ऊँटो का होगा शत-प्रतिशत बीमा
विकास और संरक्षण के लिए कार्य योजना तैयार
हनुमानगढ़। राज्य पशु ऊॅट के संरक्षण एवं उनकी जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ ऊंट पालक परिवारों की रोजगार वृद्धि के लिए विभिन्न विभागों को ऊॅट के विकास और उनके पालन एवं संरक्षण के लिए द्वारा कार्य योजना तैयार गई है। आपको जानकारी के लिए बता दे राजस्थान के राज्य पशु ऊंट की प्रजातियां पिछले काफी समय से विलुप्त होती जा रही थी। जिसको लेकर राजस्थान सरकार की तरफ से ये फैसला ऊँटो को बचाने में मददगार जरूर साबित हो सकता हैं।
रेगिस्तान की पहचान ऊँटो से,अब ऊंट की पहचान ओर बढ़ेगी
हुम् सभी बड़ी भली भांति पूर्वक जानते हैं कि राजस्थान में रेगिस्तान की जहाज़ के नाम से मशहूर ऊंट की प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं तो बढ़ते साधनों की वजह से ऊँटो का उपयोग कम होने लगा है। रेगिस्तान की धरती की पहचान ऊॅटों से संबंधित जानकारी प्रारम्भिक शिक्षा से ही बच्चों को दी जाने के लिए ऊॅट से सम्बन्धित बाल-उपयोगी कहानियों, उनका चित्रण एवं पाठ्यक्रमों में ऊॅट से सम्बन्धित अध्याय जोड़़े जाने व राज्य पशु की पहचान बनाने के लिए शैक्षिणिक सामग्री का लेखन किया जाएगा। जिसको लेकर भी राजस्थान सरकार ने प्रयास आरम्भ किये हैं। जिसके बाद राजस्थान के ऊंट की पहचान ओर भी बढ़ेगी।
ऊँटो का शत-प्रतिशत बीमा करने पर विचार
पशुपालन विभाग द्वारा ऊॅटों के प्रजनन की योजना को अधिक कारगर रूप से लागू कर ऊॅटों का शत्- प्रतिशत बीमा करना तथा घटती जनसंख्या को 3 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य पशु ऊॅट के समुचित संरक्षण और उनकी खाल, बाल, दूध आदि से जुड़े परिवारों के लिए विशेष योजना बनायी जाएगी। उन्हें सस्ती दर पर ऋण, ऊॅट के बाल क्रय करने वाली एंजेन्सियोें को रियायती दर पर अनुदान दिया जाएगा, जिससे ऊॅट के ऊन से बनने वाले वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहन मिल सके। इन सभी के बाद कहीं ना कहीं ऊँटो को लेकर वापिस आमजन मव रुझान आ सकता हैं तो वहीं विलुप्त हो रहे रेगिस्तान के इस जहाज को बचाया जा सके।
समाचार प्रकाशन,लेखन व बीमा नियामक आयोग पर चर्चा
राजस्थान में ऊँटो का वजूद बहुत ही पुराना हैं जिसे हम भी जानते है। जिसके साथ-साथ इसका इतिहास भी बहुत बड़ा है। अगर ये सभी कार्य जिस दिन धरातल पर उतर जाएबगे तो जाहिर सी बात है। ऊँटो की रक्षा-सुरक्षा के साथ-साथ उनको भी प्रोत्साहन मिलेगा जो ऊंट पालन का कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त राज्य पशु के रूप में ऊॅट की पहचान प्रभावी बनाने के लिए पशु मेलों से सम्बन्धित समाचार प्रकाशन, ऊंट की उपयोगिता सम्बन्धित विषय सामग्री एवं लेखन को प्रोत्साहन के साथ-साथ बीमा नियामक आयोग भी ऊंट से सम्बन्धित बीमों को प्रोत्साहन देगा तथा बीमा धारको के प्रत्येक पशु के स्वास्थ्य का रक्षण व मुआवजा भी देगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने ऊंटो के प्रजनन को बढ़ाना देने के लिए पहले ही वर्ष 2016 में ऊंट प्रजनन प्रोत्साहन योजना आरम्भ की थी। सरकार के इन प्रयासों से रेगिस्तान का जहाज माना जाने वाला राज्य पशु ऊंट के संरक्षण, प्रजनन और जनसंख्या में समुचित वृद्धि होगी।
रेगिस्तान की पहचान ऊँटो से,अब ऊंट की पहचान ओर बढ़ेगी
हुम् सभी बड़ी भली भांति पूर्वक जानते हैं कि राजस्थान में रेगिस्तान की जहाज़ के नाम से मशहूर ऊंट की प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं तो बढ़ते साधनों की वजह से ऊँटो का उपयोग कम होने लगा है। रेगिस्तान की धरती की पहचान ऊॅटों से संबंधित जानकारी प्रारम्भिक शिक्षा से ही बच्चों को दी जाने के लिए ऊॅट से सम्बन्धित बाल-उपयोगी कहानियों, उनका चित्रण एवं पाठ्यक्रमों में ऊॅट से सम्बन्धित अध्याय जोड़़े जाने व राज्य पशु की पहचान बनाने के लिए शैक्षिणिक सामग्री का लेखन किया जाएगा। जिसको लेकर भी राजस्थान सरकार ने प्रयास आरम्भ किये हैं। जिसके बाद राजस्थान के ऊंट की पहचान ओर भी बढ़ेगी।
ऊँटो का शत-प्रतिशत बीमा करने पर विचार
पशुपालन विभाग द्वारा ऊॅटों के प्रजनन की योजना को अधिक कारगर रूप से लागू कर ऊॅटों का शत्- प्रतिशत बीमा करना तथा घटती जनसंख्या को 3 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य पशु ऊॅट के समुचित संरक्षण और उनकी खाल, बाल, दूध आदि से जुड़े परिवारों के लिए विशेष योजना बनायी जाएगी। उन्हें सस्ती दर पर ऋण, ऊॅट के बाल क्रय करने वाली एंजेन्सियोें को रियायती दर पर अनुदान दिया जाएगा, जिससे ऊॅट के ऊन से बनने वाले वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहन मिल सके। इन सभी के बाद कहीं ना कहीं ऊँटो को लेकर वापिस आमजन मव रुझान आ सकता हैं तो वहीं विलुप्त हो रहे रेगिस्तान के इस जहाज को बचाया जा सके।
समाचार प्रकाशन,लेखन व बीमा नियामक आयोग पर चर्चा
राजस्थान में ऊँटो का वजूद बहुत ही पुराना हैं जिसे हम भी जानते है। जिसके साथ-साथ इसका इतिहास भी बहुत बड़ा है। अगर ये सभी कार्य जिस दिन धरातल पर उतर जाएबगे तो जाहिर सी बात है। ऊँटो की रक्षा-सुरक्षा के साथ-साथ उनको भी प्रोत्साहन मिलेगा जो ऊंट पालन का कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त राज्य पशु के रूप में ऊॅट की पहचान प्रभावी बनाने के लिए पशु मेलों से सम्बन्धित समाचार प्रकाशन, ऊंट की उपयोगिता सम्बन्धित विषय सामग्री एवं लेखन को प्रोत्साहन के साथ-साथ बीमा नियामक आयोग भी ऊंट से सम्बन्धित बीमों को प्रोत्साहन देगा तथा बीमा धारको के प्रत्येक पशु के स्वास्थ्य का रक्षण व मुआवजा भी देगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने ऊंटो के प्रजनन को बढ़ाना देने के लिए पहले ही वर्ष 2016 में ऊंट प्रजनन प्रोत्साहन योजना आरम्भ की थी। सरकार के इन प्रयासों से रेगिस्तान का जहाज माना जाने वाला राज्य पशु ऊंट के संरक्षण, प्रजनन और जनसंख्या में समुचित वृद्धि होगी।
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