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गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में आरटीई एक्ट के तहत दिलवाओ मुफ्त शिक्षा

किशोर न्याय अधिनियम 2015 का जिले में हो प्रभावी क्रियान्वयन‘‘

राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्यों ने बैठक में कहा

आयोग सदस्य  एसपी सिंह और अर्जुन बागड़ी ने कलेक्ट्रेट में ली बैठक




श्रीगंगानगर, । ‘‘जिले के गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत मुफ्त शिक्षा दिलवाओ और जिले में किशोर न्याय अधिनियम 2015 का प्रभावी क्रियान्वयन हो‘‘ ये कहना है राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य एडवोकेट एसपी सिंह और  अर्जुन बागड़ी का। जो बुधवार को जिला कलेक्ट्रेट में आयोजित विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। आयोग के सदस्यों ने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट ) के तहत जिले की सभी प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान है लेकिन इन स्कूलों में 10 फीसदी सीटें भी गरीब के बच्चों से नहीं भर पाती । लिहाजा गरीब लोगों को ये जानकारी दी जाए कि उनके बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों में बिल्कुल मुफ्त शिक्षा मिल सकती है। इसको लेकर जिले में वार्ड वाइज शिविर लगाया जाए और लोगों को जागरूक किया जाए कि उनके बच्चे भी मंहगी प्राइवेट स्कूलों में बिल्कुल मुफ्त शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। जिला कलक्टर  ज्ञानाराम ने इसको लेकर जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि इस अधिनियम के अंतर्गत जितनी भी प्राइवेट स्कूल आती हैं उनको चिन्हित कर उनकी कुल सीटों की जानकारी हासिल की जाए।  फिर उन स्कूलों के आसपास की कच्ची बस्तियों को चिन्हित कर वहां शिविर लगा कर लोगों को ये जानकारी दी जाए कि प्राइवेट स्कूलों की कुल सीटों की 25 फीसदी सीटों पर उनके बच्चे भी बिल्कुल मुफ्त पढ़ सकते हैं।

                          आयोग के सदस्य एडवोकेट एसपी सिंह ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 की जानकारी देते हुए जिले में इसका प्रभावी क्रियान्वयन करने की बात कही।  सिंह ने कहा कि अधिनियम की धारा 107 का थानों में पालन हो। थाने में बाल डेस्क की स्थापना की जाए। ताकि ये पता तो रहे कि बच्चों से संबंधित मामलों की कहां सुनवाई होगी। साथ ही थानों में किशोर न्याय बोर्ड और बाल कल्याण समिति के सदस्यों का नाम और मोबाइल नंबर भी लिखा जाए।  सिंहने कहा कि जिले में कहीं भी अगर कोई बच्चा या बच्ची लावारिश मिलता है तो सबसे पहले बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को इसकी जानकारी दी जाए। ताकि आगे की कार्रवाई थाने के लिए भी आसान हो जाए। सीडब्ल्यूसी ही ये तय करेगी कि बच्चा किसको सौंपना है। साथ ही श्री सिंह ने जिला पुलिस अधीक्षक को भी जिले की क्राइम बैठकों में सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष को बुलाकर किशोर न्याय अधिनियम के बारे में पूरी जानकारी देने की बात कही। साथ ही थानों के इंस्पेक्शन के समय भी कलक्टर और एसपी किशोर न्याय अधिनियम की पालना हो रही है या नहीं इसकी जानकारी ले सकते हैं।

                           बैठक में सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष राजकुमारी जैन ने आयोग के सदस्यों के सामने समस्या रखी कि जब लड़की 18 साल से कम होती है तो उसे जिले में रखने को लेकर बडी दिक्कत का सामना करना पड़ता है इसको लेकर कोई व्यवस्था हो जाए तो उस लड़की को बीकानेर नहीं भेजना पड़ेगा। इसको लेकर आयोग सदस्यों ने कहा कि सीडब्ल्यूसी को पूरा अधिकार है कि वो लडकी को कहां रखे। बैठक में इसके अलावा बाल श्रम उन्मूलन, जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषण की स्थिति की समीक्षा की।

                           बैठक में आयोग के सदस्य एडवोकेट  एसपी सिंह और  अर्जुन बागड़ी के अलावा अल्यसंख्यक आयोग की सदस्य  लिलियन ग्रेस, जिला कलक्टर  ज्ञानाराम, एसपी  राहुल कोटोकी, एडीएम प्रशासन  करतार सिंह पूनियां, सीईओ जिला परिषद  विश्राम मीणा, महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक  ऋषिबाला श्रीमाली, समाज कल्याण के उपनिदेशक बीपी चंदेल, पीआरओ सुरेश बिश्नोई, एसीएमएचओ डॉ. मुकेश मेहता, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष राजकुमारी जैन, किशोर न्याय बोर्ड के श्री बलकरण सिंह और अनिता शर्मा समेत सीडब्ल्यूसी के सदस्य और अन्य अधिकारी मौजूद थे। 

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