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बजट 2018:- मोदी सरकार बजट पर टिकी निगाहे,ये होंगी चुनौती,कैसे निपटेंगे मोदी के वित्त मंत्री......

डेमो फ़ोटो,अरुण जेटली
मोदी सरकार के अंतिम बजट से सबको उम्मीद,सबकी निगाहें टिकी बजट पर

देश मे बजट को लेकर बड़ी कवरेज

कुलदीप शर्मा की कलम से
हनुमानगढ़। देश भर में मोदी सरकार के अंतिम बजट को लेकर आमजन की नज़रे टिकी हुई हैं। इसी बजट को लेकर रिपोर्ट एक्सक्लूसिव ने लोगो की प्रतिक्रिया जानने के लिए जमीनी स्तर पर पहुंच कर आमजन से लेकर खास तक लोगो से जानने का प्रयास किया। तो वहीं विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स को भी ध्यान में रखते हुए आमजन के लिए बड़ी व सटीक खबर लाने का प्रयास किया गया हैं। मोदी सरकार का अंतिम पूर्णकालिक बजट को वित्त मंत्री अरुण जेटली पेश करेंगे। अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर माना जा रहा था कि यह बजट लोकलुभावन हो सकता है। मोदी जी ने एक टीवी को दिए इंटरव्यू में मुफ्त की चीज़ों को लेकर बड़ी बात कही थी जिसके बाद से इस बजट में क्या कुछ नया निकल कर आएगा ये देखने वाला रहेगा।

बढ़ती मंहगाई व राजकोषीय घाटे को लेकर भी अटकलें
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विभिन्न जानकारों का मानना हैं  कि वित्त मंत्री अरुण जेटली की सबसे बड़ी प्राथमिकता राजकोषीय घाटे का 3.2 फीसदी का लक्ष्य हासिल करना है। हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि चुनावी वर्ष में सरकार खजाना न खोले, ऐसा हो पाना मुमकिन नहीं। ऐसे में जेटली के सामने एक बड़ी चुनौती राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सामने रख महंगाई और विकास दर में संतुलन बिठाना होगा। एक दलील यह भी है कि पिछले बजट में राजकोषीय घाटा 3.5% था ऐसे में अगर सरकार चाहे तो इसे लक्ष्य के कुछ नजदीक यानी 3.4 या 3.3 फीसदी तक भी ला सकती है क्योंकि उसे अगले साल चुनावी वर्ष में इसे 3 फीसदी रखने के लक्ष्य के नजदीक लाने में आसानी हो सकती है। सरकार यह कतई नहीं चाहेगी कि चुनावी वर्ष में विपक्ष उस पर महंगाई बढ़ाने की तोहमत लगाए। ऐसे में सरकारी खर्च पर सबकी करीब से नजरें लगी रहेंगी। आकलन है कि इस साल के मध्य तक भारत की अर्थव्यवस्था चीन को पीछे छोड़ कर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी। चुनावी वर्ष में सरकार के लिए अपनी पीठ थपथपाने का यह एक बड़ा मौका हो सकता है। अब मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो एक बड़ा सवाल यह भी है कि सरकार चुनावी वर्ष में खर्च करने के लिए पैसा कहां से लाएगी। कहा जा रहा है कि विनिवेश के नए मौके खोजे जाएंगे।

चुनौती:- 2022 तक किसानों को कैसे देंगे गति

गुजरात चुनाव में ग्रामीण इलाकों में बीजेपी की हार के बाद यह सवाल उठने लगा है कि देश भर में कृषि क्षेत्र में छाए संकट को दूर करने के लिए सरकार क्या उपाय कर रही है? स्वयं प्रधानमंत्री ने भी टीवी इंटरव्यू में इस संकट के बारे में स्वीकार किया है और इसके लिए आवश्यक उपाय उठाने का आश्वासन दिया है। याद रहे कि पिछले बजट में सरकार ने अगले पांच वर्षों में यानी 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन कृषि विकास दर में कमी इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के पूरा होने पर सवालिया निशान लगा रही है। किसानों की आत्महत्या और उपज के सही दाम न मिल पाना राज्य सरकारों के सामने बड़ी चुनौती है। बीजेपी के लिए यह ज्यादा बड़ी परेशानी है क्योंकि सहयोगियों के साथ 19 राज्यों में उसकी सरकार है। जहां बीजेपी देश मे सबसे बड़ी सरकार बनी हुई हैं तो जाहिर सी बात हैं सरकार पर बड़ी जिम्मेदारी का बोझ भी हैं। लेकिन देखने वाली बात रहेगी कि अब सरकार इस पर क्या करेगी। वहीं जानकारों की माने तो मननरेगा जैसी योजना में भी मजदूरी बढ़ाने के बारे में योजना बनाई जा सकती हैं। 

चुनौती 2:- युवाओ को रोजगार

युवाओं को रोजगार एक ऐसा मुद्दा है जिस पर मोदी सरकार को अगले चुनाव में कई सवालों के जवाब देने हैं। हालांकि पीएम मोदी कह रहे हैं कि रोजगार के आंकड़े जुटाने के तरीके ठीक नहीं हैं और वो स्वरोजगार के बढ़े अवसरों का जिक्र करते हैं। लेकिन बजट एक ऐसा अंतिम अवसर है जिसमें सरकार युवाओं के रोजगार को बढ़ाने के लिए कुछ बड़े ऐलान कर सकती है। इसके लिए कुशलता की योजनाओं में रकम का आवंटन बढ़ाने का विकल्प है। साथ निजी निवेश के लिए सरकार कुछ प्रोत्साहन के कदम घोषित कर सकती है। हालांकि रोजगार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने काफी पैसे विज्ञापन प्रदर्शित करने में खर्च किया हैं लेकिन उसका कितना परिणाम आया उसके बारे में अभी कह पाना शायद मुश्किल होगा। 

चुनौती 3:- मध्यम वर्ग को राहत कैसे दे

मीडिया रिपोर्ट्स व जानकारों की रिपोर्ट का विश्लेषण करके फिर सामने आया हैं कि हर चुनाव से पहले मध्य वर्ग बड़ी आस से सरकार की ओर देखता है। हालांकि जीएसटी लगने के बाद अप्रत्यक्ष कर अब बजट का हिस्सा नहीं होंगे। ऐसे में मध्य वर्ग की पूरी आशा प्रत्यक्ष कर यानी आय कर पर आकर टिक जाती है।  वैसे इतिहास गवाह है कि चुनाव से पहले के अंतिम पूर्ण बजट में सरकारें मध्य वर्ग को आय कर की दरों में कोई बड़ी राहत देने से बचती रही हैं। बजट लोक लुभावन न होने के पीएम मोदी के इशारे से भी मध्य वर्ग की उम्मीदों को झटका लगा है। हालांकि जानकार कहते हैं कि हाल के सारे चुनावों में बीजेपी का मजबूती से साथ देने वाले मध्य वर्ग को दरकिनार करना सरकार के लिए थोड़ा मुश्किल होगा। इसलिए संभावना व्यक्त की जा रही है कि आय कर की दरों में मामूली राहत जरूर मिलेगी। अब इसमें बड़ी चुनौती तो ये भी रहेगी कि बजट को कैसे मध्यम वर्ग के लिए सही बनाया जाए।

चुनौती 4:- जीएसटी व नोटबन्दी से जूझ रहे मार्किट में सुधार कैसे हो

जीएसटी और नोटबंदी की चोट से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था की शेयर बाजार एक अलग और सुनहरी तस्वीर पेश कर रहा है। बचत के पारंपरिक तरीकों में ब्याज दर गिरने के बाद छोटे निवेशकों ने म्यूचुअल फंड के जरिए या फिर सीधे, बड़े पैमाने पर स्टॉक मार्केट में निवेश करना शुरू किया है। ऐसे में क्या सरकार लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (एलटीसीजी) और डिविडेंड टैक्स में कुछ बदलाव कर क्या शेयर बाजार को फौरी झटका दे सकती है? यह एक बड़ा सवाल है जिसके जवाब पर करोड़ों निवेशकों की नजरें टिकी हैं। मोदी सरकार के इस अंतिम बजट में स्टॉक मार्केट के निवेशकों की निगाह बड़े ही उत्साह के साथ टिकी हुई हैं। तो मीडिया रिपोर्ट में भी इस बात को प्रमुखता से देखा जा सकता हैं।

बजट के बारे में किसने क्या दी प्रतिक्रिया
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किसानों को लेकर बजट समर्पित होना चाहिए हम उम्मीद करते हैं कि मंहगाई में कमी आये लेकिन ऐसा लग रहा हैं जैसे कि मंहगाई ओर भी बढ़ेगी।पेट्रोल-डीज़ल कीमतों पर अंकुश लगाने का प्रयास करना चाहिए- सुमन चावला,समाजसेवी हनुमानगढ़

किसान व मजदूर विरोधी बजट होगा क्योंकि इस सरकार को बजट बनाना आया ही नहीं हैं। सरकार पूंजीपतियों की सरकार हैं ये किसान व मजदूर को लेकर कोई राहत प्रदान करती हमे तो नज़र आ नहीं रही हैं फिर भी उम्मीद करते हैं कि मजदूर व किसान के पक्ष में बजट आये तो अच्छा होगा- रघुवीर वर्मा,कॉमरेड हनुमानगढ़

15 लाख रुपये का इंतज़ार रहेगा जो हर किसी के खाते में आने थे और उस रोजगार का भी इतंज़ार रहेगा जो वो हर बार बेरोजगारों को रोजगार देने की बात कहते हैं। उम्मीद हैं मंहगाई को बढाने वाला बजट होगा- के.सी. बिश्नोई, जिला अध्यक्ष कांग्रेस हनुमानगढ़

देश व जनता को समर्पित होगा बजट, देश को विकास के पथ पर ले जाने वाला बजट होगा, मंहगाई को रोकने का भी सरकार प्रयास करेगी- बलबीर बिश्नोई,जिलाध्यक्ष बीजेपी हनुमानगढ़

बजट में सरकार अगर इनकम टैक्स में छूट करे तो लोगो को काफी राहत महसूस होगी। सरकार को किसानों व युवाओ को राहत देने वाला बजट पेश करना चाहिए। उम्मीद हैं सेना की ताकतों को भी बढाने में बजट कारगर साबित होगा- अमित सहू, बीजेपी युवा नेता हनुमानगढ़

बजट के अंदर पारदर्षिता लाने की जरूरत हैं तो वहीं छोटे वयापरियो के लिए जीएसटी में सरलीकरण करने की जरूरत हैं ताकि वयापारी वर्ग को काफी फायदा मिल सके।नोटबन्दी व जीएसटी के बाद बाज़ार मंदी की तरफ जा रहा हैं उसको उभारने का भी प्रयास करना चाहिए- अशोक व्यास,खुदरा किरयाना एसोसिएसन अध्यक्ष हनुमानगढ़

बजट में कोई खास आने की उम्मीद तो नज़र नहीं आ रही लेकिन फिर भी युवाओ को रोजगार,किसानों के लिए राहत व जीएसटी में छूट प्रदान करे तो आम आदमी के लिए राहत जरूर होगी। लेकिन इस सरकार से इतनी उम्मीद लगाना तो शायद गलत ही होगा।- गुरदीप चहल, ओबीसी विभाग कांग्रेस जिलाध्यक्ष हनुमानगढ़

बजट को लेकर वस्तुओं के मूल्यों में गिरावट आने की उम्मीद हैं साथ ही अगर इनकम टैक्स में छूट व जीएसटी में सुधार हो जाये तो बेहतर बन सकता हैं। मंहगाई में कमी लाने का सरकार को प्रयास करना चाहिए- विजय बलाड़िया,जर्नल मर्चेट एसोसिएसन अध्यक्ष हनुमानगढ़

बजट किसानों,युवाओ व महिलाओं के लिए बेहतर साबित होने की उम्मीद हैं। सरकार अपने वादे पूरे करने का प्रयास भी करेगी साथ ही मंहगाई में कमी लाने का सरकार को प्रयास करने की जरूरत हैं- देवेन्द्र पारीक,भाजयुमो सम्भाग प्रभारी

युवाओ को रोजगार देने का सरकार को प्रयास बजट में करना चाहिए। मंहगाई में कमी लाने व जीएसटी में सरलीकरण करने को लेकर भी सरकार को कदम उठाना चाहिए ताकि आमजन से लेकर खास तक राहत मिल सके। जनता को उम्मीद तो काफी हैं लेकिन ऐसा कुछ नज़र तो नहीं आ रहा हैं। - तरुण विजय,संस्थापक बेबी हैपी कॉलेज

बजट को लेकर उम्मीद तो हम कम ही मानते हैं लेकिन फिर भी सरकार द्वारा किये गए वादों को बजट में पूरा कर दे तो बेहतर होगा। युवाओ को रोजगार देने व 15 लाख रुपये व्यक्ति के खाते में आने वाले जुमले को अगर बजट में सही साबित कर दे तो शायद जनता के लिए राहत रहेगी। जीएसटी व मंहगाई को कम करने का सरकार हमे नहीं लगता कि बजट में प्रयास करेंगे।- सौरभ राठौड़,कांग्रेस नेता हनुमानगढ़

लेखक कुलदीप शर्मा एक स्वतन्त्र पत्रकार हैं। 

सोर्स व इनपुट विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स व जानकारों से वार्ता पर निर्धारित


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