केसरीसिंहपुर( गुरविन्द्र बराड़)
जब चुनावो का दौर आता है तो अपने आप को आगामी अपनी दावेदारी पेश करने वाले नेता हाईकमान से सम्पर्क साधने के साथ साथ पार्टी के रुष्ट कार्यकर्तायों को भी फिर से पार्टी के साथ जोड़ने का कार्य शुरू कर देते है।क्योकि कार्यकर्ताओ के बिना कोई चुनाव लड़ा नही जा सकता। परन्तु अगले वर्ष राज्य में विधानसभा चुनाव होने है वसुन्धरा सरकार अपने पांच साल पूरे करने जा रही है।
और आगे चुनावो में टारगेट 180 का लक्ष्य तय भी कर दिया है। लेकिन बड़े अफ़सोस की बात है कि मोदी,एव वसुन्धरा लहर में बड़ी मुश्किल से भाजपा स्थानीय सीट बचा पाई थी। लेकिन इस वक्त तो किसान पानी , फसलो के भावो को लेकर सड़को पर आंदोलन कर रहे है।इसके अलावा छोटा व्यापारी वर्ग भी जीएसटी के लगने से काफी दिक्कते झेल रहा है नोट बंदी से लेकर बाजारों में पहले दिखने वाली रोनक अब बाजारों से गायब है ।
ऊपर से विकास के नाम पर भी लोगो को कुछ खास नजर नही आ रहा। स्थानीय भाजपा की बात करे तो मंडल अध्यक्ष की मेहर बानी से भाजपा के कार्यकर्ता कई गुटो में बंट चुके है।जिसके कारण शुरू से भाजपा की झोली में रहने वाला नगर पालिका बोर्ड बहुमत के साथ केंद्र एवं राज्य में भाजपा की सत्ता होते हुए भी कांग्रेस अपना बोर्ड बनाने में कामयाब हो गई । क्षेत्रिय मंत्री देखते ही रह गए। इसके बाद भी भाजपा की जिला इकाई ने इस और कोई ध्यान ना देते हुए ऐसे लोगो के हाथ में मंडल का नेतृत्व सौप दिया जो सक्रिय कार्यकर्ताओ को साथ रखने की बजाये अधिकारिओ को अपनी जेब में रखने पर विश्वाश रखते है।
जो अधिकारी इनकी नाजायज मांगो को नहीं मानते ये उनके खिलाफ विपक्ष की भांति धरने लगाने से भी गुरेज नहीं करते। इन लोगो से दुःखी किसी भी सरकारी कार्यालय में कोई अच्छा अधिकारी आने को तैयार नही है।मंडी क्षेत्र के सौ गांवो चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने वाला राजकीय चिकित्सल्य में डॉक्टर ने होने से लोगो को सुविधा देने वाला अस्पताल ठेंगा दिखा रहा है । इतना कुछ होते हुए भी भाजपा के कद्दावर नेता फिर से सत्ता में आने के ख्वाब देख रहे है।
यदि समय रहते संगठन को टुकड़ो में बांटने वाले चंद नेताओं को नहीं रोका गया तो स्थानीय स्तर पर 2018में भाजपा औंधे मुंह गिरेगी। कथित जननेता का लबादा ओढ़कर अधिकारियों को दबाने के साथ दबादले की धमकियां तक देकर अपना उल्लू सीधा करवाने की जुगत में ही रहना इनकी फितरत बन चुका है । जनता को अपने कामो के लिए चक्कर लगवाने पड़ते है । जन समस्याए मुह बाये खड़ी है । चुनावो में वार्ड पांच की विकराल जोहड़ को हटाने की घोषणा कर दी गई । लेकिन चार साल होने को आए इसपर कोई काम नहींहुआ । हर बार आश्वासन के सिवाए कुछ नहीं ।
वार्ड वासी परेशान और अपना नुक्सान होते आंखो से देखने को मजबूर है । आवागमन के साधनों का अभाव , धान मंडी को बाहर स्थानांतरित करने का मामला ठंडे बस्ते, विद्यार्थियों के लिए सरकारी महाविद्यालय, डिस्कॉम का कस्बे में जीएसएस, थाना लाइनों के पार, ट्रेन का समय हो या फाटक ओर खराबी भगवान भरोसे जनता, साधावाली काट का बाईपास अधर झूल में , सड़को की दुर्दशा, बीएसएनएल कार्यालय अधिकारी-कर्मचारी विहीन,चिकित्सालय डॉक्टर विहीन, पशु चिकित्सालय एक मात्र चिकित्सक, नगरपालिका जेईएन विहीन, स्वच्छ पेयजल के लिए तरसती नई कॉलोनियां, आंगनबाड़ी केंद्र भवन विहीन, मिर्जेवाला रोड खस्ताहाल आखिर कब जागेगी यहा की सरकार, मंत्री । लेकिन कोई सरोकार नहीं । कथित नेताओ की कठपुतली बन कर रह गए है यहा के मंत्री । भाजपा का पौधा लगाकर सींचने वाले लोग दरकिनार कर दिए गए । दूसरी पार्टियों से रुष्ट होकर भाजपा की शरण में आए अब कर्णधार बन बैठे ।
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