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श्रीगंगानगर : आओ! इन्कम टैक्स ऑफिस चलें!


गोविंद गोयल
श्रीगंगानगर। इन्कम टैक्स ऑफिस! बड़े डाक घर के सामने है इन्कम टैक्स ऑफिस। गंगासिंह चौक से जाओ तो बायीं ओर एसपी ऑफिस से थोड़ा आगे पेट्रोल पंप आएगा, वहां से अंदर की ओर लेफ्ट हो जाना। सड़क पर कुछ कदम फिर लेफ्ट और सीधे इन्कम टैक्स ऑफिस के अंदर। पुरानी आबादी से आओ तो ए माइनर पुलिया से राइट टर्न लेना। फिर लेफ्ट और आप इन्कम टैक्स ऑफिस मेँ। कोडा चौक से आना पड़े तो जेल के पीछे की दीवार वाली सड़क से आना। पुलिया आने से पहले राइट मुड़ना। बस, आ गया इन्कम टैक्स ऑफिस। तो पहुंच गए जनाब! गैलरी मेँ जाओ, लेकिन धीरे धीरे। कदमों की आहट  नहीं होनी चाहिए। क्योंकि पेशाब घर के अलावा सब कमरों के गेट बंद हैं। कमरों की दीवार पर अधिकारियों की नेम प्लेट लगी है।


 किसी किसी दरवाजे मेँ अंदर झाँकने के लिए झीरी या शीशा है, लेकिन ऐसे झांकना मर्यादित नहीं होता। इन्कम टैक्स ऑफिस, वो ऑफिस, जहां केवल माया कष्ट है, थाना की तरह काया कष्ट नहीं। माया तो पर्दे मेँ ही रहे तो बेहतर होता है। इधर पर्दे भी है और किवाड़ भी ढाले हुए। पब्लिक की सीधी डीलिंग तो है नहीं,इसलिए आम आदमी इधर आता  नहीं। कारोबारियों की ओर से वकील, सीए और कर सलाहकार आते हैं, वे इन्कम टैक्स ऑफिस के बाबू से लेकर अधिकारी तक के आगे बोल नहीं सकते। इसके बावजूद इन्कम टैक्स ऑफिस मेँ सभी अधिकारियों के कमरों के दरवाजे बंद क्यों रहते हैं? ये समझ से परे है। ऑफिस के अंदर बंद दरवाजों के पीछे सरकारी काम ही होता होगा! संभव है कोई आंतरिक सुरक्षा की गुप्त मीटिंग होती हो! ये भी हो सकता है बार्डर पर कब क्या करना चाहिए, इस पर गंभीर मंथन हो रहा हो! 


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शायद कश्मीर समस्या पर चिंतन करते हों सब। कुछ तो सीक्रेट है ही। जिसकी भनक किसी को भी नहीं लगनी चाहिए। तभी तो गेट बंद रहते हैं। वह भी उस ऑफिस के अधिकारियों और कर्मचारियों के जिनके पास आम आदमी ने आना ही नहीं। बड़े बड़े कारोबारी नहीं आना चाहते, आम आदमी की तो औकात ही कितनी होती है। आम रास्ते पर ऑफिस नहीं। फिर गैलरी है। गैलरी भी कवर है। उसमें हैं अधिकारियों और बाबुओं के ऑफिस। फिर भी सबके दरवाजे बंद। आप कोर्ट परिसर मेँ जाओ। किसी कोर्ट का गेट बंद नहीं मिलेगा। जिले की सबसे बड़ी कोर्ट के दरवाजे भी खुले रहते हैं। जिला जज बैठे हों तब भी। आते जाते कोई अंदर झांक ले तब भी कोई बात नहीं।


 दरवाजे के सामने एक पल ठीठक कर कोई व्यक्ति जज को काम करते हुए देख भी लेता है। सब सामान्य बात है। आने जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं। बस, मर्यादा बनाए रखनी होती है। परंतु इन्कम टैक्स ऑफिस मेँ कोई ऐसा नहीं कर सकता। इस ऑफिस मेँ आने के बाद ये लगता है कि देश मेँ लोकतन्त्र की बात बेमानी है। शासन जनता द्वारा, जनता के लिए जनता की सरकार का नहीं, इन बाबुओं और अधिकारियों का है, जो बंद दरवाजों के पीछे बैठते हैं। दरवाजे बंद रखने की परंपरा कोई नई नहीं है। ये हर समय ऐसे ही रहते हैं।


 संभव है कोई छिपा हुआ नियम ही इस विभाग का। परोक्ष कानून भी हो सकता है, जिसमें ये लिखा हो कि ऑफिस का काम करते हुए इन्कम टैक्स ऑफिस के किसी कर्मचारी/अधिकारी की सूरत दिखाई नहीं देनी चाहिए। राम जाने क्या कारण है, लेकिन ये सच है कि इन्कम टैक्स ऑफिस के हर कमरे का गेट बंद मिलेगा। अधिकारी अंदर है तब भी और ना है तब भी। यही स्थिति आईएएस, आईपीएस, आरएएस, आरपीएस के अधिकारियों के ऑफिस की है। गेट बंद। जब मर्जी हो मिलेंगे। वरना तो साहब मीटिंग मेँ हैं। जिनको जनता के लिए लगाया जाता है, उनको जनता देख भी नहीं सकती। 

दो लाइन पढ़ो-

अफसर सारे मौज में भैया नहीं नगर का ज्ञान कोई लुटे चाहे कोई पिटे जी उनको क्या श्रीमान।

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