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नहर में आया कटाव |
केसरीसिंहपुर(सोमनाथ नायक)
कस्बे के निकटवर्ती गांव कुब्बेवाला के पास शुक्रवार अल सुबह बुर्जी संख्या 160 के पास से एच नहर टूट गई । जिसे भारी मशक्कत के साथ 5 घण्टो में तीन जेसीबी की सहायता से पाटा जा सका । सुबह 2 बजे टूटी नहर का कारण इसमें अत्यधिक मात्रा में आई केली(जलकुम्बी) बनी । भारी मात्रा में आई केली यहां 2 डब्ल्यू गांव की ओर जाने वाले रास्ते मे बने पुल के बीच फस गई एंव पानी के बहाव को आगे जाने से रोक दिया । इससे पानी ओवरफ्लो होकर दोनों ओर बिखरने लगा । बहाव ने गांव 21 एच की ओर रुख करते हुए नहर में कटाव बना लिया । जो धीरे धीरे बढ़ कर 20 फीट तक पहुंच गया । एंव 100 बीघा खाली जमीन को जलमग्न कर दिया ।
नहर में पानी के ओवरफ्लो होने की सूचना रात्रि 12 बजे ग्रामीण जसवीर सिंह को लगी । इस पर उसने सूचना दी तो गांव कुब्बेवाला के किसान हरनाथ बुट्टर ने गुरुद्वारा से अनाउंसमेंट करवाने के साथ पुलिस, सिंचाई विभाग एंव प्रशाशन को दी । लोगो ने इसे हल्के में लिया तब तक देर हो चुकी थी पुलिस लगभग ढाई बजे पहुंची लेकिन उससे पहले पानी ने जगह बना कर नहर के किनारों को तोड़ दिया । इसके बाद रेलवे, सिंचाई, प्रशाशन के अधिकारीं एंव कर्मचारी पहुंचे । इस दौरान पानी चलता रहा । सुबह पांच बजे जेसीबी के आने के बाद पुल को हटाया गया । एंव केली को एक तरफ कर दूसरी जेसीबी से मिट्टी डालनी प्रारम्भ की गई ।
रेलवे ट्रैक भी हुआ प्रभावित
नहर के एक ओर रेलवे लाइन है । ओवर फ्लो होकर नहर का पानी रेल लाइन के पास से कटाव बना कर उसके नीचे से बहने लगा । लाइन के नीचे घुसने से ट्रैक को नुकसान पहुंचा । जिसके कारण ट्रेनों का समय प्रभावित हुआ । रात्रि तीन बजे सूरतगढ़ से चल कर आने वाली गाड़ी को आधा घण्टा यहां रोकना पड़ा । इसे बाद में सुरक्षा के साथ रेलकर्मियों ने रवाना किया । दूसरी सुबह 5 बजे गंगानगर से सूरतगढ़ जाने वाली ट्रेन को भी सावधानी के साथ निकाला गया ।
रेलवे के समीक तिवारी ने बताया कि पिलर संख्या 107/9 व 108/3 तक 400 मीटर में पटरियों के नीचे से मिट्टी खिसक गई है । नहर के ओवरफ्लो होने से एक ओर बड़ा कटाव भी आया है । इसी से पानी नीचे से निकल कर ट्रैक को थोथा कर गया । इसे नियंत्रित कर लिया गया है । इससे पहले नहर एंव ट्रैक के बीच मे मिट्टी के थैले भर कर रोकथाम की गई थी ।
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जेसीबी की सहायता से कटाव को भरते हुए किसान |
यह बना कारण
नहर के आरडी संख्या 160 पर गांव 2 डब्ल्यू की ओर आने जाने के लिए पुल बनाया हुआ था । रेलवे ट्रैक के अमान परिवर्तन से रास्ता बंद करने के कारण पुल अनुपयोगी हो गया । वही नहर की लाइनिंग के दौरान भी जल संसाधन विभाग ने इसे नही हटाया । पुल के नीचा होने के कारण नहर में आई केली इसमें फंस गई । यही पर ढाफ लग गई । और पानी ओवरफ्लो होकर बाहर निकलने लगा । दबाव बढ़ने पर नहर टूट गई । किसान हरनाथ बुट्टर ने बताया कि इसी पुल के कारण नहर यहां से पहले भी दो बार टूट चुकी है । विभाग के अधिकारियों को इसे हटाने के लिए कई बार लिखा एंव कहा गया था ।
पानी 100 बिघा भूमि जलमग्न
नहर के पांच घण्टे तक लगातार चलने के कारण पानी 4 मुरब्बो तक फैल गया । गनीमत ये रहा कि यहां अभी फसल की बिजाई नही हुई । अलबत्ता ट्यूबवैल इसकी चपेट में आए है । उन्हें नुकसान पहुंचा है । बचत यह रही कि गांव कुब्बेवाला से यह काफी आगे टूटी । अन्यथा गांव चपेट में आ सकता था । पानी गांव 21 एच के भी बिल्कुल नज़दीक पहुंच गया था । लेकिन आबादी क्षेत्र से काफी दूर रहा ।
तीन जेसीबी पहुंची
सुंदरपुरा गांव के पास रातभर जल संसाधन विभाग द्वारा केली निकालने के लिए लगाई गई जेसीबी को तुरंत मौके पर बुलाया गया । इसी दौरान गांव दलपत सिंह पूरा एंव श्री करणपुर से भी दो जेसीबी प्रशाशन ने मंगवाई । तीनो ने मिलकर नहर से पुल के पत्थर को हटाकर नहर में पानी चालू किया । एंव वहां खड़े झाड़ झंखाड़ के साथ मिट्टी डालकर पानी के बहाव को रोक कर नहर के कटाव को बंद किया गया ।
मौके पर ये रहे मौजूद
प्रशाशन की ओर से तहसीलदार गजेंद्र नैण, गिरदावर सुरेंद्र पाल टूरा, पटवारी महेंद्र शर्मा, राकेश कुमार, जल संसाधन विभाग के एक्सईएन प्रदीप रुस्तगी, सहायक अभियंता जगदीश डागला,
कनिष्ठ अभियंता केके मिढा, पुलिस के एएसआई बुध राम, एएसआई भूरा राम मय जाप्ता, रेलवे के कनिष्ठ अभियंता समीक तिवारी करणपुर, श्री गंगानगर के कनिष्ठ अभियंता हरिश्चंद्र शर्मा, कनिष्ठ अभियंता अमित कुमार रेल्वे कर्मियों के साथ पहुंचे ।
चल रहा था 300 क्यूसिक पानी
नहर में 300 क्यूसिक पानी चल रहा था । नहर टूटने के कारण 200 क्यूसिक पानी घटा दिया गया । इससे सिंचाई करने वाले काश्तकारों की बारिया पिट गई । उनकी ओर से इस दौरान हुए पानी के नुकसान की भरपाई की मांग मौके पर की गई । इससे पहले हर बन्दी के बाद भी तीन तीन बारिया प्रभावित हो चुकी है । सजे कुछ आस बंधी थी । और अब यह घटना हो गई ।
जल संसाधन विभाग की रही लापरवाही
किसानों का कहना है कि नहरों में पानी के साथ भारी मात्रा में (केली) जलकुम्बी आ रही थी । इसे निकालने के लिए विभाग ने पुख्ता इंतजाम नही किये । वहीं कर्मचारियो का अभाव दिखाकर इसे पड़ा रहने दिया । और आगे से आगे नहर से होती हुई जाती रही । इससे किसानों ने पूर्व में ही नहरों के टूटने ओर सिंचाई प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की थी । और ये उसी का नतीजा भी है ।
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