नई दिल्ली(जी.एन.एस)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इलेक्ट्रिक और वैकल्पिक ईंधन पर चलने वाली गाड़ियों के इस्तेमाल और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत जल्द एक नई पॉलिसी लाएगा। पीएम मोदी ने शुक्रवार को 1st Global Mobility Summit ‘MOVE’ का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज से लड़ाई के लिए सबसे शक्तिशाली हथियार क्लीन एनर्जी पर आधारित क्लीन मोबिलिटी है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल कंज्यूमर भारत अपना आयात बिल कम करने की कोशिश कर रहा है।
पीएम मोदी ने कहा, ”भारत में मोबिलिटी के भविष्य के लिए मेरा विजन 7C पर आधारित है, कॉमन, कनेक्टेड, कन्वीनिएंट, कंजेशन-फ्री, चार्ज्ड, क्लीन, कटिंग-एज। ” उन्होंने कहा कि भारत बढ़ रहा है, हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था हैं, हमारे शहर और कस्बों बढ़ रहे हैं, हम 100 स्मार्ट शहरों का निर्माण कर रहे हैं। मोबिलिटी इकोनॉमी का प्रमुख ड्राइवर है।
मोदी ने कहा कि भारत इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग, बैट्रीज और स्मार्ट चार्जिंग में निवेश को बढ़ावा देना चाहता है। बेहतर मोबिलिटी रोजगार के बेहतर अवसर, स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और अच्छी जीवनशैली उपलब्ध करा सकता है। सुनिधाजनक मोबिलिटी का मतलब सुरक्षित, सस्ती और समाज के सभी तकबे तक उसकी पहुंच सुनिश्चित करने से है। 7-8 सितंबर को आयोजित हो रहे इस दो दिवसीय सम्मेलन में इलेक्ट्रिक वाहनों और शेयर्ड मोबिलिटी को प्रोत्साहन देने के लिए उठाए जाने वाले कदमों समेत अन्य कई मुद्दों पर चर्चा होगी। इस शिखर सम्मेलन का आयोजन नीति आयोग कर रहा है। सम्मेलन में अरुण जेटली, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल और रवि शंकर प्रसाद सहित कई केंद्रीय मंत्री हिस्सा लेंगे।
इससे पहले, सम्मेलन के बारे में जानकारी देते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को मोबिलिटी के लिए एक एकीकृत सम्मिलित नीति रूपरेखा बनाने की जरूरत है। मोबिलिटी क्षेत्र में आने वाले बदलावों की वजह से भारत अधिक रोजगार के अवसर पैदा कर पाएगा और देश के नागरिकों के जीवन को सुगम बनाया जा सकेगा। वहीं नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त ने कहा कि सम्मेलन का मुख्य मकसद भारत में लोगों के यात्रा करने के तरीके में बड़ा बदलाव लाना है।
इस सम्मेलन में दुनियाभर से करीब 2,200 भागीदार हिस्सा लेने वाले हैं. इनमें सरकारों, उद्योग, शोध संगठनों, अकादमिक और समाज के प्रतिनिधि शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका, जापान, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, आॅस्ट्रिया, जर्मनी और ब्राजील के दूतावासों तथा निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
0 टिप्पणियाँ
इस खबर को लेकर अपनी क्या प्रतिक्रिया हैं खुल कर लिखे ताकि पाठको को कुछ संदेश जाए । कृपया अपने शब्दों की गरिमा भी बनाये रखे ।
कमेंट करे