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चारणवासी:-नहरी पानी की कमी व बरसात के अभाव में भाखड़ा बेल्ट में दिनों-दिन सूखती धरती की कोख,किसान संकट में


फसलों को पानी देने के लिए अंधा-धुंध तरीके से चलते है टयूबैल,लवणीय व कम होता धरातल का पानी किसानों के लिए भविष्य का बुरा संदेश है,किसान करने लगे पलायन
रिपोर्ट एक्सक्लूसिव,चारणवासी। नहरी व बरसात के कारण इन दिनों भू-जल का अंधा-धुंध दोहन होने के कारण भू-जल का स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा हैं। जो किसानो के लिए चिंता का विषय बन चुका हैं। किसान बरसात व नहरी पानी की कमी के चलते फसल पकाने के लिए भू-जल का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं। नतीजन भू-जल का स्तर जैसे-जैसे घटता जा रहा हैं वैसे-वैसे ही भू-जल लवणीय होता जा रहा हैं।
 चारणवासी,फेफाना,गुडिय़ा,रतनपुरा,चक 16-17 केएनएन,16जेएसएन सहित कई गांवों की रोही में सन् 1984 में मॉनोब्लॉक विद्युत मोटर या ईंजन द्वरा संचालित टयूबैल 60-70 फूट की गहराई पर चलते थे।

 तक किसानों को कृषी भूमि सिंचाई करने के लिए पर्याप्त पानी मिलता था। और पानी पीने के योग्य था। लेकिन बरसात व नहरी पानी कमी के चलते किसान खेती करने के लिए टयूबैल व मोटरों पर ही निर्भर होकर फसल उत्पादन  के लिए भू-जल(टयूबैल के पानी)का अत्यधिक उपयोग करने लगे। और किसानों ने 1990 में कुओं की गहराई बढ़ा कर 70-80 की (स्तर)से पानी निकालना शुरू किया। लेकिन बरसात व नहरी पानी की कमी से भू-जल के दौहन के कारण स्तर दिन-ब-दिन गिरता गया।


जैसे-जैसे भू-जल का स्तर गिरता गया वैसे-वैसे  किसान कुओं की गहराई बढ़ाते गए। सन् 1995 से 2000 तक पानी का स्तर दो गुना नीचे चला गया। जिसें टयूबैल व मॉनोब्लॉक विद्युत मोटरों द्वारा खिंचना मुश्किल हो गया। नतीजन किसानों के सामने गहरा संकट खड़ा हो गया। सिंचाई पानी की मार झेल रहे किसानों ने सन् 2000 के बाद खेतों में लगी विद्युत मोटरों की बिजली क्षमता(पॉवर) बढ़ा कर। समर्सीबल मोटरे लगानी शुरू कर दी। जो 100-120 फू ट गहराई के स्तर से पानी पर्याप्त मात्रा में ले रही हैं। जहां ये मोटरें नहर या पक्कें खाळे के आस-पास लगी हैं जिनका पानी आज भी पीने के योग्य है। किसानों ने बताया कि जैसे-जैसे नहर व खाळे की दूरी बढ़ती जाती हैं वैसे-वैसे मोटरों का पानी खारा व लवणीय होता जा रहा हैं। जो पीने योग्य नही रहा। 

देशी घी के भाव बिकता पानी:
नहर व खाळे के आस- पास स्थित विद्युत मोटरों वाले किसान पानी को देशी घी के भाव बेच कर चांदी कूट रहे है। एक घंटा विद्युत मोटरें चलने से 20-30 रूपये के बीच बिजली खर्च होती है। लेकिन किसान पानी 300 रूपये प्रति घंटा की दर तक बेच रहे है। खाळे कि टेल पर स्थित खेत वाले किसान पक्कें खाळों के माध्यम से इन मोटरों का पानी ले जाकर कृषी भूमि सिंचित करते है। पक्का खाळा तो सरकार का क्षतिग्रस्त हो रहा है और कमाई किसान कर रहे है। क्षेत्र के लगभग खाळे मोटरों के पानी चलने से क्षतिग्रस्त हो चुके है।
कई किसानों ने विद्युत मोटरों वाले किसानों को लाखों रूपये एंडवास में देकर मोटर से लेकर दूर-दराज अपने खेत में भूमिग्त पाईप लाईन डाल रखी है जो पाईप लाईनें अधिकांश आम रास्तों के बीचों-बीचें डाली गई है जो लीकेज होते ही वाहन चालकों व ऊंट गाड़े वाले किसानों के लिए परेशानी की सबब बन जाती है। भूमिग्त पाईप लाईन डालते समय किसान प्रशासन से कोई स्वीकृती नही लेता। जो आम जनता के लिए एक खतरें का संकेत है। 

सिंचाई पानी के भाव -
मोटर विद्युत क्षमता(हॉस पॉउर)                रूपये प्रति घंटा
    सात                                         120-150
    दस                                          150-200
    पन्द्रह                                        200-250
    बीस                                         250-300
  


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