फाइल फोटो |
अंतराष्ट्रीय खबर । भारत-पाक के सम्बन्ध को लेकर हमेशा सुर्खिया बनी रहती हैं तो वहीं खबरों की माने तो तुर्की के राष्ट्रपति भी इस भारत-पाक के समबनधो को लेकर वार्ता कर सकते हैं । तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैयब इन्द्रोगान रविवार को भारत पहुंचे और सोमवार को वह देश के पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भारत के एनएसजी सदस्यता प्राप्त करने की कोशिश और आतंकवाद-निरोध एवं व्यापार के क्षेत्र में सहयोग को मजबूती देने के विकल्पों समेत प्रमुख द्विपक्षीय और क्षेत्रीय हितों के व्यापक मुद्दों पर बातचीत करेंगे । वहीं तुर्की राष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी एमीन इर्दोगान, मंत्रिमंडल के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री और 150 सदस्यों का एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है, जो भारत-तुर्की व्यापारिक फोरम की एक बैठक में हिस्सा लेगा ।
इर्दोगान की यात्रा से पहले भारत ने तुर्की और पाकिस्तान के बीच नजदीकी के साथ ही जम्मू कश्मीर पर अंकारा के बयानों को तवज्जों नहीं देने का प्रयास किया और कहा कि सरकार इससे अवगत है कि तुर्की का पाकिस्तान के साथ बहुत नजदीकी संबंध है और यह उनका द्विपक्षीय मामला है । विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) रूचि घनश्याम ने कहा, हमने हमेशा ही इस बात पर जोर दिया है कि भारत-तुर्की संबंध अपने बल पर कायम है और हमारा मानना है कि तुर्की पक्ष हमारी भावनाओं को साझा करता है । उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पर भारत का यह रूख बहुत अच्छी तरह से ज्ञात है कि यह देश का अभिन्न हिस्सा है।
तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोगलू ने गत वर्ष यहां की अपनी एक यात्रा के दौरान एफईटीओ को एक गोपनीय अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क बताया था जिसकी विश्वभर में मौजूदगी है। उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से एफईटीओ ने संगठनों और स्कूलों के जरिये भारत में भी पैठ बना ली है । मोदी और इर्दोगान के बीच बातचीत के दौरान पश्चिम एशिया, विशेष तौर पर सीरिया में क्षेत्रीय सुरक्षास्थिति पर चर्चा होने की उम्मीद है।
तुर्की राष्ट्रपति के भारत यात्रा को लेकर जहाँ अच्छे परिणाम की उम्मीद हैं तो वहीं ज्ञात रहे तुर्की देश पकिस्तान का भी सहयोगी और नजदीकी मित्रो में से एक बताया जाता हैं । वहीं कश्मीर मुद्दे के भी उठने की सम्भावना जताई जा रही हैं । अब आज की वार्ता के बाद ही कुछ स्पष्ट हो पायेगा ।
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