जोधपुर/बाड़मेर: देश की राजधानी दिल्ली के बाद अब पश्चिमी राजस्थान में भी कुछ लालची लोग मुनाफा कमाने के लिए आपकी जान जोखिम में डाल रहे हैं. रसोई गैस सिलेंडर में पानी भरकर ये मुनाफाखोर आपकी जेब और जान दोनों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. यानी पैसे तो आप गैस के चुकाते हैं लेकिन बदले में आपको गैस सिलेण्डर में पानी मिलता है. ऐसा ही एक मामला बाड़मेर के बायतु उपखंड में सामने आया है.
दरअसल यहां बायतु में संचालित हो रही खेमाबाबा एस. पी. गैस एंजेसी से जब एक उपभोक्ता गैस टंकी लेकर अपने घर पहुंचता तो उसकी सील जस की तस मिली और उसका वजन भी जस का तस था, लेकिन दो दिन गैस मिलने के बाद गैस नही ई तो गैस सिलेंडर को उल्टा कर देखा तो पानी निकलने लगा.
उपभोक्ता अर्जुनराम ने बताया कि गैस की टंकी जब जल्दी खाली हुई तो गैस सिलेंडर में वजन लगा और गैस सिलेंडर में गैस होना महसूस किया. और गैस टंकी को उल्टा किया तो पाइप से पानी निकलने लगा. पानी निकालने की बात जब आसपास के लोगों को कही तो मौके पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. बताया कि गैस टंकी को उल्टा किया तो उसमें से लगभग 2 लीटर से ऊपर पानी निकला. जिसका रंग हल्का काला था. इससे पूर्व में खेमाबाबा HP गैस एजेंसी से जब उपभोक्ता ने शिकायत की तो उसे जवाब मिला कि गैस की टंकी में पानी निकले या गैस, चाहे कोबरा. ये हमारी जिम्मेदारी नहीं है.
खाली टंकी का वजन किया तो 17 किलो 400 ग्राम वजन हुआ जबकि खाली टंकी का वजन 15 किलो 800 ग्राम होता है. ऐसा ही इससे पूर्व देश की राजधानी दिल्ली में भी गैस सिलेंडर से पानी निकलने की घटना सामने आ चुकी है. बताया जाता है कि जिस सिलेंडर में पानी डाला जाता है उसमें से गैस चोरी की जा चुकी होती है. उसमें से कुछ किलो गैस पहले ही निकाल ली जाती है. जिससे सिलेंडर हल्का हो जाता है उसका वजन पूरा करने के लिए उसमें पानी भर दिया जाता है.
गौरतलब है कि एलपीजी पानी से हल्की होती है. लिहाजा अगर पानी को सिलिंडर में थोड़े प्रेशर से भरा जाए तो वो आसानी से सिलिंडर में चला जाता है. लेकिन ऐसी चोरी जोखिम भरी है. एक चूक आपकी रसोई में बम बन कर फट सकती है. यानि साफ है कि गैस चोरी का ये तरीका ना सिर्फ आपकी जेब पर भारी पड़ता है बल्कि आपकी जान पर भी भारी पड़ सकता है. क्योंकि रसोई गैस के ये चोर लगातार सिलेंडरों से छेड़छाड़ करते हैं.
अपनी कारीगरी दिखाने के बाद डिलिवरी मैन यही सिलेंडर आपके घर पहुंचाते हैं. यानि वो सिलेंडर जिसकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया हो, वो सिलेंडर जो कभी भी गैस लीक कर सकता हो. ये धंधा खुलेआम चल रहा है लेकिन किसी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती. मालूम हो कि हर सिलेंडर में 14.2 किलो गैस होनी चाहिए. इस काले धंधे में जुड़े लोग हर सिलेंडर से 3-4 किलो गैस निकालते हैं. जो चोरी के सिलेंडर भरे जाते हैं और चोरी के बाद असली सिलेंडर में सील और कैप उसी होशियारी से वापस लगा दिया जाता है.
लोगों की आंखों में धूल झोंकने का ये रैकेट दिल्ली-एनसीआर के बाद अब पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर में भी सामने आ रहे है. इस बारे में जब राजस्थान खोज खबर ने संबंधित गैस एजेंसी से बात की गई तो वहां से जवाब मिला कि हमे उपभोक्ता गैस सिलेंडर वापस भिजवा दे हम नया गैस सिलेंडर दे देंगे. लेकिन अभी उपभोक्ता को अभी तक उक्त सिलेंडर की जगह नए सिलेंडर नहीं दिया गया हैं. इधर विभाग के अधिकारी अशोक सांगवा बात करने से बचते नजर आए. जब इस सम्बन्ध में उनसे बात करने की कोशिस की गई तो ऐसा है तो देखेंगे बोलकर जानकारी देने से इनकार कर दिया !
कैसे होती है गड़बड़ी:
जानकार बताते हैं कि सिलेंडर में लगी पीतल की बंक खोलकर उसमें से गैस निकाल ली जाती है और उसमें लिक्विड, पानी या रेत भर दी जाती है. इससे सिलेंडर का वजन बढ़ जाता है. ये गड़बड़ी डिलीवरी मैन के स्तर से ही होती है. अगर शिकायत न हो, तो ये सिलेंडर चेक नहीं होते और कंपनियों से दोबारा भरकर आ जाते हैं. इससे उपभोक्ताओं को कई बार चपत लग जाती है.
व्यवसायिक इस्तेमाल पर भी नहीं लग रही रोक:
घरेलू सिलेंडर के व्यवसायिक इस्तेमाल पर रोक नहीं लग रही है. अपने आसपास या जहा देखो वह सड़कों पर खुलेआम रेहड़ियों पर समोसे, जलेबी, पकौड़े, छोले-कुलचे बेचने वाले गैस का इस्तेमाल करते आसानी से दिख जाते हैं. सिलेंडर की इस कालाबाजारी पर न तो वितरक की नजर पड़ रही है और न ही जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर है.
अब सवाल ये कि क्या कानून के रक्षकों को इसकी खबर नहीं है. या फिर जानते बूझते भी आंखें बंद रखने का सिलसिला चल रहा है.
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