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एसबीआई में बैंको के विलय के बाद बैंक ने शख्त किये नियम, अब बैंक लेन-देन में रखे सावधानी नहीं तो चुकाना होगा शुल्क और सेवाकर दोनों


राष्ट्रीय । देश से लेकर प्रदेश में कल 1 अप्रेल से एसबीआई बैंक में पांच बैंको के विलय होने से चर्चा में हैं । वहीं इन सभी को लेकर आम ग्राहकों से लेकर ख़ास तक में चर्चा का विषय बना हुआ हैं । चर्चा हो भी तो क्यूँ ना ? कल देश में बैंक सेक्टर में हुए इतने बड़े बदलाव में आमजन को ढलने में थोड़ा वक्त तो लगेगा ही । वहीं देश के सबसे बड़े बैंक एस.बी.आई. से 5 बैंकों का विलय हो गया है। विलय होने वाले बैंकों के ग्राहक 1 अप्रैल यानी की कल से एस.बी.आई. के ग्राहक हो गए हैं। साथ ही बैंक ने अपनी सर्विस चार्ज में भी बदलाव कि‍या है जिसका सीधा असर बैंक ग्राहक पर होगा । जिसको लेकर भी ग्राहकों में असमंजस का माहोल बना हुआ हैं ।

इन पांच बैंको का कल हुआ था विलय

कल देश और प्रदेश में कुछ बैंको का वजूद खत्म हो गया हैं उनमे से ये पांच बैंक शामिल हैं जो की आपको भविष्य में नज़र नहीं आयेंगे -स्‍टेट बैंक ऑफ इंडि‍या (एस.बी.आई.) में 5 एसोसि‍एट बैंकों- स्‍टेट बैंक ऑफ बि‍कानेर एंड जयपुर, स्‍टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्‍टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्‍टेट बैंक ऑफ पटि‍याला, स्‍टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का मर्जर हो गया है। वहीं भारतीय महि‍ला बैंक पहले से ही स्‍टेट बैंक ऑफ इंडि‍या के साथ है। जिसके बाद से देश में इन सभी बैंको के अब ग्राहक एसबीआई के ग्राहक बन गये हैं ।

दुनि‍या के टॉप बैंकों में  एसबीआई भी हुआ शामि‍ल

इस बड़े फैर बदल से जहाँ एसबीआई दुनिया के टॉप बैंको में शामिल हो गया हैं वहीं पांच बैंको का नाम अब इतिहास हो गया हैं एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो इस मर्जर के साथ एस.बी.आई. एसेट्स के हि‍साब से दुनि‍या के टॉप 50 बैंकों में शामि‍ल हो गया है। बैंक का टोटल कस्‍टमर बेस 37 करोड़ हो गया है। देश भर में ब्रांच नैटवर्क करीब 24,000 और करीब 59,000 ए.टी.एम. हैं। मर्जर के बाद टोटल डि‍पॉजि‍ट बेस 26 लाख करोड़ रुपए से ज्‍यादा है और एडवांस लेवल 18.50 लाख करोड़ रुपए है। मर्जर के बाद सभी एसोसि‍एट बैंकों के कस्‍टमर्स एस.बी.आई. के डि‍जि‍टल प्रोडक्‍ट्स और सर्वि‍सेज का फायदा उठा सकते हैं।

एसबीआई की सेवाओं में भी हुआ इजाफा 

1 अप्रैल से एस.बी.आई. अपने ग्राहकों को सिर्फ एक महीने में 3 बार ही बैंक खातों में पैसे जमा कराने की मुफ्त सेवा मुहैया कराएगा। 3 बार के बाद नकदी के प्रत्येक लेनदेन पर 50 रुपए का शुल्क और सेवाकर देना होगा। वहीं चालू खातों के मामले में यह शुल्क अधिकतम 20,000 रुपए भी हो सकता है।बैंक ने ए.टी.एम. सहित अन्य सेवाओं के शुल्क में भी बदलाव किए हैं। बैंक ने मासिक औसत बकाया (मिनिमम बैलेंस) के नियमों में भी बदलाव किए हैं। मेट्रो सिटी के खातों के लिए न्यूनतम 5000 रुपए, शहरी क्षेत्रों में 3000 रुपए, सेमी अर्बन में 2000 तथा ग्रामीण या रूरल इलाकों में 1000 रुपए न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी होगा। न्यूनतम राशि ना रखने वाले ग्राहकों से बैंक चार्ज वसूलेगा। एक महीने में अन्य बैंक के ए.टी.एम. से 3 बार से ज्यादा निकासी पर 20 रुपए और एस.बी.आई. के ए.टी.एम. से 5 से ज्यादा निकासी पर 10 रुपए का शुल्क लिया जाएगा।

इन सभी शुल्क को अगर देखा जाए तो ग्राहकों को कुछ हद तक झटका जरुर लगेगा । वहीं जानकारों की माने तो इस विलय से ग्राहक और कर्मचारी भी कुछ मायूस जरुर दिखाई दे रहे हैं । लेकिन कहते हैं ना थोड़ा वक्त तो लगता ही हैं किसी नए जगह पर नई शुरुआत होती हैं । अब देखने वाली बात ये रहेगी की बैंको के विलय के बाद ग्राहकों का कितना विश्वास बना पाते हैं या ग्राहक टूटने शुरू होते हैं ।

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