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23 साल बाद हरनेक सिंह को उम्रकैद, राजेन्द्र मिर्धा अपहरण काण्ड में कोर्ट ने सुनाया फैसला


आतंकी भुल्लर को छुड़ाने के लिए किया था अपहरण
जयपुर। राजस्थान के बहुचर्चित राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड में फैसला सुनाते हुए शुक्रवार को जयपुर एडीजे कोर्ट आरोपी हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सजा के बिन्दुओं पर बहस के बाद  एडीजे प्रमोद मलिक ने यह फैसला सुनाया। आरोपी को यह सजा राजेन्द्र मिर्धा के अपहरण, हथियार रखने व  पुलिस से एनकाउंटर मामले में सुनाई गई।


आपको बता दें कि खालिस्तान मूवमेंट से जुड़े रहे  देवेन्द्र भुल्लर को पंजाब जेल से छुड़ाने के लिए राजेंद्र मिर्धा का अपहरण  किया गया था। पंजाब पुलिस ने भुल्लर को गिरफ्तार किया था। टाइगर लिबरेसन फोर्स के चीफ को छुड़ाने के लिए किया ही राजेन्द्र मिर्धा का हुआ था। इस मामले दो आरोपियों को पहले ही सजा हो चुकी है। दयासिंह लाहोरिया और उसकी पत्नी सुमन को कोर्ट पूर्व में सजा सुना चुका है। जबकि एक अन्य आरोपी नवनीत कादिया की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी।


गुरुवार को करीब 23 साल पुराने इस मामले में महानगर की एडीजे कोर्ट (3) ने आरोपी हरनेक सिंह को दोषी करार दिया था. सजा के बिंदुओं पर बहस पूरी होने के बाद फैसला शुक्रवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया गया था। मामले में दोषी करार दिए गए हरनेक सिंह पर अपहरण, मुठभेड़ और अवैध हथियार रखने के आरोप हैं। 

अदालत ने आरोपी हरनेक सिंह को इन तीनों ही मामलों में दोषी करार दिया है। 17 फरवरी 1995 को आतंकी देवेन्द्र सिंह भुल्लर को पंजाब की जेल से छुड़ाने के लिए तत्कालीन कांग्रेस नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा का सी-स्कीम से अपहरण किया गया था। मामले में आरोपी हरनेक सिंह के खिलाफ 23 सितंबर को अभियोजन की बहस पूरी हो गई थी।


यह था पूरा मामला


पंजाब जेल में बंद खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के आतंकी देवेन्द्र सिंह भुल्लर को छुड़ाने के लिए 1995 में केन्द्र सरकार में मंत्री रामनिवास मिर्धा के पुत्र राजेन्द्र मिर्धा का 17 फरवरी 1995 को आजाद मार्ग सी-स्किीम से खालिस्तान लिबरेशन फोर्स से जुड़े आतंकी नवनीत सिंह कांदिया, हरनेक सिंह व दया सिंह लोहारिया ने अपहरण कर लिया था।

 आंतकियों ने अपहरण से पहले एक माह तक राजेन्द्र मिर्धा की रैकी की फिर मालवीय नगर में किराए का मकान लेकर इसमें हथियार जमा किए। बाद में योजनाबद्व तरीके से मिर्धा का अपहरण कर इसी मकान में बंधक बना कर रखा गया। बाद में पुलिस के लिए मुखबीर बने दुधिए की सूचना पर पुलिस ने मालवीय नगर के उक्त मकान की घेराबंदी की, आतंकियों ने पुलिस पर गोलिया चलाई जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई जिसमें नवनीत कांदिया मारा गया। 

दयासिंह अपनी पत्नी व हरनेक सिंह के साथ फरार हो गया था। केन्द्रीय एजेंसियों ने बाद में दया सिंह व उसकी पत्नी को कनाड़ा से पकड़ कर लाई इस बीच हरनेक सिंह भी पंजाब पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसके बाद राजस्थान पुलिस उसे जयपुर लेकर आई।

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