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अब मानसिक रोगियों द्वारा आत्महत्या के प्रयास को नहीं माना जाएगा अपराध


फिटनेस खबर । भारत देश में कानून सभी के लिए एक सम्मान बने हुए हैं वहीं आत्महत्या के प्रयास को भी गैरक़ानूनी माना जाता हैं लेकिन अब वहीं इसमे कुछ बदलाव करते हुए मानसिक रूप से कमजोर किसी व्यक्ति द्वारा आत्महत्या के प्रयासों को अब नये कानून के तहत अपराध नहीं माना जाएग । जिसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की स्वीकृति मिल गयी है.

मानसिक रोगियों पर थेरेपी के इस्तमाल पर पाबंदी

वहीं इस कानून में कुछ राहत प्रदान करते हुए मानसिक रोगियों के उपचार में एनेस्थीशिया के बिना इलेक्ट्रो-कन्वल्सिव थरेपी (ईसीटी) या शॉक थरेपी के इस्तेमाल पर पाबंदी का भी प्रावधान है ।

जंजीरों में रोगियों को बांधना गलत

वहीं मानसिक रोगियों की दशा सुधारने के उद्देश्य से राष्ट्रपति ने शुक्रवार (7 अप्रैल) को मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम, 2017 को अपनी मंजूरी दे दी जिसके मुताबिक मानसिक रोगियों को किसी भी तरह से जंजीरों में नहीं बांधा जा सकता ।

कानून का उद्देश्य मानसिक रोगियों के अधिकारों की हिफ़ाज़त करना

इस कानून का उद्देश्य मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का अधिकार देना और उनके हक को सुरक्षित रखना है । जिसके बाद से मानसिक रोगियों के प्रति आमजन में सुधार देखने की उम्मीद हैं ।

मानसिक रोगियों पर नहीं चलेगा मुकदमा

वहीं मानसिक रोगियों को कानून में छुट देते हुए विधेयक के अनुसार, ‘भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 309 में कोई भी प्रावधान हो लेकिन उसके बावजूद कोई भी व्यक्ति यदि आत्महत्या का प्रयास करता है तो उसे, अगर अन्यथा कुछ साबित नहीं हुआ, अत्यंत तनाव में माना जाएगा और उस पर मुकदमा नहीं चलेगा और ना ही कथित संहिता के तहत दंडित किया जाएगा

खुदकुशी की कोशिश करने वालों को मिलेगी पुनर्वास की सुविधा

वहीं इस कानून के निर्माण के बाद कानून के मुताबिक सरकार (केंद्र या राज्य) की अत्यंत तनाव से ग्रस्त व्यक्ति और आत्महत्या का प्रयास करने वाले को देखभाल, उपचार और पुनर्वास की सुविधा देने की जिम्मेदारी होगी ताकि खुदकुशी की कोशिश की पुनरावृत्ति के जोखिम को कम किया जा सके । जिसके बाद से शायद मानसिक रोगियों का नजरिया भी थोड़ा बदल जाएगा ।

वहीं अब मानसिक रोगियों पर हो रहे अनेको प्रकार के अत्याचारों पे अंकुश लगने की भी सम्भावना हैं ।

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