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राजस्थान -विधानसभा चुनाव में कौन होगा कांग्रेस का चेहरा,पढ़े खबर...


राजस्थान ।  राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमान किस के हाथ में रहेगी, इसको लेकर अटकलें अक्सर लगाई जाती रही हैं। लेकिन हकीकत यह है कि इस विधान सभा चुनाव के पहले कई दूसरे अहम चुनाव भी होने हैं, जो राजस्थान के दिग्गज नेताओं का भविष्य तय करेंगे।

विधानसभा चुनाव होने मेंं करीब सवा साल बाकी है। इससे पहले गुजरात में विधानसभा चुनाव होना है, वहीं प्रदेश में तीन उपचुनाव होंगे। इन सभी चुनावों में कांग्रेस के चार बड़े नेताओं की अहम भूमिका होगी। इसके बाद ही तय किया जाएगा कि प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमान किसे सौंपी जाएं। इस सिलसिले में कभी कांग्रेस महासचिवअशोक गहलोत का नाम आगे आता है तो कभी प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का। कांग्रेस महासचिव सी.पी.जोशी और जितेन्द्र सिंह का नाम भी कई बार चर्चा में आ चुका है।

गुजरात चुनाव तय करेंगे गहलोत का कद

पंजाब में अशोक गहलोत के प्रभारी रहते हुए कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की। अब कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी के गढ़ गुजरात का प्रभार भी उन्हें दे दिया। जहां इस वर्ष के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हंै। यहां चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिलने का मतलब गहलोत का राष्ट्रीय स्तर पर कद बढ़ाने वाला होगा। यही वजह है कि गहलोत अधिकांश समय गुजरात में दे रहे है, और वहां की राजनीति को समझ रहे हैं।

पायलट के लिए अजमेर चुनाव में जीत जरूरी

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट अजमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद धौलपुर विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को हार मिली थी। इस हार का बदला चुकाने व खुद को सर्वमान्य नेता साबित करने का अच्छा मौका उपचुनाव हेागा। अजमेर लोकसभा उपचुनाव उनसे जुड़ा हुआ है। यहां से चाहे वे चुनाव लड़ें या नहीं, लेकिन हार-जीत की जिम्मेदारी उनके सिर पर ही होगी।

मांडलगढ़ सीट जोशी के लिए अहम

सी.पी.जोशी भीलवाड़ा से सांसद रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव 2013 में भीलवाड़ा की अधिकांश सीटों पर उनके नजदीकी चुनाव लड़े थे। विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के चलते अब होने वाले इस उपचुनाव में एक बार फिर जोशी को क्षेत्र में पकड़ बनाने के लिए परीक्षा देनी होगी।

अलवर में खुद को साबित करेेंगे जितेंद्र

राहुल गांधी के नजदीकियों में अलवर के जितेन्द्र सिंह भी हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जितेन्द्र हार गए थे। राज्य समेत मेवात की राजनीति में खुद को साबित करने का उन्हें उपचुनाव के रूप में अच्छा मौका मिला है। इसलिए यह चुनाव उनके लिए परीक्षा की घड़ी साबित होगी।

सोर्स व इनपुट पत्रिका....

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