समस्याओं को लेकर संवेदनहीन जन प्रतिनिधि
गजसिंहपुर ( सुरेन्द्र गौड़ )
गजसिंहपुर, जैसा की नाम से ही बताता है की यहाँ शेर जैसा होंसला और हाथी जैसा धर्य रखने वाले वाशिंदे रहते है । यह बात, यथार्थ तब साबित होती है जब एक सीमावर्ती कस्बे की सुविधा पाने के लिए जनता को धर्य और साहस के साथ सरकार से लम्बी जंग लड़नी पड़ती है ।
यहाँ पानी ,बिजली के साथ साथ हर मूलभूत सुविधा के लिए जनता को न केवल सरकार को जगाने के लिए सड़कों पर उतर कर आन्दोनल करना पड़ता है बल्कि सरकार के कोप के भाजन के कारण मुक़दमें भी झेलने पड़ते है ।
चाहे काँग्रेस और चाहे भाजपा की सरकार रही हो यह इलाका हमेशा सुविधाओं से महरूम और उपेक्षित रहा है ।गजसिंहपुर श्री करणपुर सड़क पिछले लम्बे समय से बदहाल है ।पिछले दो वर्षों से जनप्रतिनिधि इसके निर्माण की घोषणायें किए जा रहें है किंतु सड़क निर्माण अधर झूल में है । सड़क निर्माण की महज घोषणाएँ सुनने की लिए जनता को सड़को पर आंदोलन करने पड़ रहे है , चाहे स्वच्छ जल आपूर्ति का मामला हो चाहे कस्बे को तहसील बनाने की माँग , चाहे सीमा से जुड़ी चिकित्सा सुविधा का मामला हो , आज भी अधूरा है ।
तहसील का मामला राज्य सरकार की फाईलों में दबकर दम तोड़ रहा है तो राजकीय चिकित्सालय आज भी रेफरल सेंटर बना हुआ है । आपात सेवा के नाम पर यहाँ कोई सुविधा नही है , एम्बुलेंस में ही मरीज को औपचारिक इलाज की खानापूर्ति कर कस्बे से 65 किलोमीटर दूरी के लिए भगवान भरोसे धकेल दिया जाता है । किसी भी जनप्रतिनिधि ने सीमावर्ती इलाका होने का दर्द नही समझा और न ही चिकित्सालय के लिए सुविधाएँ उपलब्ध करवाने की ज़हमत उठाई और न ही चिकित्सक ही दिए । हालाँकि सरकार स्वच्छता का अभियान चलाए हुए है किंतु यहाँ के वाशिन्दों को स्वच्छ जल तक नसीब नही हो रहा ।
जलदाय विभाग द्वारा पिछले लम्बे अरसे से बिना फ़िल्टर के पानी सप्लाई किया जा रहा है । स्वच्छ पानी की माँग को लेकर सत्तापक्ष के पालिका अध्यक्ष पृथ्वी राज़ ,पालिका उपाध्यक्ष गौरव सोनी व उसके सदस्य साथियों को जलदाय विभाग के सामने धरना तक देना पड़ गया किंतु बेपरवाह विभाग आज भी गंदा व बिना फ़िल्टर पानी जनता को पिला रहा है । यहाँ धानमंडी का मामला राजनैतिक दांवपेंचों के कारण न्यायलय में विचाराधीन है । अगर जनप्रतिनिधि आमजन से मिलकर इस समस्या का समाधान चाहते तो सम्भव तय यह मामला कोर्ट की दहलीज तक न जाता । किंतु यह मामला दलगत नीति में उलझ कर रह गया है । बिजली की आँख मिचौनी के कारण यहाँ की अधिकतर उधोगिक इकाईयां बंद हो चुकी है ।
यहाँ की बिजली आपूर्ति को ग्रामीण क्षेत्र से जोड़ रखा है , जब भी किसी गांव में मरम्मत कार्य होता है तो गजसिंहपुर की बत्ती गुल हो जाती है । इसी के चले उधोग धंधे धंधे ठप्प हो गए और लोग बेरोजगार हो गए । गजसिंहपुर को आने वाली सड़के न होना भी उधोग बंद करने में अहम कारण रहा । रेलवे लाइन के पार सरकारी स्कूल है किंतु वहाँ पहुँचने के लिए रेल पटरियों को पार करना पड़ता है जो खतरे से खाली नही है ।
यहाँ रेल ओवर ब्रिज की माँग अनसुनी की जा रही है । पूर्व केंद्रीय मंत्री निहाल चंद मेघवाल ने रेलवे सटेशन पर सुविधा विस्तार के लिए छः माह पूर्व एक करोड़ की घोषणा की किंतु यह राशि भी फाईलों में अटक कर रह गई । कस्बे में निसहाय पशुओं के लिए जोहड है किंतु उसमें पानी नही है । नगर पालिका की 24 घंटे पानी की बारी कहाँ हरियाली में योगदान दे रही है अधिकारीयों तक को नही पता । आवारा पशुओं की समस्या भी यहाँ, विकराल होती जा रही है ।
यहाँ राजकीय कॉलेज की अक्सर माँग उठती रही है किंतु कानून के अनुसार आबादी और तहसील या उपखण्ड न होने, की बात कह कर जनप्रतिनिधि जनता को चुप करवा देते है । क्या सीमावर्ती इलाके में कुछ कानूनी रियायतें देकर सुविधायें नही दी जा सकती ? इस बात पर जन प्रतिनिधि मौन हो जाते है ।
हालाँकि इस क्षेत्र में गुरमीत सिंह कुननर, सुरेन्द्र पाल सिंह टी टी , निहाल चंद , जैसे मंत्री रहे है किंतु पूर्व समाज कल्याण मंत्री कुंदन लाल मिगलानी द्द्वारा विकास की शुरुआत को कोई भी मंत्री कायम नही रख सका । आज भी भारत पाक सीमा पर स्थित गजसिंहपुर सुविधाओं को तरस रहा है ।
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