आपसी समन्वय से गुलाबी सुंडी के प्रभावी प्रबंधन के किए जाएं प्रयास : जिला कलेक्टर
जिला कलेक्टर ने कृषि विभाग, कृषि विपणन विभाग व जिनिंग मिल मालिकों के साथ की बैठक
नरमा कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप रोकने पर दिए गए सुझाव
अनूपगढ़। जिला कलेक्टर श्री अवधेश मीणा ने जिनिंग मिल मालिकों एवं प्रतिनिधियों के साथ मंगलवार को बैठक आयोजित कर भविष्य में नरमा कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप रोकने पर सुझाव लिए। कृषि अधिकारियों ने गुलाबी सुंडी कीट प्रकोप रोकने के प्राकृतिक उपाय बताए। जिला कलक्टर ने कृषि विभाग, कृषि विपणन विभाग व जिनिंग मिल मालिकों को निर्देशित किया कि आपसी समन्वय से गुलाबी सुंडी के प्रभावी प्रबंधन के प्रयास किए जाएं। किसानों को तकनीकी जानकारी से लाभान्वित करें जिससे आगामी खरीफ सीजन में कपास फसल में गुलाबी सुंडी को नियंत्रित किया जा सके।
उन्होंने जिनिंग मिल मालिकों को कपास मिलों के आसपास फेरोमेन ट्रैप लगाने के लिए कहा ताकि गुलाबी सुंडी का प्रारंभिक अवस्था में ही पता चल सके। बैठक में संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार डॉ रमेश चंद्र बराला ने बताया कि जिनिंग मिलों में रेशा व बिनोला (बीज) निकालने के लिए कीट प्रकोप प्रभावित खेतों से भी कपास लाई जाती हैं। जिनिंग मिलों में आई कपास में से बिनोला एवं जिनिंग के उपरांत अवशेष सामग्री में गुलाबी सुंडी कीट लट / प्यूपा अवस्था में रहती हैं। अनुकूल परिस्थिति मिलते ही इससे व्यसक कीट बन जाते हैं जो बुवाई के समय जिनिंग मिल के आसपास की कपास की फसल को प्राथमिक तौर पर संक्रमित करते हैं। इसलिए जहां पर भी कपास मिल स्थापित है वहां कपास के बिनौलों का खुले में भंडारण न करें।
उन्होंने बताया कि बिनौलों को पॉलिथीन सीट से ढककर रखें। बंद कमरे में या पॉलीथिन शीट से ढककर अल्युमिनियम फास्फाइड से 48 घंटे तक धूमित करने का सुझाव दिया। जिन किसानों ने खेतों में बीटी नरमे की बनछटी भंडारित की हुई है वह फसल बुवाई से पूर्व ही खेतों से बनछटी हटा ले। बीटी कपास की लकड़ियों को छाया व खेत में इकट्ठा नहीं करें। इस तरह की बनछटियों को काटकर भूमि में मिला देने की सलाह दी गई। संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार डॉ रमेश चंद्र बराला ने गुलाबी सुंडी कीट की विभिन्न अवस्थाओं की पहचान व जीवन चक्र की विस्तृत जानकारी दी। कपास में क्षति के लक्षणों के बारे में बताया। उन्होंने बीटी कपास में एक ही प्रकार के कीटनाशी का प्रयोग लगातार नहीं कर इनमें बदलाव करने व पायरेथ्रोईड आधारित कीटनाशकों का उपयोग फसल की अवधि 120 दिन की होने के बाद ही उपयोग करने को कहा। बैठक में कृषि विपणन विभाग के मंडी सचिव देवीलाल कालवा, सहायक निदेशक कृषि सुरजीत कुमार, रामनिवास गोदारा, कृषि अधिकारी कुलदीप सिंह टीवाना, खीय सिंह, भानुप्रकाश भूरटा एवं कृषि पर्यवेक्षक सुनिल कुमार मौजूद थे।
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