केसरीसिंहपुर (गुरविंद्र बराड़)
जिला हैड क्वाटर से मात्र 25 किलो मीटर की दूरी पर स्थित कसबे में प्रशाशन के नाक के नीचे बिना लाइसेंस या लाइसेंसी मेडिकल स्टोर पर नशीली दवाइयों का कारोबार जोरो पर चल रहा है।
राज्य में पोस्ट बंदी के बाद नशीली दवाइयो के कारोबार करने वालो के कारोबार में बड़ी मात्रा में इजाफा हुआ है।क्योकि जो लोग पहले पोस्ट का नशा किया करते थे। उनमें से कोई नशेड़ियों ने अब मेडिकेटड नशे का सेवन करना शुरू कर देने से नशे की दवाइयो की मांग काफी बढ़ गई है। जिस कारण इस धंधे में लगे लोगो के भी वारे न्यारे होने लगे है। कसबे के पूर्व थानाधिकारी विक्रम सिंह चौहान एवं वर्तमान थानाधिकारी वेद प्रकाश लाखोटिया ने नशे का धंधा करने वालो के खिलाफ दो बड़ी कार्यवाहियां की थी।जिससे कुश दिनों के लिए मंडी क्षेत्र में अंकुश लगा रहा ।परन्तु अब उसी तरह फिर से कस्बा क्षेत्र में नशीली दवाइयो का धंधा जोरो पर है। मेडिकेटड नशे का सेवन करने वालो में युवा वर्ग के लोग ज्यादातर शामिल है। जो इन नशीली दवाइयों का नियमित सेवन करके काल के गाल में शमा रहे है। इस नशीली दवाई के सेवन से उनके लिवर, गुर्दा, दिमाग ख़राब होने की आशंका बनी रहती है लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि कुछ पैसों की लालच में आकर यह मेडिकल स्टोर मालिक लोगों की जीवन बचाने की दवाइयों के साथ साथ नशीली दवाइयों को मनमाने ढंग से बेच रहे है ।जबकि सरकार इन नशीली दवाइयों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है परंतु स्टोर संचलकों न तो नियम कानुन की चिन्ता है न विभाग का डर ।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी अवैध तरीके से बेचीं जा रही इन दवाइयो पर रोक लगाने और दुकान संचालकों पर कार्रवाइ करने में नाकाम रहे है।जबकि फार्मेसी अक्ट 1945 के तहत दवाओं का भण्डारण विपणन करने के लिये प्राधिकृत अधिकारी द्वारा जारी लाइसेंसधारी को ही ये सभी ( एलप्रेक्स, कोरेक्स सिरप, एविल आदि) दवाएं बेचीं जा सकती है। आम उपभोक्ता को भी ये दवाए बिना पंजीकृत चिकित्सक की पर्चा के दवा नही बेचीं जा सकती है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के अनदेखी के चलते मंडी में नशीली दवाइयों का यह कार्य अधिकांश दवा स्टोर सहित राजकीय चिकित्सालय के सामने वैरायटी स्टोर पर भी खुलेआम जारी है। इस पर लगाम लगा पाना शायद स्वास्थ्य विभाग के वश में नही है।
स्वास्थ्य विभाग का कार्य पुलिस के सहयोग से अगर कोई भी मेडिकल संचालक़ अवैध रूप से नशे में प्रयुक्त होने वाली दवाईया बिना चिकित्सक की पर्ची से बेचते पाये जाते है तो दुकान का लाइसेंस रद्द करने व् मेडिकल संचालक के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही और पकड़ कर कोर्ट में पेश करना है। इसके बाद सजा देना व जुर्माना करना कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में होता है। एरिया ड्रग इंस्पेक्टर को विभाग की तरफ से जाँच के सम्बन्ध में टारगेट भी दिया जाता है लेकिन सम्बंधित अधिकारी इसी टारगेट को पूरा कर खानापूर्ति करने की जुगत में लगे रहते है।
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