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हनुमानगढ़:-सुंदर आंखों पर न लगने दें ग्रहण,लक्षण दिखें तो ग्लूकोमा की जांच कराएं


रिपोर्ट एक्सक्लूसिव, हनुमानगढ़। ग्लूकोमा यानी काला मोतिया आंखों की गंभीर बीमारी है, जो कई बार आंखों की रोशनी भी छीन लेती है। परिवार में यदि किसी को ग्लूकोमा है, तो अन्य सदस्यों में इसके होने का खतरा ज्यादा रहता है। खासतौर पर यदि पीड़ित भाई-बहन या हमारा कोई परिचित है। ऐसे लोगों को 40 की उम्र पार करते ही साल में एक बार अपनी आंखों का चेकअप अच्छे नेत्र विशेषज्ञ से करवाना चाहिए। यदि परिवार में कोई भी सदस्य ग्लूकोमा ्रसे पीड़ित नहीं है, तब भी अपनी आंखों का चेकअप हर दो साल में एक बार जरूर करवाना चाहिए।

सीएमएचओ डाॅ. अरूण कुमार ने बताया कि ग्लूकोमा आंखों पर पड़ने वाले अतिरिक्त दबाव की वजह से होता है। यह ऐसी बीमारी है, जिसमें आंख के अंदर के पानी का दबाव धीरे-धीरे बढ़ जाता है। इससे देखने में परेशानी होने लगती है या दिखना भी बंद हो सकता है। समय से जांच और इलाज कराने से अंधेपन से बचा जा सकता है। कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल पर काम करते हुए हमारी आंखों पर बहुत दबाव पड़ता है, पर हम इसे गंभीरता से नहीं लेते। आंखों से संबंधित परेशानियों की अनदेखी और लापरवाही धीरे-धीरे ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है, जिससे आंखों की रोशनी चली जाती है।

डाॅ. अरूण कुमार ने बताया कि आंखों का इलाज विशेषज्ञ से करवाना चाहिए। 40 वर्ष की आयु के बाद कम से कम तीन वर्ष में एक बार अपनी आंखों की जांच कराएं और ग्लूकोमा के लिए परीक्षण कराएं। यदि आपकी आंखों पर दबाव बढ़ने लगे तो आपको और भी जल्दी-जल्दी आंखों का परीक्षण कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि ग्लूकोमा का इलाज नहीं किया जा सकता और इससे हुए नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन उपचार से आंखों पर दबाव कम किया जा सकता है। उपचार से भविष्य में दृष्टि हानि की आशंका को भी कम किया जा सकता है। ग्लूकोमा के आरंभिक उपचार के लिए आंखों में दवा डालना सबसे सामान्य उपचार है। अन्य उपचारों में लेजर उपचार या शल्य क्रिया कराना भी शामिल हो सकता है। वैसे ग्लूकोमा का इलाज जीवनभर कराना होता है और नियमित रूप से डॉंक्टर के संपर्क में रहना होता है।

क्या हैं लक्षण
- धुंधला नजर आना। 
- प्रकाश के इर्द-गिर्द प्रभामंडल दिखना। 
- पाश्र्व दृष्टि खो देना। 
- सीमित वृत्तीय दृष्टि। 
- लाल आंखें। 
- आंखों में बहुत तेज दर्द होना। 
- उल्टी आना। 

यूं करें देखभाल
- आंखों पर दबाव न पड़ने दें।
- तनाव का सामना करने के तरीके तलाशें।
- नियमित रूप से आंखों का व्यायाम करें।
- कैफीन का सीमित प्रयोग करें।
- अधिक से अधिक फलों और सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
- चोट से बचने या खेलकूद के दौरान अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए जरूरी उपकरण जरूर पहनें। 
- मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्टरॉल और हृदय रोग को नियंत्रित रखें।
- ग्लूकोमा के उपचार के लिए प्रचारित की जाने वाले हर्बल दवाओं का प्रयोग न करें। 

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