श्रीगंगानगर। खान राज्यमंत्री (स्वतंत्रा प्रभार) श्री सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रयासरत है तथा इसी कडी में खरीफ फसल की ढेड गुना राशि के बजट का प्रावधान किया है जो किसानों के लिए मददगार साबित होगा।
श्री टीटी रविवार को सुरेन्द्र कौर मेमोरियल कृषि महाविद्यालय (24 बीबी) में कृषि मेले के शुभारम्भ के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होने ने संस्थान के चेयरमेन डॉ0 पलविन्द्र सिंह व उनकी टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों को नई-नई जानकारी देने के लिए ऐसे कृषि मेले समय-समय पर लगते रहने चाहिए इससे वह नई टेक्नोलोजी के साथ जुड़कर अपने जीवन में व्यापक बदलाव ला सकते है। आज कृषि के क्षेत्रा में राज्य व केन्द्र सरकार गांव, गरीब और किसानो की तरक्की के लिए अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू की गई है। उन्होने कहा कि हर गांव में पक्के खालो के साथ प्रत्येक ग्राम पंचायत में गोरव पथ तथा सड़के का जाल बिछायें जा रहे है, यह सब मुख्यमंत्रा श्रीमती वसुन्धरा राजे व प्रधानमंत्रा नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व की देन है, जिन्होने हमेशा सकारात्मक का दृष्टिकोण अपनाते हुए अपने कदम आगे बढायें है, जिसके अच्छे परिणाम दिखना शुरू हो गये है, फसलों के भाव बढ गये है, उन्होने कहा कि भारत एक कृषि प्रदान देश है, किसान के साथ देश की प्रगति का रास्ता खेत व खलियान से निकलता है। देश का हर किसान आर्थिक रुप से पूर्णतय मजबूत हो पर आज भी काफी कृषक है, जो पुरानी तकनीकी को नही छोड़ रहे है जबकि वर्तमान परिवर्तन का दौर है। हमे भी आधुनिक खेती की तरफ अपने कदम आगें बढाते हुए नई-नई टेक्नोलोजी के साथ ज़ुडना चाहिए तभी आमदमी बढ़ेगी जब उत्पादन ज्यादा होगा और लागत कम आयेगी।
उन्होने कहा जो किसान उद्यानिकी, पशु पालन, मछली पालन, डेयरी, घोड़ा पालन की ओर भी कदम बढाकर अपनी आमदनी में लगातार वृद्धि कर रहे है। श्री टीटी ने कहा कि किसान किसी प्रकार से अंधाधुंध पैस्टीसाइड का इस्तेमाल नही कर देसी खेती की तरफ अधिक ध्यान दे रहे है। उन्होने कहा कि एक तो आप हमेशा जेविक खेती का प्रयोग कर खतरनाक बिमारीयों से मुक्त रह सकते है, हमारी जमीनों को हमने अंधाधुंध पैस्टीसाईड से नशीला बनाकर उसकी क्षमता को कमजोर कर दिया है, जमीन की उर्वरा तभी बनी रहेगी जब हम इसका प्रयोग कृषि वैज्ञानिको की सलाह से करेगें, काफी किसान भाई अपनी जमीन की मिट्टी की जांच भी नही करवातें है, जबकि अच्छी पैदावर के लिए मिटटी की जांच करवानी चाहिए। उन्होने कहा की सोसायटी के माध्यम से सरकार किसानों को नई टेक्नोलोजी के कृषि औजार उपलब्ध करवायेगें है, जिन्हे किसान कम किराया देकर उसका इस्तेमाल जरूरत मुताबिक कर सकेगा। श्री टीटी ने विपक्ष को बताया कि हमारी सरकार ने 15 सो करोड़ रूपयें के विकास करवाये है, जो कि एक इतिहास रहेगा ।
प्रौफेसर आर. के. श्योरान हिसार ने नई टैक्नोलीजी के बारे में बताया की महात्मा गान्धी जी ने 1914 में किसानों के हित में क्रांतिकारी कदम उनके तरक्की के लिए उठातें हुए देश के अलग अलग स्थानों पर उद्योग को विकसित करने के लिए ईकाईयों का गंठन किया था, और आज इसके सार्थक परिणाम हम सब देख उनका सुख ले रहे है, आज वहीं ईकाईयां बड़े स्तर पर विकसित होकर हजारों लोगों को रोजगार देने के साथ अपने अपने प्रोडक्ट तैयार कर अपने पाव पर खड़ी है, कृषि आधारित बहुत से उत्पाद बाजार में आपको मिलेगें, चौधरी दलेल सिंह कुलपति हरियाना ने कहा कि समय के साथ कृषक वर्ग जागरूक हो रहा हैं जिसका बदलाव दिखाई दे रहा है, और हमारा भी यंही प्रयास रहता है कि किसान अधिक से अधिक नई-नई जानकारीयां कृषि वेज्ञानिको से सलाह लेकर प्रात्त कर अपनी तरक्की का रास्त स्वय तय करे। उमेद सिंह शेखावत जोनल डायरेक्टर व डॉ0 पीएल नेहरा , डॉ0 मेकयावली, रिशि बहल, सहित अन्य जो फायदा उन्हे हो रहा है।
इस अवसर पर केवीके प्रभारी डॉ0 हनुमानराम, डॉ0 दशरथ सिहं, डॉ0 चन्द्रभान पन्नू, डॉ0 सुबोतकान्ता बिश्नोई, डॉ0 एसके बेरवा व श्री बहादर चंद नारंग, श्री सुखजिन्द्र सिंह सुखी, नीशू धमीजा, निर्मल मांगट, अमृतपाल लाली, गुरतेज सिंह एव मनीष परनामी, विक्की गाबा, अलका गाबा, बलराज जाखड़, राजेन्द खोथ, सत्यनारायन पुनिया, महेन्द्र मिगलानी, डॉ0 सुखदेव बराड़, पाल सिंह, महावीर जाखड़, विजय कुमार जुनेजा, गोकरन गर्ग, मलकीत सोनी, कृष्ण जलन्धरा, राकेश भठेजा, प्रदीप सिंह, औंकार सिंह, मनजोत सिंह सहित बड़ी संख्या में प्रमुख लोग उपस्थित थे। कार्यशाला में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का सम्मान किया गया ।
डॉ0 पलविन्द्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत व सम्मान करते हुए विभिन्न राज्यों से आयें प्रमुख वैज्ञानिको व सेमीनार में प्रशिक्षण लेने वाले प्रतिभागीयों एवं किसानों का संस्था की तरफ से अभार व्यक्त कर हर्ष जताया कि बारिश के बीच सेकड़ो किसान व विर्द्याथयों ने कृषि वेज्ञानिको से महत्वपूर्ण जानकारी व आपस में सवाल-जबाब कर प्रात्त कर लाभ उठाया है। मेले कृषि से सम्बधित काफी स्टाले लगाई गई।
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