दर्ज करते समय प्राप्ति रसीद प्रदान की जाए तथा एक प्रति आवेदन पर लगाकर संबंधित विभाग को तुरंत दी जावे। ताकि अभियान में आये परिवादी को राहत प्रदान की जा सके। लेकिन यहां के अधिकारियो ने सरकारी आदेशों की सरेआम धज्जिया उड़ाते हुए खुद के अलग से नियम-कायदे बना लिए जिसके चलते प्रशासन और सरकार को मक्कासर में हुए अभियान में काफी फजीहत का सामना करना पड़ा। अब ऐसे अधिकारियो पर लगाम कैसे लगाई जाए ये सरकार अपने स्तर पर तय करे।
रिपोर्ट एक्सक्लुसिव के पास कई वीडियो जो चीख-चीख कर बता रहे सच्चाई!
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रिपोर्ट एक्सक्लुसिव के पास कई ऐसे वीडियो है जो साफ़ तौर पर लापरवाही के मामले की सच्चाई बयान कर रहे है। उन वीडियो में अभियान वाले दिन से लेकर अगले कई दिनों में किस तरह से अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने के लिए अभियान वाले दिन की प्राप्ति रसीद मामले को छुपाने के लिए पट्टा आवेदन शुल्क रसीदे अगले कई दिनों तक देते रहे ये स्पष्ट होता है। हैरानी की बात ये है की एक वीडियो में खुद मक्कासर ग्राम विकास अधिकारी स्वीकार कर रहे है की हम अभियान वाले दिन प्राप्ति रसीद नहीं दे पाए थे आज पट्टा आवेदन शुल्क रसीद दे रहे है। ओर तो ओर खुद स्वीकार भी किया की हाँ हम अभियान वाले दिनाक की पट्टा आवेदन शुल्क रसीदे ग्रामीणों को वितरण कर रहे है। अब सरकारी आदेशों को ठेंगे पर रख अभियान को मजाक बनाने वाले शिविर प्रभारी एसडीएम अवि गर्ग और ग्राम विकास अधिकारी को इनाम के रूप में क्लीन चिट का तोहफा दिया गया है जो स्पष्ट साबित करता है की अधिकारियो ने किस तरह से अपने पदों का दुरूपयोग करते हुए क्लीन चिट दी है। सूत्र बताते है की प्रशासनिक अधिकारियो ने जानबूझ कर सरकार के अभियान में हुई बड़ी लापरवाही की जांच करने में 10 दिन से ज्यादा देरी की ताकि रेकॉर्ड को दुरुस्त किया जा सके।
क्या कहते है नियम
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राजस्थान सरकार के अभियान में सभी बातो को स्पष्ट किया गया था की प्रत्येक परिवाद या आवेदन की प्राप्ति रसीद मौके पर देना जरूरी होगा। शिविर में संयोजक को दोपहर तीन बजे प्रत्येक परिवाद पर माइक पर खुली सुनवाई शुरु करनी होगी। शिविर के शुरुआत से ही प्रत्येक परिवादी/आवेदक को सुनवाई के समय की उद्घोषणा बार-बार माइक के जरिये करनी होगी। शिविर प्रभारी की जिम्मेदारी थी की वो सुनिश्चित करे की सभी विभागों के संबंधित कार्यो के बारे में खुद लोगो को अवगत करवाए ताकि पात्र लाभार्थियों को आवेदन दर्ज करने का मौक़ा मिल सके। शिविर नियमो में ये भी स्पष्ट किया गया था की आवेदक या परिवादी को बोलने का मौक़ा मिले। शिविर के अंत में आये सभी परिवाद या आवेदन को स्पष्ट रूप में बताना था की आपका आवेदन या परिवाद निस्तारण हो गया है या लंबित है या परिवाद अस्वीकृत कर लिया गया है,इसकी सुचना दी जानी जरूरी थी। ताकि शिविर में आये सभी लोगो को स्पष्ट हो जाए की वो शिविर की कार्यवाही से संतुष्ट है या नहीं।
क्या बोले ग्रामीण
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मैंने 15 अगस्त को गाँव में लगे अभियान में रिहायशी पट्टा बनवाने का आवेदन किया था। जिसकी मौके पर प्राप्ति रसीद मांगने पर साफ़ मना कर दिया। 17 दिसंबर को मरे मोबाईल पर पंचायत घर से फोन आया की आप अपनी पट्टा आवेदन की शुल्क रसीद ले जाओ। जब मैं लेने गया तो रसीद 15 दिसंबर की मुझे 70 रुपये की शुल्क रसीद दी गयी,प्राप्ति रसीद तो नहीं मिली थी :- राजेंद्र कुमार,ग्रामीण मक्कासर
मैं पंचायत घर अपनी पट्टा आवेदन की फ़ाइल लेकर गया था वहां मौके पर बैठे कर्मचारी से जब रसीद मांगी तो उसने देने से मना कर दिया। मैंने जब मौके पर बैठे एसडीएम व सरपंच को अवगत करवाया तो उन्होंने भी मना कर दिया। जिसके बाद मैंने फिर कर्मचारी से मिन्नते की तो उन्होंने मेरी फ़ाइल फैंकते हुए वापिस लौटा दी की जाओ जो प्राप्ति रसीद देता हो उसको दे देना। अभद्र व्यवहार भी किया गया। ऐसे में मैं पट्टा लेने से वंचित हो गया :- राकेश छिम्पा,ग्रामीण मक्कासर
मेरे रिहायशी पट्टा आवेदन को अभियान में ये कहते हुए ठुकरा दिया गया की जाओ कोई प्राप्ति रसीद नहीं है,जिससे शिकायत करनी हो कर देना :- सरस्वती देवी,ग्रामीण महिला मक्कासर
काफी वर्षो से इन्तजार कर रहा था की पट्टो के लिए अभियान कब लगेगा,उम्मीद थी की अबकी बार काम हो जाएगा लेकिन अभियान में न तो एसडीएम ने सुनी और न ही सरपंच ने,मेरे आवेदन को प्राप्ति रसीद मांगने पर ठुकरा दिया और मेरी फ़ाइल मुझे वापिस दे दी। अब पट्टे से वंचित हो गया :- ओम,ग्रामीण मक्कासर
मैंने अभियान से पहले ही पट्टे के लिए आवेदन किया था ताकि अभियान में मेरा पट्टा जारी हो सके लेकिन मेरी फ़ाइल पंचायत घर से गायब हो गयी जिसका कोई अता -पता नहीं लगा,जिसके बाद मुझे दुबारा फ़ाइल लगानी पड़ी जिसकी वजह से मैं पट्टे से वंचित रह गया। मेरी फ़ाइल कहां गयी किसने गायब की कोई नहीं बता रहा :- बलराम,ग्रामीण मक्कासर
नाम न बताने की शर्त पर बोले कि मैंने अभियान से 15 दिन पहले पंचायत घर में पेश होकर पट्टे आवेदन की फ़ाइल जमा करवाई जिसकी न तो मुझे आज तक प्राप्ति रसीद दी गयी और न ही मुझे पट्टा प्रदान किया गया। पचायत घर में पता करने पर मेरी फ़ाइल के बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। मेरी फ़ाइल है भी या गायब हो गयी ये भी मुझे नहीं पता :- नाम गोपनीय,ग्रामीण मक्कासर
मामले को गम्भीर मानते हुए मेने जिला कलक्टर को जांच के मौखिक निर्देश दिए थे जिसपर जिला कलक्टर ने मक्कासर अभियान लापरवाही पर जांच बैठाई थी जिसकी जाँच जिला परिषद सीईओ ने कलक्टर को सौंप दी है जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई होगी :- गोविंदराम मेघवाल,प्रभारी मंत्री हनुमानगढ़
जिला परिषद सीईओ अशोक असीजा ने जांच रिपोर्ट मुझे सौंप दी है,जांच रिपोर्ट का अध्ययन कर जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई अमल लाई जायेगी :- नथमल डिडेल,जिला कलक्टर हनुमानगढ़
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