Advertisement

Advertisement

प्रदेश में कल से बदल जायेंगे 'आंगनबाड़ी केन्द्रों' के नाम,40 करोड़ से होगी विकसित


राजस्थान/जयपुर । अब आपको जानकार हेरानी होगी की अब आंगनबाड़ी केंद्र किसी ओर नाम से जाने जायेंगे । जब से केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार आई हैं हर दिन योजनाओं और स्थानों के नाम बदलने की खबरे आती रही हैं उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अब आंगनबाड़ी केंद्र को अब आंगनबाड़ी पाठशाला का नाम दिया गया हैं ।

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनीता भदेल ने कहा कि आगामी 30 मार्च के बाद प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्र ‘आंगनबाड़ी पाठशाला’ के नाम से जाने जाएंगे, जिनमें ‘किलकारी‘ गूंजेगी, ‘उमंग‘ खिलेगी और ‘तरंग‘ बढे़गी।

प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा कार्यक्रम का भी आगाज़

राज्य में पहली बार प्री स्कूल वर्क बुक्स के माध्यम से ‘प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा कार्यक्रम’ 30 मार्च को सम्पूर्ण राजस्थान में लागू किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत प्रदेश के लगभग 61,000 से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों को जीवन्त प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा केन्द्र बनाने के लिए इन्हें ‘आंगनबाड़ी पाठशाला’ के रूप में विकसित किया जाएगा।

40 करोड़ से विकसित होगी आंगनबाड़ी पाठशाला

महिला एंव बाल विकास मंत्री मीडिया के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रही थी। राज्य सरकार महिला एवं बच्चों के विकास के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार द्वारा बजट घोषणा वर्ष 2017-18 में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आधारभूत सुविधाएं जैसे-टेबिल, कुर्सी, ग्रीन बोर्ड, डिस्प्ले बोर्ड इत्यादि उपलब्ध कराने के लिए 40 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह राशि केन्द्र को ‘आंगनबाड़ी पाठशाला‘ के रूप में और अधिक सृदढ़ व बाल सुलभ बनाने में सहायक होगी।

ये रहेगा क्रम

आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा के सफल क्रियावन्यन के लिए समय सारणी अनुसार प्रत्येक आयुवर्ग के बच्चों को उनकी वर्कबुक क्रमशः किलकारी (3 से 4 वर्ष), उमंग (4 से 5 वर्ष) व तरंग (5 से 6 वर्ष) में विकास के पांचों आयामों पर आधारित गतिविधियां प्रतिदिन करवाई जाएगी तथा अन्य गतिविधियों के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए गतिविधि संकलन बनाया गया है।

प्रत्येक अमावस्या को होगी अभिभावक बैठक

केन्द्र पर पंजीकृत सभी शाला पूर्व शिक्षा के लाभार्थियों के विकास व क्षमताओं का सतत् आकलन निर्धारित प्रपत्र में त्रैमासिक किया जाएगा। प्रत्येक अमावस्या को होने वाली अभिभावक बैठक में बच्चों की प्रगति व विकास पर चर्चा की जाएगी व सत्र के अन्त में जो बच्चे अनौपचारिक शिक्षा पूर्ण कर लेंगे, उन्हें प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जो कि स्कूल में प्रवेश के लिए तैयार होने का प्रमाण पत्र होगा।

उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा समेकित बाल विकास सेवाएं द्वारा यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों पर विभिन्न सेवाएं प्रदान की जाती है, जिसमें प्रीस्कूल शिक्षा एक महत्वपूर्ण घटक है। जिसमें 3 से 6 वर्ष के बच्चों को खेल-खेल में सिखाया जाता है तथा स्कूल में प्रवेश के लिए तैयार किया जाता है।

अब प्रदेश में आंगनबाड़ीयों के नाम बदल दिए गए हैं लेकिन काम कितना हो पाता हैं ये तो समय ही बता पायेगा । लेकिन आंगनबाड़ी में पहले से भी काफी योजनाए हैं जो धरातल पर मोजूद ही नहीं हैं ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Advertisement

Advertisement