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पाक और बांग्लादेश में कॉल ड्रप होने पर एक कॉल फ्री


व्यापार। डिजिटल इंडिया का सपना देख रहे भारतीय को देश में कॉल ड्रॉप की समस्या लगातार दो चार होना पड़ता है। कई बार इस लेकर बहस हो चुकी हैं लेकिन आज भी समस्या जस की तस बनी हुई है। भारत में करीब 118 करोड़ मोबाइल यूजर्स हैं जिनमें से हर किसी को कॉल ड्रॉप की समस्या का सामना करना ही पड़ता है। देश में कोई भी नेटवर्क ऐसा नहीं है जिसमें कि कॉल ड्रॉप की समस्या नहीं है। साल 2017 में कॉल ड्रॉप या खराब मोबाइल नेटवर्क की शिकायतें मिलीं हैं 

उनमें देश की सभी बड़ी टेलीकॉम कंपनियों का नाम शामिल हैं। साल 2017 में मिली शिकायतों के आधार पर एयरटेल की सर्विस पर 25 फीसदी, बीएसएनएल की सर्विस पर 25.5 फीसदी, रिलायंस जियो की सर्विस पर 18.8 फीसदी, वोडाफोन की सर्विस पर 10.3 फीसदी, आइडिया सेल्युलर की सर्विस पर 6.7 फीसदी शिकायतें मिली हैं। 
दूरसंचार विशेषज्ञों की माने तो भारत में कॉल ड्रॉप होने की एक बड़ी वजह मोबाइल टावर की कमी है। भारत में औसतन 400 उपभोकताओं के लिए एक मोबाइल टॉवर उपलब्ध है। वहीं बात अगर चीन की करें तो वहां औसतन 200 से 300 लोगों के लिए मोबाइल टावर उपलब्ध है। 

इस हिसाब से भारत में हर साल करीब 1 लाख मोबाइल टावर लगाने की जरूरत है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के नियमों के मुताबकि किसी सर्किल में मोबाइल टावरों में कॉल ड्रॉप का प्रतिशत तीन से ज्यादा नहीं होना चाहिए। 2015 में ट्राई ने कॉल ड्रॉप होने पर कंपनियों को जुर्माने के तौर पर 1 से 3 रुपये देने को कहा था। लेकिन टेलीकॉम कंपनियों की चुनौती के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ट्राई के इस फैसले पर रोक लगा दी। बता दें कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में कॉल ड्रॉप होने पर टेलीकॉम कंपनियों को एक कॉल मुफ्त देनी पड़ती है। 

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