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राम कृपा हो तो मिल जाता है बैकुंठ

हनुमानगढ़। जंक्शन की नई धान मण्डी में 27 फरवरी से चल रही श्री संगीतमय श्रीराम कथा के तीसरे दिन कथा वाचक परम विदुषी डॉ. राधिका दीदी जी हरीद्वार वाले ने कहा कि जब पंचवटी में भगवान श्री राम चंद्र जी का अपनी भार्या सीता और भाई लक्ष्मण के साथ प्रवेश होता है तो पंचवटी का पर्यावरण हरा-भरा हो जाता है। इससे पहले पंचवटी बिल्कुल सूखे पौधे की तरह मुर्झाई हुई थी। जिस तरह सूखे पौधे को पानी देने के बाद वह हरा-भरा हो जाता है, उसी प्रकार प्रभु राम चंद्र जी के पंचवटी में प्रवेश के साथ ही पंचवटी हरी-भरी हो गई। पंचवटी में पक्षी चहचहाने लगे। वृक्ष की लताएं निकल आईं। मयूर नृत्य करने लगे। चारों तरफ आनंद की धारा बहने लगी। अर्थात राम जी के आगमन के बाद से ही पंचवटी का सौंदर्य खिल उठा। परम विदुषी डॉ. राधिका दीदी जी ने यह विचार श्री राम भवन में चल रही दिव्य राम कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह के समक्ष व्यक्त किए। परम विदुषी डॉ. राधिका दीदी जी ने कहा कि प्रभु राम चंद्र ज्ञान, सीता भक्ति और लक्ष्मण वैराग्य हैं। जहां ज्ञान, भक्ति और वैराग्य आ जाता है, वहां की पंचवटी खिल ही जाती है। मनुष्य शरीर भी पंचवटी ही है, मगर इस शरीर में जब तक राम चंद्र जी रुपी ज्ञान, सीता रुपी भक्ति और लक्ष्मण रुपी वैराग्य का प्रवेश नहीं होता तब तक शरीर रुपी पंचवटी खिल नहीं सकती। मनुष्य को शरीर रुपी इस पंचवटी से सदा अछे कर्म ही करने चाहिएं। हमेशा सबके  भले के बारे में ही सोचना चाहिए।
राम कृपा हो तो मिल जाता है बैकुंठ
परम विदुषी डॉ. राधिका दीदी जी ने कहा कि रामायण के अनुसार दो लोग ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपनी योगाअग्नि प्रकट कर अपने शरीर को भस्म कर दिया था। इनमें से एक तो सरभंग ऋषि हैं और दूसरी सति। इन्होंने प्रभु पर विश्वास बनाए रखा और उनकी वर्षों तक प्रतीक्षा की। श्री राम कृपा के फलस्वरुप इन्हें बैकुंठ धाम प्राप्त हुआ। जो भक्त प्रभु राम पर विश्वास बनाए रखता है उसे भी बैकुंठ की प्राप्ति हो जाती है। आयोजन समिति के सदस्यों ने कहा कि 27 फरवरी से 7 मार्च तक दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक होगी और कथा का समापन 8 मार्च को सुबह 10 बजे होगा।

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