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वैली क्वीन एक्सप्रेस’’ की बढ़ती लोकप्रियता 600 से अधिक यात्रियों ने की यात्रा 5 लाख से अधिक की, की कमाई


 वैली क्वीन एक्सप्रेस’’ की बढ़ती लोकप्रियता

600 से अधिक यात्रियों ने की यात्रा
 5 लाख से अधिक की, की कमाई
जयपुर/श्रीगंगानगर। देश की धरोहर को दर्शाने वाली हेरिटेज ट्रेन यानी ‘‘वैली क्वीन एक्सप्रेस’’ की लगातार लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, यह पर्यटकों को बहुत लुभा रही है। जिससे इस ट्रेन मे यात्रियों की संख्या मे लगातार बढ़ रही है। गत दो माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो अगस्त 2024 व सितंबर माह में अब तक इस ट्रेन में 646 यात्रियों ने इसकी मनोरम यात्रा का लुफ्त उठाया इससे रेलवे को 5,27,114 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। इस गाड़ी मे ऑनलाइन आरक्षण भी उपलब्ध है। लोग बड़ी संख्या मे ग्रुप मे भी टिकट आरक्षण करा कर इस मनोरम यात्रा के रोमांच का मजा ले रहे हैं।
 उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण ने बताया कि मारवाड़-खामलीघाट-मारवाड़ के बीच मीटर गेज रेल लाइन पर संचालित सप्ताह में 5 दिन संचालित होने वाली यह पर्यटक ट्रेन लोगों को घाट क्षेत्र के विभिन्न दर्शनीय स्थलों की सैर कराती है। उल्लेखनीय है की अरावली की सुरम्य पहाड़ियों में आजादी से पूर्व बनी मारवाड़-खामली घाट रेल खंड को रेलवे द्वारा विरासत सहजने के क्रम में मीटर गेज ही रखा गया है। इस खण्ड पर मारवाड़-खामलीघाट-मारवाड़ के बीच प्रदेश की पहली हेरिटेज ट्रेन ‘‘वैली क्वीन’’ संचालित की जा रही है। इसका शुभारंभ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अक्टूबर 2023 को हरी झंडी दिखाकर किया गया।
  महाप्रबंधक श्री अमिताभ ने रेल अधिकारियों व कर्मचारियों को विश्व पर्यटन दिवस की अग्रिम बधाई देते हुए कहा की पर्यटन के विकास मे रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।  रेलवे की यात्री ट्रेने देश के कोने-कोने मे स्थित पर्यटन स्थलों को जोड़ती है, इसके अलावा कई टूरिस्ट व हेरिटिज ट्रेनो का संचालन भी रेलवे द्वारा किया जाता है। जिनमे यात्रियों को अधिकाधिक सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास रेलवे द्वारा किया जाता है।
 वैली क्वीन हेरिटेज ट्रेन में एक वातानुकूलित चेयर कार एवं एक पॉवर कार कोच के साथ एक डीजल इंजन को भाप इंजन जैसा बनाया गया है। यात्रा में यात्रियों को हरी-भरी घाटियों, पहाड़ियों, दुर्लभ वनस्पतियों और स्थानीय जीव जन्तुओं के मनमोहक दृश्य देखने को मिलते है। इस मार्ग में लगभग 100 साल पुरानी दो सुरंगें और जलधाराओं पर 172 पुल हैं। ट्रेन के कोच में एनाउंसमेंट के साथ टीवी स्क्रीन भी लगाई गई है। जिसमें पूरे मार्ग एवं गोरमघाट की वादियों के बारे में पर्यटकों को जानकारी दी जाती है। हेरिटेज ट्रेन को राजस्थानी लुक देने के लिए कोच पर राजस्थानी चित्रकारी की गई है। ट्रेन गोरम घाट, फुलाद और खामलीघाट पर रुकती है। इसमें 60 सीटों वाली एसी चेयर कार कोच, एक सामान्य कोच और एक ट्वेंटी-सीटर विंडो केबिन है। ट्रैक पर दो घुमावदार टनल सफर का रोमांच बढ़ाती है। अरावली पहाड़ियों के बीच मारवाड़ से खामलीघाट 47 किलोमीटर की मीटर गेज रेल लाइन प्राकृतिक सौन्दर्य से भरे इस क्षेत्र में पर्यटन का आधार बनी हुई है। इससे इस खंड पर पर्यटन का विकास हुआ है जिससे पर्यटन से जुड़े अन्य  विभिन्न तरह के रोजगार के अवसर भी बढ़े है।
 इस खंड पर कई धार्मिक स्थल है जैसे यहाँ जोगमंडी स्थित माता जी का मंदिर है। उसके बाद गोरम घाट स्टेशन पर उतरकर पहाड़ी पर स्थित गुरु गोरखनाथ जी का मंदिर स्थित है। इसकी वास्तुकला पारंपरिक और आधुनिक तत्वों के मिश्रण को दर्शाती है, जिसमें जटिल नक्काशी आकर्षित करती है। गोरम घाट स्टेशन के बाद पर्वत सिंह जी की धूणी स्थित है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार पर्वत सिंह जी महाराज की समाधि है जहां आज भी दूर-दूर से लोग दर्शन करने को आते हैं। यू आकार का पुल गोरमघाट पर यू-आकार का पुल भी पर्यटकों को बहुत लुभाता है, जिसमें नीचे शांत पानी के चारों ओर हरियाली है। यह वास्तुकला और पर्यावरण का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है।
भील बेरी का झरना लुभाता है पर्यटकों को
 गोरमघाट की यात्रा के दौरान पर्यटक राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई से गिरने वाले भील बेरी का झरना देखना भी नहीं भूलते। यह झरना कर्नाटक और गोवा राज्य की सीमा पर स्थित दूध सागर झरने जैसा दिखाई पड़ता है। यह क्षेत्र जुलाई से अक्टूबर तक राजस्थान का कश्मीर कहा जाता है। खामलीघाट समुद्र तल से अधिक ऊंचाई होने के कारण यहां मौसम काफी सुहावना रहता है। विशाल बरगद का पेड़. पर्यटकों को अपनी शाखाओं से छाया और झूलने के अवसर देता है।

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